भोपाल। मध्यप्रदेश में कई बार जनता ने किन्नरों को चुनाव जिताने का काम किया है. राज्य में हो रहे नगरीय निकाय चुनाव में भी किन्नर किस्मत आजमा रहे हैं. इसलिए सवाल उठ रहे हैं क्या इस बार भी कोई किन्नर जनता का प्रतिनिधि बनने में कामयाब होगा. राज्य में नगरीय निकाय के चुनाव दो चरणों में हो रहे हैं. पहले चरण के लिए बुधवार छह जुलाई को मतदान होने जा रहा है. पहले चरण में छिंदवाड़ा में नगर निगम के महापौर पद का चुनाव चर्चाओं में है, इसकी वजह है यहां से किन्नर राहुल उर्फ अंजलि का मैदान में उतरना. उन्हें राष्ट्रवादी कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है. अंजलि ने चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी, वे लगातार लोगों से संपर्क करते रहे और मतदाताओं से उन्होंने यही वादा किया कि वह शहर को कचरा मुक्त बनाने का काम करेंगे.
जब मतदाता अपने यहां से निर्वाचित होने वाले प्रतिनिधियों से निराश हो जाते हैं, तो वे ऐसे लोगों को चुनाव जिता देते हैं, जिन्हें समाज आमतौर पर सबसे ज्यादा उपेक्षित मानता है. इस बात का उदाहरण रहा है शहडोल जिले का सोहागपुर के अलावा कटनी और सागर जिला. जनता का यह रुख उन जनप्रतिनिधियों के लिए करारा तमाचा रहा है, जिन्होंने जनता को ठगने का काम किया है.
- राजनीतिक विश्लेषक
जनता ने कई बार जताया किन्नरों पर भरोसा: प्रदेश की सियासत पर गौर करें, तो कई बार ऐसे मौके आए हैं जब जनता ने किन्नरों पर भरोसा जताया है और उन्हें अपना प्रतिनिधि निर्वाचित करके भेजा है. वर्ष 2000 में शहडोल जिले के सोहागपुर विधानसभा क्षेत्र से वहां की जनता ने किन्नर शबनम मौसी को चुनाव जिता कर भेजा था. इसी तरह वर्ष 2001 में कटनी से कमला जॉन महापौर निर्वाचित हुई थी, उसके बाद वर्ष 2009 में सागर से कमला बुआ महापौर पद का चुनाव जीती थीं.
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इनपुट - आईएएनएस