भोपाल। मध्य प्रदेश में 1 अप्रैल से नई आबकारी नीति के तहत जिलों के कलेक्टर बार के लाइसेंस देंगे. अभी तक बार का लाइसेंस लेने के लिए विभागों के चक्कर काटने पड़ते थे और तमाम जटिल प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता था. अब बार के लाइसेंस जिले स्तर पर ही मिल जायेंगे इससे बार की संख्या बढ़ेगी और सरकार की आमदनी भी बढ़ेगी. कोविड का कहर होने के बावजूद सरकार के आबकारी विभाग ने शराब से 1 साल में करीब 12 हज़ार करोड़ की आमदनी की है.
अभी तक महानगरों में ही खुल सकते थे बार
एमपी की नई आबकारी नीति आने के पहले तक महानगर भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर में ही बार के लाइसेंस की अनुमति थी. अब नई नीति के तहत राज्य सरकार ने नियमों में बदलाव कर दिया है. अब जिलों में भी बार खोले जा सकेंगे और इस का लाइसेंस कलेक्टर ही देंगे.
पुराने नियम में थी जटिलताएं
- पहले बीयर बार का लाइसेंस लेने के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति सिफारिश करती थी.
- इसके बाद प्रतिवेदन आयुक्त आबकारी के पास भेजा जाता था.
- आयुक्त कार्यालय में परीक्षण के बाद प्रपोजल राज्य शासन के पास पहुंचता था.
- इस पूरी प्रक्रिया में लाइसेंस लेने वालों को जिले से लेकर भोपाल तक कई चक्कर लगाने पड़ते थे.
- विभाग के मंत्री और अफसरों के यहां से फाइलों के निकलने में देर होती थी
- तमाम कठिनाइयों के कारण लोग बार लाइसेंस लेने से कतराते थे
हेरिटेज मदिरा नीति में किये गये ये प्रावधान
- महुआ के फूल से बनी मदिरा की पायलट परियोजना की अनुमति दी गई है. इसके बाद इसे मंत्रिमंडल की उप समिति के सामने प्रस्तुत किया जायेगा.
- वर्ष 2022-23 में नये बार लाइसेंस की स्वीकृति शासन द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुरूप कलेक्टर स्तर से ही की जायेगी.
- पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थलों पर इको टूरिज्म बोर्ड द्वारा संचालित इकाइयों, पर्यटन विकास निगम की अस्थाई स्वरूप की इकाइयों को रियायती दरों,सरल प्रक्रियाओं मापदंडों के आधार पर बार लाइसेंस दिये जा सकेंगे.
- एमपी के सभी एयर पोर्ट पर विदेशी मदिरा विक्रय काउंटर खोला जा सकेगा.
- इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर में चयनित सुपर मार्केट में फिक्स लाइसेंस फीस पर वाइन विक्रय के काउंटर संचालित करने के लिये लाइसेंस जारी किये जा सकेंगे.
- इंदौर और भोपाल में माइक्रो बेवरीज खोलने की अनुमति दी जायेगी लेकिन पर्यावरण, विदयुत विभागों और नगर निगम का अनापत्ति प्रमाण पत्र जरूरी होगा.
- मदिरा आयात की प्रक्रिया को सरल बनाया जा सकेगा.
- होम बार लाइसेंस दिया जा सकेगा जिसके लिये 50 हजार रुपये वार्षिक लाइसेंस फीस होगी. इसकी पात्रता उन्हीं को होगी जिनकी सकल व्यक्तिगत आय न्यूनतम एक करोड़ हो.
कमलनाथ सरकार ने भी बार लाइसेंस के नियमो में किया था बदलाव
राजस्व बढ़ाने और खाली खजाना भरने के लिए जंगलों में टूरिस्ट और हेरिटेज प्लेस में बार लाइसेंस को कमलनाथ सरकार ने आसान किया था. जंगलों में खासकर राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व क्षेत्र के आसपास के इलाकों में चल रहे हेरिटेज होटल में आसानी से बार लिया जा सकता था. सरकार ने इसके लिए प्रक्रिया आसान की थी. कांग्रेस सरकार का तर्क था कि इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.
(MP new excise policy) (Bars licenses in districts of MP will be given by collectors)