भोपाल। प्रदेश के प्राइवेट संस्थानों में अब महिलाएं नाइट शिफ्ट में भी काम कर सकेंगी, हालांकि इसके लिए कुल कर्मचारियों के दो तिहाई या कम से कम दस महिलाओं को ही नाइट शिफ्ट में ड्यूटी पर लगाया जा सकेगा. राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश दुकान एवं स्थापना अधिनियम के तहत प्रदेश की सभी दुकानों और वाणिज्यिक संस्थानों के लिए नियम लागू कर दिए हैं, जिसमें महिलाओं की नाइट शिफ्ट की ड्यूटी में वॉर्डन, सुपरवाईजर, फोरमेन और शिफ्ट इंचार्ज के पद पर भी महिलाओं को रखना होगा. (MP Labour Department)
सुरक्षा के रखने होंगे पुख्ता इंतजाम: श्रम विभाग ने नाइट शिफ्ट में महिलाओं की ड्यूटी के लिए उनके सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं. नियमों में प्रावधान किया गया है कि नाइट शिफ्ट के लिए दो महिला वॉर्डन तैनात करना अनिवार्य होगा, जो विशेष कल्याण सहायक के रूप में काम करेंगी. नियोक्ता के लिए अब कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए जरूरी कदम उठाते हुए ऐसे मामलों में अभियोजना की कार्रवाई करना अनिवार्य होगा, ऐसे मामलों में यौन व्यवहार चाहे प्रत्यक्ष हो या अप्रत्यक्ष, शारीरिक संपर्क, यौन स्वीकृति के लिए मांग अथवा अश्लील साहित्य दिखाने, अश्लील फब्तियां और अवांछनीय शारीरिक संपर्क जैसी गतिविधियों पर सख्ती से रोक लगाने के तमाम इंतजाम करने हों.
महिलाएं नाइट शिफ्ट में कर सकेंगी काम, सुरक्षा पर सवाल
इसलिए किए गए हैं प्रावधान: इसके अलावा संस्थान में समुचित चिकित्सा सुविधा, टेलीफोन कनेक्शन और सौ से अधिक महिलाएं होने पर अस्पताल में भर्ती करने के लिए एक अलग वाहन तैयार करना होगा, राज्य सरकार महिला कर्मचारियों की नाइट ड्यूटी के संबंध में पहले ही अधिसूचना जारी कर चुकी है. इसके लिए कारखाना अधिनियम 1984 की धारा 5 में मिली शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए कर्मचारियों के काम के समय को लेकर प्रावधान किए गए थे.
क्या है संशोधित नियम: दरअसल श्रम विभाग ने एमपी में महिलाओं को नाइट शिफ्ट में काम करने के लिए नियमों में संशोधन का प्रस्ताव तैयार किया है, इस प्रस्ताव के अंतर्गत प्रदेश के सभी सेक्टर में महिलाओं को रात 10 से सुबह 6 बजे तक काम करने की मंजूरी दी है.