जबलपुर। प्रदेश में साल 2012-13 में हुए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले में लिप्त पैरामेडिकल कॉलेज के खिलाफ कार्यवाही नहीं किये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. जिसपर चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस पी के कौरव की युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिका पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद तय की गई है.
लॉ स्टडेंड एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की याचिका में कहा गया था कि साल 2012-2013 में एसटी,एससी व ओबीसी वर्ग को मिलने वाली पोस्ट मैटिक छात्रवृत्ति के वितरण में कॉलेजों द्वारा जमकर घोटाला किया गया था. पैरामेडिकल कॉलेजों में हुए घोटाले की जांच करते हुए साल 2016 में हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पेश किये गये जवाब में कहा गया था कि पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू व लोकायुक्त द्वारा जारी है. इसके अलावा इंजीनियरिंग सहित अन्य कॉलेजों से छात्रवृत्ति की 99 प्रतिशत राशि की वसूली कर ली गई है. जिसके बाद हाईकोर्ट ने याचिका का निराकरण कर दिया था.
दायर याचिका में कहा गया था कि पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले में पैरा मेडिकल कॉलेजों से वसूली गयी राशि के संबंध में विधान सभा में प्रश्न उठाया गया था. जिसके जवाब में बताया गया था कि छात्रवृत्ति घोटाले के 15 करोड रूपये वसूलने के लिए संबंधित पैरामेडिकल कॉलजों को नोटिस जारी किया गया था. पैरा मेडिकल कॉलेजों से अभी तक 1 करोड 23 लाख रूपये की ही रिकवरी की गई है. याचिका में कहा गया था कि आठ साल से अधिक का समय गुजर जाने के बावजूद भी घोटाले की मात्र आठ प्रतिशत राशि ही पैरा मेडिकल कॉलेजों से वसूली गयी है.। लोकायुक्त ने पैरा मेडिकल कॉलेजों में हुए छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में साल 2015 में 97 एफआईआर दर्ज की गयी थी. 6 साल से अधिक का समय गुजर जाने के बावजूद भी लोकायुक्त ने कोई कार्यवाही नहीं की है. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने प्रदेश सरकार,डीजीपी सहित अन्य संबंधित विभागों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
अधिकांश कॉलेज भाजपा नेताओं के
कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना ने बताया कि भाजपा नेताओं द्वारा संचालित पैरा मेडिकल कॉलेज में छात्रवृत्ति घोटाला हुआ था. जिसके कारण सरकार कोई कार्यवाही नहीं कर रही है. सरकार के दवाब में लोकायुक्त भी कार्यवाही नहीं कर रहा है. उनके द्वारा ही विधानसभा में यह प्रश्न उठाया गया था. मध्य प्रदेश में 2009 से लेकर 2013 के बीच 97 पैरा मेडिकल कॉलेजों में करोड़ों रुपए की छात्रवृत्ति घोटाले का मामला सामने आया था. शिकायतकर्ता अधिवक्ता विशाल बघेल ने छात्रवृत्ति घोटाले का खुलासा किया था. बघेल को सूचना के अधिकार से मिली जानकारी के मुताबिक एक ही छात्र के नाम पर कई पैरा मेडिकल कॉलेजों में नाम दर्ज कर छात्रवृत्ति की राशि निकाल ली गई थी. मामले का खुलासा होने के बाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने साल 2016 में दोषी कॉलेजों से छात्रवृत्ति की राशि को रिकवर करने का आदेश दिया था, लेकिन सरकार ने सिर्फ खानापूर्ति की.