भोपााल। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने यूपी में पार्टी की खोती साख को मजबूत करने ने लिए 40 फीसदी महिलाओं को विधानसभा चुनाव में टिकट आरक्षित करने का ऐलान किया. उन्होंने महिला सशक्तिकरण को लेकर एक स्लोगन भी दिया 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं'. प्रियंका के इस बयान पर पलटवार किया मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने. उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस महासचिव जो कह रही हैं, हम उनसे आगे हैं. उन्होंने कहा कि हमने एमपी में हो रहे चुनावों में 50 फीसदी महिलाओं को टिकिट दिया है. उन्होंने यह दावा उपचुनाव को लेकर किया था जिसमें 4 सीटों में 2 पर रैगांव और जोबट में बीजेपी ने महिला कैंडिडेट को टिकिट दिया है. बीजेपी और कांग्रेस के दावों के बीच पार्टियों में महिलाओं की स्थिति और उन्हें दिए जा रहे आरक्षण को लेकर नई बहस छिड़ गई है.
क्या कहा प्रियंका गांधी ने- प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, कांग्रेस पार्टी ने फैसला किया है कि वह यूपी में आगामी विधानसभा चुनावों में महिलाओं को कुल चुनावी टिकट का 40 प्रतिशत देगी. ये टिकट सिर्फ जाति या धर्म के आधार पर नहीं बल्कि योग्यता के आधार पर दिए जाएंगे.
शिवराज सिंह का दावा
शिवराज सिंह चौहान ने अलीराजपुर जिले में जोबाट विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रचार कर रहे थे, उसमें उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता कि कांग्रेस महासचिव प्रिंयका गांधी वाड्रा ने क्या कहा, लेकिन हमारे यहां 50 प्रतिशत (चुनाव टिकटों में आरक्षण) है. चार उपचुनावों में हमारे पास दो महिलाएं उम्मीदवार चुनाव लड़ रही हैं.
महिला आरक्षण, बीजेपी-कांग्रेस दोनों फिसड्डी
प्रियंका गांधी के महिलाओं को चुनाव में 40% आरक्षण दिए जाने के बयान के बाद मध्यप्रदेश में नए सिरे से बहस छिड़ गई है. खासतौर से सीएम शिवराज सिंह चौहान के दावे के बाद बीजेपी में इस बात को लेकर सवाल उठने लगे हैं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया था कि नौकरियों में महिलाओं को 33 फ़ीसदी और चुनावों मे 50 फ़ीसदी आरक्षण दिया जाएगा, लेकिन हकीकत यह है कि शिवराज का यह एलान सिर्फ चुनावी घोषणा बनकर रह गया.
बीजेपी ने सिर्फ 10 % महिलाओं को दिया टिकिट
2018 विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ऐलान कर चुके हैं कि मध्य प्रदेश में शासकीय नौकरियों में महिलाओं को 33% और चुनाव में 50% आरक्षण दिया जाएगा, लेकिन हकीकत यह है कि बीजेपी ने चुनावों के टिकिट चयन में सिर्फ 10 फीसदी महिलाओं को ही टिकिट दिया बल्कि पुरुष ही हावी रहे.
- 2018 के चुनावों में 230 विधानसभा सीटों के लिए भाजपा ने 27 तो कांग्रेस ने सिर्फ 25 महिलाओं को उम्मीदवार. मतलब बीजेपी ने 12% तो कांग्रेस ने 11% महिलाओं को टिकट दिए.
- इससे पहले शिवराज मंत्रिमंडल में 31 में से सिर्फ 3 महिलाएं ही मंत्री थी.
- 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 28 तो कांग्रेस ने 21 यानि को महिलाओं को 10 और 12% ही टिकट दिए गए.
पार्टियों ने दिखाई कंजूसी, लेकिन खुद के दम पर लड़ा चुनाव
प्रदेश की राजनीति से जुड़ी दोनों प्रमुख पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस ने टिकिट वितरण में महिला आरक्षण के तमाम दावों और ऐलान के बावजूद महिला उम्मीदवारों को टिकट देने में कंजूसी बरती, लेकिन महिलाओं ने अपने दम पर चुनाव मैदान में अपने हाथ आजमाए.
- 1985 में हुए विधानसभा चुनाव में (जब एमपी औऱ छत्तीसगढ़ एक थे) 76 महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में थी. इस दौरान मध्य प्रदेश में विधानसभा सीटों की संख्या 320 थी.
बढ़ती रही है स्वतंत्र महिला उम्मीदवारों की संख्या
साल | महिला उम्मीदवार |
1990 | 150 |
1993 | 164 |
1998 | 181 |
2003 | 199 |
2008 | 221 |
2013 | 200 महिलाओं ने चुनावी मैदान में ताल ठोकी |
बीजेपी के संगठन में नहीं मिली महिलाओं को तवज्जो
मप्र बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान भी पार्टी कार्यकारिणी में अपने ही नेताओं और पार्टी के दावों को पूरा नहीं कर पाए पार्टी कार्यकारिणी में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दिए जाने की गाइडलाइन को नहीं निभा पाए. 25 लोगों की प्रदेश कार्यकारिणी में सिर्फ 4 महिलाओं को ही जगह दी गई थी. इसके बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बने राकेश सिंह अपनी कार्यकारिणी ही नहीं बना सके थे. उनके बाद मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने अपनी नई टीम बनाई है. इसमें 12 उपाध्यक्ष मे सिर्फ तीन महिलाएं हैं सात पुरुष हैं. जबकि 1 महिला मोर्चा की अध्यक्ष हैं.
मंत्रिमंडल में भी नहीं हुआ 33 फीसदी आरक्षण का पालन
शिवराज के ऐलान उनके मंत्रिमंडल की स्थिति देखें तो कुल 31 कैबिनेट मिनिस्टर्स में से सिर्फ तीन ही महिला मंत्री हैं. जिनमें यशोधरा राजे (खेल मंत्री), कुं. मीना सिंह मांडवे (आदिम जाति कल्याण) और उषा ठाकुर (पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री) हैं. जबकि सीएम शिवराज सिंह दावा करते हैं कि हम महिलाओं को संगठन में 33 फीसदी आरक्षण देते हैं और पंचायत चुनाव में 50 फीसदी टिकट महिलाओं को देते हैं.दावों की सच्चाई यह है कि शिवराज मंत्रिमंडल के 31 सदस्यों में से सिर्फ तीन महिलाएं मंत्री बनाई गई हैंं जिनका आंकड़ा 10% के करीब ही है. हालांकि बीजेपी प्रवक्ता नेहा बग्गा अपनी इस नाकामी को उपचुनाव की 4 सीटों पर 2 महिला उम्मीदवारों को दिए गए टिकिट से ढ़ंकने की कोशिश करती नजर आती हैं.
आंकड़े यह साबित करते हैं कि सीएम शिवराज उपचुनावों में 4 सीटों पर 2 महिला उम्मीदवारों को टिकट देकर जिस तरह महिलाओं को प्रदेश में चुनावों में 50 फीसदी आरक्षण देने का सेहरा अपने सर बांधने की चाहत रखते वह कोरी जुमलेबाजी है, जबकि हकीकत आंकड़ों में दिखाई देती है जहां न सिर्फ सत्ता बल्कि संगठन में भी महिलाओं की भागीदारी सिर्फ उंगलियों पर गिने जाने लायक है. जिसपर पर बीजेपी सिर्फ राजनीतिक बढ़त हासिल करना चाहती है.