भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार का स्वास्थ्य विभाग 10 हजार पदों पर बंपर भर्तियां करने जा रहा है. इसके लिए लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने इन राजपत्रित पदों के लिए भर्ती और सेवा शर्तों के नियम जारी कर दिए हैं. इन पदों पर ऐसे अभ्यर्थी भर्ती में शामिल नहीं हो पाएंगे, जिनकी दो जीवित पत्नियां होंगी. इसी तरह ऐसी महिला अभ्यर्थी भी भर्ती में शामिल नहीं हो सकेंगी, जिनके पति की पहले से दूसरी जीवित बीवी होगी. इसी तरह 21 साल की उम्र के पहले विवाह करने वाले भी इसके लिए अपात्र होंगे. भर्ती राज्य सेवा आयोग द्वारा की जाएगी.
10 हजार पदों पर होगी भर्तियां: प्रदेश में खाली पड़े डॉक्टर्स के पदों को भरने और हॉस्पिटल के प्रबंधन के लिए बनाए गए लोक स्वास्थ्य प्रबंधन संवर्ग के लिए 10 हजार से ज्यादा पदों पर सरकार भर्तियां करने जा रही है...
- लोक स्वास्थ्य प्रबंधन संवर्ग के लिए संचालक के 9 पद, अपर संचालक के समकक्ष के 13 पद, वरिष्ठ संयुक्त संचालक के समकक्ष के 76 पद, संयुक्त संचालक के समकक्ष के 212 पद, सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक के 52 पदों पर भर्तियां की जाएंगी.
- स्पेशलिस्ट पदों के लिए एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट के 385, ईएनटी स्पेशलिस्ट के 86, मेडिकल स्पेशलिस्ट के 648, स्त्री एवं प्रसूति रोग स्पेशलिस्ट के 632, नेत्र रोग विशेषज्ञ के लिए 126, अस्थि रोग विशेषज्ञ के 228, शिशु रोग विशेषज्ञ के 516, पैथालॉजिस्ट के 137, रेडियोलॉजिस्ट के 98, सर्जन विशेषज्ञ के 655 पदों पर भर्ती की जाएगी.
- चिकित्सक संवर्ग में चिकित्सा अधिकारी के पद पर 5097 पदों पर भर्ती होगी. दंत शल्य चिकित्सक पद पर 563 पद पर भर्ती होगी.
भर्ती के लिए नियम तय, यह रखी शर्तें: स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न संवर्ग के लिए होने वाली भर्तियां एमपी राज्य सेवा आयोग द्वारा की जाएगी. इसमें शर्त रखी गई है कि, यदि अभ्यर्थी ने न्यूनतम आयु से पहले विवाह किया है, तो वह सेवा या पद पर नियुक्ति के लिए पात्र नहीं माना जाएगा. इसी तरह किसी अभ्यर्थी की एक से अधिक जीवित पत्नियां हों, वह भी इसके लिए पात्र नहीं माना जाएगा. वहीं ऐसी महिला अभ्यर्थी भी पात्र नहीं मानी जाएंगी, जिसके पति की पहले से एक पत्नी जीवित हो.
प्रदेश में विशेषज्ञों की कमी: प्रदेश में डॉक्टर्स और स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की खासी कमी है. आंकड़ों के मुताबिक देखें तो, प्रदेश में तीन हजार से ज्यादा लोगों पर सिर्फ एक ही डॉक्टर है. ग्रामीण इलाकों में तो स्वास्थ्य केन्द्र सिर्फ कंपाउंडर और नर्स के भरोसे चल रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश के 446 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर ही नहीं है. प्रदेश के कुछेक जिलों के अलावा बाकी में विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं. प्रदेश मेडिकल काउंसिल में रजिस्टर्ड डॉक्टर्स की संख्या करीबन 55 हजार है, जबकि प्रदेश में 23 मेडिकल कॉलेज संचालित हैं.