भोपाल। मध्यप्रदेश का 5 दिन चलने वाला विधानसभा सत्र एक बार फिर हंगामे की भेंट चढ़ गया. सदन में आदिवासी और पोषण आहार घोटाले के मुद्दे पर विपक्ष की चर्चा कराए जाने की मांग को लेकर खूब तकरार हुई. हंगामे के चलते 45 मिनिट के भीतर सत्ता पक्ष ने साढ़े 9 हजार करोड़ का अनुपूरक बजट और 11 विधेयक बिना चर्चा के पास कराए. इसके बाद विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई. इस तरह से 5 दिन तक चलने वाला सत्र सिर्फ ढाई दिन में ही खत्म कर दिया गया.
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कमलनाथ जी काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती है।
— Dr Narottam Mishra (@drnarottammisra) September 15, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
कांग्रेस ने किसानों का कर्ज माफ नहीं किया बल्कि उन्हें डिफाल्टर किया। pic.twitter.com/gaYN1fmPiT
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कांग्रेस ने किसानों का कर्ज माफ नहीं किया बल्कि उन्हें डिफाल्टर किया। pic.twitter.com/gaYN1fmPiTकमलनाथ जी काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती है।
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45 मिनिट पास हुए सप्लीमेंट्री बजट सहित 11 विधेयक: सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक गर्भगृह में पहुंच गए और एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी. हंगामे के बीच सदन में 9519 करोड़ का अनुपूरक बिना चर्चा के ही पारित करा लिया गया, जबकि इसके लिए ढाई घंटे का समय निर्धारित किया गया था. इसके अलावा 11 विधेयक भी बिना चर्चा के पारित कर दिए गए. इनमें से 4 पर आज चर्चा होनी थी, जबकि 7 विधेयकों पर एक दिन बाद चर्चा होनी थी, लेकिन हंगामे के बीच सत्ता पक्ष ने सभी विधेयक बिना चर्चा के ही पास करा लिए.
सरकार किसी मुद्दे पर चर्चा कराना ही नहीं चाहती: विधानसभा में हंगामे को लेकर पक्ष-विपक्ष ने एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराया है. नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने आरोप लगाया कि सरकार किसी भी मुद्दे पर चर्चा कराना ही नहीं चाहती. पोषण आहार मामले में सरकार चर्चा से भाग रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार चाहती ही नहीं थी कि सत्र लंबा चले. नेता प्रतिपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पलटवार किया उन्होंने कहा कि विपक्ष किसी मुद्दे पर चर्चा करना ही नहीं चाहता थी, क्योंकि चर्चा होती तो कांग्रेस के पाप ही उजागर होते, इसलिए कांग्रेस विधायक सदन में सिर्फ हंगामा करते रहे.