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MP हंगामे की भेंट चढ़ा बजट सत्र, 13 बैठक और 60 घंटे होना था कामकाज, सिर्फ साढ़े 21 घंटे चला सदन

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Published : Mar 16, 2022, 10:22 PM IST

मध्यप्रदेश की करीब 8 करोड़ जनता के लिए लाए गए वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट को विधानसभा से महज 12 मिनिट में पारित कर दिया गया. (assembly budget session proceedings adjourned indefinitely) बजट पर चर्चा कराने में न तो सरकार ने रूचि दिखाई और न ही विपक्ष ने.

बजट सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
mp assembly budget session

भोपाल। मध्यप्रदेश की करीब 8 करोड़ जनता के लिए लाए गए वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट को विधानसभा से महज 12 मिनिट में पारित कर दिया गया. (assembly budget session proceedings adjourned indefinitely) बजट पर चर्चा कराने में न तो सरकार ने रूचि दिखाई और न ही विपक्ष ने. 7 मार्च से शुरू हुआ बजट सत्र 25 मार्च तक चलना था, लेकिन सदन में महज साढ़े 21 घंटे ही काम हुआ. सत्र के आखिरी दिन हंगामे के बीच सरकार ने 6 मिनिट में 3 विधेयक पास कराए और सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई.खास बात यह है कि कर्ज में डूबे प्रदेश की यह स्थिति तब है जब विधानसभा की 1 घंटे की कार्यवाही 45 लाख रुपए खर्च होता है.

13 दिन का सत्र 8 वें दिन ही खत्म
7 मार्च से शुरू हुआ विधानसभा का बजट 6 दिन चला, लेकिन इस दौरान सदन में सिर्फ साढ़े 21 घंटे ही काम काज हुआ, जबकि 7 मार्च से 25 मार्च तक सदन की कुल 13 बैठकें होनी थीं. विपक्ष के हंगामे और सरकार की रूचि ना होने के चलते सदन की कार्यवाही सिर्फ 6 बैठकों में ही सिमट कर रह गई. इस दौरान सरकार ने महज साढ़े 21 घंटे ही कामकाज हुआ.यह स्थिति तब है जब विधानसभा की कार्यवाही पर प्रति घंटे करीब 45 लाख रुपए खर्च होते हैं.

बजट बिना चर्चा पास
जनता के हित के दावे करने वाले पक्ष और विपक्ष ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट पर चर्चा करने और कराने में भी कोई रूचि नहीं दिखाई. विपक्ष के नेता कमलनाथ ने बजट के अभिभाषण की चर्चा तक में हिस्सा नहीं लिया. सत्ता पक्ष नेता प्रतिपक्ष के गैरहाजिर होने का मुद्दा उठाते हुए चर्चा को टालता रहा. सत्र के आखिरी दिन बजट बिना चर्चा के सिर्फ 12 मिनिट में पास कर दिया गया. इसके पहले सरकार ने समय की कमी को देखते हुए आय-व्यय पर चर्चा के साथ सभी विभागों की अनुदान मांगों को प्रस्तुत करने का अनुरोध किया.

कांग्रेस विधायकों की मांग लेकिन सदन में नहीं थे नेता प्रतिपक्ष
सत्र समाप्ति की घोषणा से पहले कांग्रेस विधायक एनपी प्रजापति ने कहा कि यह लोकतंत्र की हत्या है, हम सदन चलाने को तैयार है. जिसके जवाब में संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के सदस्य अपने नेता से बात कर लें, हम सदन चलाने को तैयार है, लेकिन कमलनाथ जी बोलें. इसके बाद विनियोग विधेयक, मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज संशोधन विधेयक क्रमांक-1 और क्रमांक 2 को पास कर दिया गया. जिसके बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई.

अब एक दूसरे पर लगा रहे हैं आरोप
सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किए जाने के बाद पक्ष और विपक्ष अब एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. विपक्षी नेता जीतू पटवारी ने आरोप लगाया कि सरकार सदन चलाना ही नहीं चाहती. वह विपक्ष के सवालों से बच रही है. जिसपर उधर संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि विपक्ष में सिर्फ एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ मची है वहां कोई भी चर्चा को लेकर गंभीर नहीं है. यहां तक कि नेता प्रतिपक्ष भी पूरे समय तक सदन में उपस्थित नहीं रहे.

भोपाल। मध्यप्रदेश की करीब 8 करोड़ जनता के लिए लाए गए वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट को विधानसभा से महज 12 मिनिट में पारित कर दिया गया. (assembly budget session proceedings adjourned indefinitely) बजट पर चर्चा कराने में न तो सरकार ने रूचि दिखाई और न ही विपक्ष ने. 7 मार्च से शुरू हुआ बजट सत्र 25 मार्च तक चलना था, लेकिन सदन में महज साढ़े 21 घंटे ही काम हुआ. सत्र के आखिरी दिन हंगामे के बीच सरकार ने 6 मिनिट में 3 विधेयक पास कराए और सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई.खास बात यह है कि कर्ज में डूबे प्रदेश की यह स्थिति तब है जब विधानसभा की 1 घंटे की कार्यवाही 45 लाख रुपए खर्च होता है.

13 दिन का सत्र 8 वें दिन ही खत्म
7 मार्च से शुरू हुआ विधानसभा का बजट 6 दिन चला, लेकिन इस दौरान सदन में सिर्फ साढ़े 21 घंटे ही काम काज हुआ, जबकि 7 मार्च से 25 मार्च तक सदन की कुल 13 बैठकें होनी थीं. विपक्ष के हंगामे और सरकार की रूचि ना होने के चलते सदन की कार्यवाही सिर्फ 6 बैठकों में ही सिमट कर रह गई. इस दौरान सरकार ने महज साढ़े 21 घंटे ही कामकाज हुआ.यह स्थिति तब है जब विधानसभा की कार्यवाही पर प्रति घंटे करीब 45 लाख रुपए खर्च होते हैं.

बजट बिना चर्चा पास
जनता के हित के दावे करने वाले पक्ष और विपक्ष ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट पर चर्चा करने और कराने में भी कोई रूचि नहीं दिखाई. विपक्ष के नेता कमलनाथ ने बजट के अभिभाषण की चर्चा तक में हिस्सा नहीं लिया. सत्ता पक्ष नेता प्रतिपक्ष के गैरहाजिर होने का मुद्दा उठाते हुए चर्चा को टालता रहा. सत्र के आखिरी दिन बजट बिना चर्चा के सिर्फ 12 मिनिट में पास कर दिया गया. इसके पहले सरकार ने समय की कमी को देखते हुए आय-व्यय पर चर्चा के साथ सभी विभागों की अनुदान मांगों को प्रस्तुत करने का अनुरोध किया.

कांग्रेस विधायकों की मांग लेकिन सदन में नहीं थे नेता प्रतिपक्ष
सत्र समाप्ति की घोषणा से पहले कांग्रेस विधायक एनपी प्रजापति ने कहा कि यह लोकतंत्र की हत्या है, हम सदन चलाने को तैयार है. जिसके जवाब में संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के सदस्य अपने नेता से बात कर लें, हम सदन चलाने को तैयार है, लेकिन कमलनाथ जी बोलें. इसके बाद विनियोग विधेयक, मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज संशोधन विधेयक क्रमांक-1 और क्रमांक 2 को पास कर दिया गया. जिसके बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई.

अब एक दूसरे पर लगा रहे हैं आरोप
सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किए जाने के बाद पक्ष और विपक्ष अब एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. विपक्षी नेता जीतू पटवारी ने आरोप लगाया कि सरकार सदन चलाना ही नहीं चाहती. वह विपक्ष के सवालों से बच रही है. जिसपर उधर संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि विपक्ष में सिर्फ एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ मची है वहां कोई भी चर्चा को लेकर गंभीर नहीं है. यहां तक कि नेता प्रतिपक्ष भी पूरे समय तक सदन में उपस्थित नहीं रहे.

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