भोपाल। मोदी कैबिनेट का 7 जुलाई को शाम 6 बजे विस्तार किया जाना है. मध्य प्रदेश से मोदी कैबिनेट में शामिल होने वाले नेताओं में ज्यातिरादित्य सिंधिया, राकेश सिंह, गणेश सिंह का नाम शामिल होने के कयास लगाए जा रहे हैं. सिंधिया को पीएमओ से फोन भी आ चुका है और वे महाकाल की पूजा अर्चना करने के बाद दिल्ली रवाना हो चुके हैं. इस सबके बीच खास बात यह है कि मध्यप्रदेश बीजेपी के बड़े नेताओं में शुमार और बीजेपी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के नाम को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई.
कैलाश विजयवर्गीय की उपेक्षा क्यों ?
माना जा रहा है कि मोदी कैबिनेट में शामिल होने वाले चेहरों में युवा और अनुभव को वरीयता दी जाएगी. ज्योतिरादित्य सिंधिया युवा हैं, हार्वर्ड से ग्रेजुएट और स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ बिजनेस हैं. दूसरी तरफ कैलाश विजयवर्गीय हैं जो खासा अनुभव रखते हैं. केंद्रीय नेतृत्व भी उन्हें हरियाणा और पश्चिम बंगाल का प्रभार सौंप चुका है. हरियाणा में जहां पार्टी सत्ता में वापस लौटी तो पश्चिम बंगाल में पहले से काफी मजबूत हुई है. इसके पीछे कैलाश विजयवर्गीय की मेहनत ही है जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती. केंद्रीय कैबिनेट में सिंधिया को जगह मिलना उन्हें पार्टी की मध्यप्रदेश की सत्ता में वापसी कराने का इनाम माना जा रहा है. दूसरी तरफ कैलाश विजयवर्गीय हैं जो विपरीत परिस्थितिओं में भी पार्टी को मजबूत करते रहे हैं. ऐसे में उनकी देखी मध्यप्रदेश और विजयवर्गीय समर्थकों को निराश कर रही है.
सत्ता, संगठन और मंत्री बनाए जाने का समीकरण
मध्य प्रदेश से जिन चेहरों को केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किया जा रहा है इसके लिए सत्ता और संगठन दोनों के लेबल पर ही समीकरण सेट किया गया है. इसी का नतीजा है कि मध्य प्रदेश कोटे से मोदी मंत्रिमंडल में शामिल रहे थावरचंद गहलोत को विस्तार से ठीक पहले कर्नाटक का राज्यपाल बनाकर उनकी कैबिनेट में दावेदारी खत्म कर दी गई. दूसरा नाम जबलपुर से बीजेपी सांसद राकेश सिंह का है जिन्हें महाकौशल में पार्टी की पकड़ बनाए रखने के लिए केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है. सिंह मध्य प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं, हालांकि उनके अध्यक्ष रहते हुए ही पार्टी मध्य प्रदेश में अपनी सत्ता गंवा चुकीं थी. बावजूद इसके उनका नाम सामने आया केंद्रीय नेतृत्व की क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने की कवायद हो सकता है. क्योंकि केंद्र में मध्य प्रदेश से मौजूदा मंत्रियों में प्रह्लाद पटेल बुंदेलखंड से आते हैं. जबकि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर चंबल और अब ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर चंबल संभाग के साथ ही मालवा और महाराष्ट्रियन कम्युनिटी में खासा प्रभाव रखते हैं. सिंधिया को मंत्री बनाए जाने के लिए एमपी कोटे से मंत्री रहे थावरचंद गहलोत की राज्यपाल के रूप में विदाई करा दी गई है. वहीं राकेश सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल कराने के लिए फग्गन सिंह कुलस्ते (इस्पात मंत्री) की विदाई भी संभव मानी जा रही है.
मध्य प्रदेश कोटे से बनाए गए थे 5 मंत्री
2019 में मोदी मंत्रिमंडल में मध्यप्रदेश के कोटे से 5 मंत्री बनाए गए थे. इनमें धर्मेंद्र प्रधान (राज्यसभा) थावरचंद गहलोत (राज्यसभा) फग्गन सिंह कुलस्ते (लोकसभा सांसद- मंडला) नरेंद्र सिंह तोमर ( लोकसभा- मुरैना) प्रह्लाद पटेल ( लोकसभा- दमोह). पहले विस्तार में बुधवार को मंत्रीमंडल में शामिल किए जाने को लेकर केवल ज्योतिरादित्य सिंधिया को फोन आया है. सिंधिया मध्यप्रदेश से राज्यसभा सदस्य हैं और मौजूदा कैबिनेट में थावरचंद को राज्यपाल बनाए जाने के बाद राज्यसभा कोटे से 1 मंत्री की जगह खाली हुई है जिसे ज्योतिरादित्य सिंधिया के जरिए भरा जा रहा है.
फग्गन सिंह को हटाने पर ही हो सकती है किसी की एंट्री
मंडला से सांसद और मध्य प्रदेश में बीजेपी का आदिवासी चेहरा फग्गन सिंह कुलस्ते केंद्र में इस्पात मंत्री हैं. उनके कार्यकाल की कोई विशेष उपलब्धी नहीं है. हाल ही में कोरोना काल में 'शराब को टॉनिक' बताने का बयान देकर चर्चा में भी रहे हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि फग्गन सिंह कुलस्ते को अगर मंत्रीमंडल से हटाया जाता है तो उनकी जगह विंध्य क्षेत्र को भी प्रतिनिधित्व मिल सकता है. यहां से सतना के सांसद गणेश सिंह का दावा मजबूत माना जा रहा है. गणेश सिंह पिछड़ा वर्ग से आते हैं. आदिवासी वर्ग से आने वाले फग्गन सिंह को हटाकर पिछड़ा वर्ग से सांसद गणेश सिंह को शामिल किया जा सकता है. वही जबलपुर से बीजेपी सांसद राकेश सिंह को भी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की चर्चा है. इनकी एंट्री भी किसी मंत्री को हटाने के बाद ही संभव दिखती है.
कैबिनेट विस्तार में 17 से 22 मंत्री हो सकते हैं शामिल
माना जा रहा है कि बुधवार शाम 6 बजे होने वाले मोदी कैबिनेट के विस्तार में 17 से 22 नए मंत्री शामिल किए जा सकते हैं. जबकि कुछ पुराने मंत्रियों का पत्ता कट सकता है. खास बात ये है कि कबिनेट विस्तार में युवा और अनुभव को तरजीह दी जाएगी. माना जा रहा है कि मोदी मंत्रिमंडल इस विस्तार के बाद सबसे युवा मंत्रिमंडल होगा, मतलब उम्र का औसत सबसे कम होगा. वहीं केंद्रीय कैबिनेट में महिलाओं का प्रतिनिधित्व भी बढ़ाया जाएगा.