भोपाल. मध्यप्रदेश में मिशन 2023 के लिए कांग्रेस भी बीजेपी की तर्ज पर आक्रामक चुनाव प्रचार करने की रणनीति तैयार कर रही है. बीजेपी अब तक जिस तरह अपने चुनावी कैम्पेन में कांग्रेस के दस साल के शासन काल और अपनी सरकार का अंतर गिनाती है. कांग्रेस भी उसी अंदाज़ में कैम्पेन करेगी. इसके लिए कांग्रेस गांव गांव से जानकारी जुटाने के साथ पुख्ता जानकारी लेकर सामने आएगी और बताएगी कि किस सरकार में विकास का ग्राफ कैसा था और कहां तक पहुंचा. कांग्रेस का प्लान है कि वो 2023 के विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस मध्यप्रदेश की ग्राउंड रिपोर्ट जनता के सामने पेश कर दे.
2 अक्टूबर से प्रदेश भर में लगेगी गांधी चौपाल: दो अक्टूबर से मध्यप्रदेश में शुरु हो रही कांग्रेस की गांधी चौपाल के जरिए कांग्रेस एक पंथ कई काज को ध्यान में रखते हुए अपनी प्लानिंग को अंजाम देगी. ये चौपालें ग्रामीण वोटर से सीधी कनेक्टिविटी बनाने का जरिया तो होंगी ही, इसकी साथ ही पार्टी की तैयारी गांव गांव तक पहुंचकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के जरिए हर गांव की जमीनी जानकारी भी जुटाई जाएगी. गांवों में मौजूद बुनियादी सुविधाओं की पूरी लिस्ट तैयार की जाएगी. इसके बाद बीजेपी और कांग्रेस की सरकार में उन गावों में कितना विकास हुआ इसका आकलन किया जाएगा. जो तथ्यों पर आधारित होगा. इसके आधार पर कांग्रेस अपना ड्राफ्ट पेश करेगी.
23 हज़ार पंचायत 53 हजार गांवों तक पहुंचने का प्लान: कांग्रेस की तैयारी 23 हजार पंचायतों के साथ 53 हजार गावों तक पहुंचने की है. यह चुनावों से पहले पार्टी का एक बड़ा जनसंपर्क अभियान होगा. गांव गांव के वोटर तक पहुंचकर कांग्रेस के कार्यकर्ता उनकी समस्याएं जानेंगे. और पता करेंगे कि प्रदेश में विकास के जो दावे किए जाते हैं उनकी हकीकत क्या है.
कांग्रेस बताएगी फर्क यहां है: कांग्रेस के इस बड़े अभियान के संयोजक वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेन्द्र गुप्ता बताते हैं कि गांधी जयंती से शुरु हो रहे इस कार्यक्रम में हम गांव गांव की सही तस्वीर जानेंगे. कहां पिछले 15 साल से सड़क नहीं बनी. कहां बिजली नहीं आई. किन स्कूलों को अपग्रेडेशन नहीं हुआ. कहां अस्पताल की मांग आज भी अधूरी है. राजनीतिक तौर पर जो बयान दिए जाते हैं हम उनकी हकीकत जानेंगे और जानकारी जुटाएंगे. जनता को और बताएंगे कि बीजेपी की सरकार और सीएम शिवराज जो दावा करते हैं असल में उन दावों की हकीकत क्या है.
60 साल बनाम 8 साल का फर्क: बीजेपी प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी कांग्रेस के इस कैम्पेन पर तंज करते हुए कहते हैं कि कांग्रेस जो विकास के दावे पर सवाल उठा रही है पहले वह खुद फर्क करे कि उनकी पार्टी की सत्ता के 60 साल और मोदी सरकार के 8 साल के शासन का फर्क क्या है. मध्यप्रदेश में भी पिछले 18 साल में हुए बड़े बदलाव सामने हैं. एमपी में 2003 के आस पास प्रतिव्यक्ति आय तैंतीस हजार के करीब हुआ करती थी. अब ये बढ़कर एक लाख 24 हजार रुपए हो चुकी है. जब दिग्विजय सिंह इस प्रदेश के मुख्यमंत्री थे पूरा प्रदेश कर्ज में डूबा हुआ था. शिवराज सरकार में ओव्हर ड्राफ्ट की स्थिति नहीं बनीं. कमलनाथ सरकार की जो पंद्रह महीने की सरकार का ही उदाहरण ले लीजिए कहा था कि चार हजार का बेरोजगारी भत्ता देंगे. आज तक नौजवानों को नहीं मिला. कांग्रेस के पास दिखाने के लिए केवल दलाली और गांधी परिवार की चापलूसी है.
2023 विधानसभा चुनावों की तैयारी को लेकर दोनों पार्टियां पूरे जी जान से जुट गई हैं. बीजेपी जहां सत्ता में होने का फायदा उठाकर फिर से सत्ता में वापसी का राह बनाने में लगी है. दूसरी तरफ हाथ आई सत्ता गंवा चुकी कांग्रेस अबतक पार्टी की टूट के दर्द को नहीं भूल पाई है. कांग्रेस प्रदेश में बीजेपी के विकास के दावों की सच्चाई दिखाकर बढ़त हासिल करने की कोशिश में है. हालांकि ये कोशिशें कितनी रंग लाती हैं यह चुनावों के बाद ही साफ हो पाएगा.