भोपाल। जिस डिग्री से आपका करियर बनता है, आपकी रोजी-रोटी चलती है. अगर वही फर्जी निकल जाए तो आपका पूरा करियर तबाह हो सकता है. फर्जी कोर्स चलाने वाले या डिग्री देने वाले संस्थानों की पहचान मध्यप्रदेश में हुई है. जहां आयु सीमा निर्धारित होने के बाद भी कम उम्र के छात्रों को DMLT और DRT डिप्लोमा कोर्स करा दिया दिया गया. राजस्थान में हुई रेडियोग्राफर पद की भर्ती में मध्यप्रदेश के अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया था. जांच के लिए राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल ने 413 स्टूडेंट्स की सूची बनाकर मध्यप्रदेश पैरामेडिकल काउंसिल को पत्र भेजा. दस्तावेज जांच के दौरान अनियमितता सामने आई.
जिन अभ्यर्थियों की न्यूनतम आयु 17 साल पूरी नहीं हो पाई थी उन्हें भी डिप्लोमा के लिए एडमिशन दिया गया था. अभ्यर्थियों को बैक डेट में सर्टिफिकेट जारी किए गए थे. रजिस्ट्रार डॉ. पूजा शुक्ला के मुताबिक जांच में गड़बड़ी पाए जाने के बाद 110 छात्र-छात्राओं के कोर्स का पंजीयन निरस्त कर दिया है.
छात्रों के पंजीयन निरस्त
- स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय सागर के 53 छात्र
- सत्य साई यूनिवर्सिटी सीहोर के 29 छात्र
- सर्वपल्ली राधाकृष्णन यूनिवर्सिटी भोपाल के 26 छात्र
- रविन्द्र नाथ टैगोर यूनिवर्सिटी भोपाल के 2 छात्रों का पंजीयन निरस्त किया गया है.
इन यूनिविर्सिटी में हुआ फर्जीवाड़ा : यूनिवर्सिटी ने डिप्लोमा के लिए जरूरी दस्तावेजों का ध्यान ही नहीं रखा. चार निजी यूनिवर्सिटी का नाम फर्जीवाड़े में सामने आया है. सत्य साई यूनिवर्सिटी सीहोर, रवीन्द्र नाम टैगोर यूनिवर्सिटी (आईसेक्ट रायसेन) डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन यूनिवर्सिटी भोपाल और स्वामी विवेकानंद यूनिवर्सिटी सागर से फर्जी डिप्लोमा जारी किए गए थे.