भोपाल। प्रदेश में निकाय चुनाव की प्रक्रिया समय से पूरी होने में भले ही अंदेशा हो लेकर पंचायत चुनाव जल्द ही हो सकते हैं. राज्य निर्वाचन आयोग निकाय चुनावों से पहले पंचायत चुनाव करा लेना चाहता है. इसके लिए आयोग ने सभी तैयारियां भी लगभग पूरी कर ली हैं. प्रदेश सरकार नवम्बर के बाद चुनाव कराना चाहती है. इस मामले में आयोग ने हाईकोर्ट में एक आवेदन भी दिया है.
जल्द हो आरक्षण संबंधी याचिकाओं का निपटारा
राज्य निर्वाचन आयोग अक्टूबर महीने में ही पंचायत चुनाव (Panchayat Chunav) करवाना चाहता है. दूसरी तरफ प्रदेश सरकार ने नवम्बर के बाद चुनाव कराने की मांग रखी है. निर्वाचन आयोग ने मामले में हाई कोर्ट में आवेदन पेश करते हुए अपील है कि कोर्ट आरक्षण सम्बन्धी सभी याचिकाओं का जल्द निराकरण करे.आवेदन में कहा गया है कि हाई कोर्ट सरकार को निर्देशित करे की जल्द जिला पंचायत अध्यक्षों की आरक्षण प्रक्रिया पूरी की जाए. आयोग ने कहा है कि जिन निकायो में आरक्षण को चुनौती दी गई है, उन निकायों को छोड़कर बाकी प्रदेश में निकाय चुनाव करवाने की भी अनुमति दी जाए.
दिसम्बर में नहीं हुए चुनाव तो मार्च तक टल सकते हैं
राज्य निर्वाचन आयोग निकाय चुनाव कराने की तैयारी भी लगभग पूरी कर चुका है. जानकारों का भी मानना है कि निकाय चुनाव अगर दिसम्बर तक नहीं हुए तो मार्च तक चुनाव की प्रक्रिया टल सकती है. दिसम्बर में चुनाव न हो सकने की स्थिति में निर्वाचन आयोग को नए सिरे से मतदाता सूची का प्रकाशन करना होगा. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि चुनाव प्रक्रिया समय पर पूरी नहीं हो पाएगी.
कांग्रेस का आरोप, भाजपा कर रही केवल दिखावा
कांग्रेस प्रवक्ता जेपी धनोपिया का कहना है कि भाजपा केवल दिखावा कर रही है. वास्तव में भाजपा की जमीन कोरोना महामारी के चलते खिसक गई है. भाजपा चुनाव कराने से डर रही है. धनोपिया का कहना है कि भाजपा चुनाव कराकर देखे तो पता चल जाएगा कि वह धरातल पर कहां खड़ी है. कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से तैयार है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के कार्यकाल में जन हितैषी योजनाओं के साथ अच्छा कामकाज हुआ है. इसका फायदा कांग्रेस को मिलना तय है।
पहले कांग्रेस, फिर भाजपा सरकार ने टाले थे चुनाव
नगरीय निकाय चुनाव पहले कमलनाथ सरकार ने टाल दिए थे. कांग्रेस सरकार ने करीब 6 महीने के लिए चुनाव आगे बढ़ा दिए थे. इस दौरान राज्य में भाजपा की सरकार बन गई. हालांकि नगरीय निकाय चुनाव की तारीख भाजपा ने भी आगे बढ़ा दी थी. मार्च 2021 में चुनाव आयोग ने नगरीय निकाय चुनाव कराने की पूरी तैयारी कर ली थी. इसके बाद अध्यक्ष व महापौर के आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगने से चुनाव प्रक्रिया पर रोक लग गई थी. इन याचिकाओं का अभी तक निराकरण नहीं हो पाया है. जानकारी के मुताबिक, निर्वाचन आयोग ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर जिन निकायों में आरक्षण का मसला है वहां छोड़कर बाकी प्रदेश में चुनाव कराए जाने की अनुमति मांगी है.
सभी नगर निगमों पर भाजपा का था कब्जा
पिछले नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा ने सभी 16 नगर निगमों पर कब्जा जमाया था. राज्य के 407 नगरीय निकायों में चुनाव होना है. इन चुनाव को जीतने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है.