भोपाल। मप्र के कई आईएएस अफसर कहीं अपनी किताबों को लेकर सुर्खियों में रहे तो कई विवादों को लेकर और कई अपने फिल्म प्रेम को लेकर. हाल ही में फिल्म द कश्मीर फाइल्स पर बयानबाजी कर सरकार की आंखों के किरकिरी बने थेआईएएस अधिकारी नियाज खान. उनके बाद अब प्रदेश के एक और आईपीएस अधिकारी दलितों पर हुए अत्याचारों को लेकर बनाई अपनी फिल्म लेकर सामने आ रहे हैं. हालांकि ये अधिकारी रिटायर्ड हो चुके हैं लेकिन वे जिस विषय पर फिल्म बना रहे हैं उसपर काफी विवाद हो चुका है. फिल्म का टाइटल है द बैटल ऑफ भीमा कोरेगांव.
रिटायर्ड अधिकारी हैं रमेश थेटे: मप्र के दलित आईएएस अधिकारी रहे रमेश थेटे प्रशासन में होते हुए भी कई बार सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं. शिवराज सरकार आए दिन उनके निशाने पर रही. उन्होंने सरकार पर यह भी आरोप लगाया था कि वे दलित और अंबेडकरवादी हैं, इसी के चलते सरकार में उन्हें प्रमुख सचिव नहीं बनाया गया. अब यही अफसर दलितों के साथ हुए अन्याय पर एक मेगा फिल्म बनाकर उसे रिलीज कराने की तैयारी में जुट गए हैं.
फिल्म में मुख्य भूमिका में होंगे अर्जुन रामपाल और सन्नी लियोन: रमेश थेटे रिटायर्ड हो चुके हैं. रिटायर्डमेंट के बाद बे फिल्म निर्माण में जुट गए हैं. थेटे का कहना है कि 'द बैटल ऑफ भीमा कोरेगांव' की कहानी बहुत आगे बढ़ चुकी है, इस फिल्म में मशहूर बॉलीवुड एक्टर अर्जुन रामपाल और सन्नी लियोन लीड रोल में हैं . रमेश थेटे की माने तो इस फिल्म को जनभागीदारी से बनाया जा रहा है. थेटे ने बताया कि फिल्म को बनाने में 2500 लोगों ने अपनी मेहनत की कमाई लगाई है. उनका दावा है कि फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है. थेटे कहते हैं कि फिल्म 'द बैटल ऑफ भीमा कोरेगांव' के निर्माण में कोविड की तीसरी लहर में कुछ रुकावट आई थी, लेकिन अब फिल्म जल्द ही रिलीज होगी.
मप्र के पहले आईएएस जो बना रहे हैं कमर्शियल फिल्म: रमेश थेटे प्रदेश से जुड़े ऐसे पहले आईएएस अधिकारी हैं जो कमर्शियल सिनेमा का निर्माण कर रहे हैं. थेटे ने बताया कि फिल्म सच्ची घटनाओं पर आधारित है. जिसमें दिखाया गया है दलितों के पूर्वजों के साथ किस तरह का बर्ताव किया जाता था.
फिल्म का विषय विवादित: रिटायर्ड IAS और फिल्म के डायरेक्टर रमेश थेटे ने बताया कि 'द बैटल ऑफ भीमा कोरेगांव' फिल्म ईस्ट इंडिया कंपनी के 500 महार दलित सैनिकों और मराठा शासकों की बीच हुई लड़ाई की घटना पर आधारित है. फिल्म के गीतकार और गायकों में से एक वे भी हैं, रमेश थेटे ने कहा कि भारत में 20 करोड़ दलित हैं और अगर इनमें से दो करोड़ दलितों ने भी उनकी फिल्म देखी तो उन्हें पता चलेगा कि उनके पूर्वजों के साथ कैसा बर्ताव किया गया था. उन्हें किस तरह से प्रताड़ित किया जाता था और ये फिल्म जातिहीन और वर्गहीन समाज में एक क्रांति लाने का काम करेगी. उन्होने बताया कि वे इस फिल्म को थिएटर में ही रिलीज करेंगे. फिल्म को ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज करने का उनका कोई इरादा नहीं है. जल्द ही सिल्वर स्क्रीन पर आपको ये फिल्म दिखाई देगी.
मप्र के कई आईएएस और आईपीएस भी लिख चुके हैं किताबें
हाल ही आई फिल्म द कश्मीर फाइल्स पर अपनी बेबाक राय रखने वाले आईएएस अधिकारी नियाज खान भी कई किताबें लिख चुके है. उनका भी कहना है कि अभी तो उनका किताबें लिख रहे हैं, लेकिन भविष्य में वे भी फिल्म निर्देशन के बारे में सोच रहे हैं. प्रमुख सचिव रहे मनोज श्रीवास्तव भी नौकरी के दौरान कई किताबें लिख चुके हैं. सवाल यह है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का ये सिनेमा प्रेम कहीं सरकार का सिरदर्द न बढ़ा दे.