भोपाल/इंदौर/छिंदवाड़ा। 17 दिन चले सियासी ड्रामे के बाद आखिरकार कमलनाथ ने सीएम पद से इस्तीफा दिया और कांग्रेस सरकार गिर गई. कमलनाथ ने अपने इस्तीफे में जो लिखा वो उनके एक मझे हुए राजनेता का बड़ा उदाहरण था. कमलनाथ ने 15 महीने की अपनी उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि उन्होंने 40 साल की राजनीति में नैतिकता के सभी मापदंड़ों का पालन किया.
लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर कमलनाथ कहा फेल हो गए कि उनकी सरकार गिर गई. पिछले 17 दिन के सियासी ड्रामे पर नजर डाली जाए तो कई मोर्चों पर कमलनाथ ने यह दावा किया उनकी राजनीति पास है और बीजेपी की फेल. राजनीतिक जानकारों की माने तो कमलनाथ के इन दावों में कही न कही दम नजर आता है.
कमलनाथ ने कहा कि उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में केवल विकास को तरजीह दी. कर्तव्य पथ पर हम ना रुकेंगे और झुकेंगे, कमलनाथ ने पूरे ड्रामे में बीजेपी पर निशाना साधने की बजाए 15 महीने की सरकार के कामकाज को गिनाया और जनता के बीच एक भावुक अपील छोड़ गए. जाते-जाते जनता को ये मैसेज भी दे गए कि आज के बाद कल आता है और कल के बाद परसो भी आएगा. भले ही कमलनाथ नैतिकता के मामले में कई मोर्चों पर खुद को एक समझदार राजनेता साबित कर गए हो. लेकिन सियासी जानकारों का मानना है कि रणनीति के मामले में वे फेल भी नजर आए. राजनीतिक जानकारों के अनुसार ये वो कुछ अहम कारण रहे जिनसे कमलनाथ सरकार गिरने की स्थिति बनी.
कमलनाथ कितने पास, कितने फेल
- ज्योतिरादित्य सिंधिया को नहीं साध पाए कमलनाथ
- दिग्विजय पर जताया ज्यादा भरोसा
- विधायकों की नाराजगी को वक्त रहते दूर नहीं कर पाए
- प्रदेश अध्यक्ष और सीएम पद पर लंबे समय तक बने रहने का हुआ नुकसान
- राज्यसभा के लिए भी नेताओं में समनव्य नहीं बना पाए
कमलनाथ वक्त रहते इन सभी मामलों में सही डिसीजन ना ले पाने के चलते फंस गए. सियासी जानकारों की माने तो दिग्विजय सिंह पर जरुरत से ज्यादा भरोसा जताना भी कमलनाथ को भारी पड़ा. जबकि वे सीएम बनने के बाद से ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद भी संभाले रहे थे. जो शायद उनकी ही पार्टी के नेताओं को रास नहीं आया. और पार्टी के अंदर ही फूट पड़ गई. जिससे कमलनाथ सरकार गिर गई. लेकिन प्रदेश के सियासी इतिहास के लिए ये सवाल जरुर छोड़ गई कि कमलनाथ कितने पास हुए और कितने फेल.