जबलपुर/ भोपाल। मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का सेवा सेवानिवृत्त सहायक यंत्री दया शंकर प्रजापति, नगर निगम के असिस्टेंट इंजीनियर आदित्य शुक्ला, भोपाल में शिक्षा विभाग का उच्च श्रेणी लिपिक हीरो केसवानी...ये नाम हैं काली कमाई के उन धनकुबेरों के जो करोड़ों की संपत्ति, आलीशान मकान और महंगी गाड़ियों के मालिक हैं. जिनके खिलाफ बीते दो दिन में की लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में कार्रवाई की है. जांच में इनकी संपत्ति आय से 200 गुना से भी ज्यादा पाई गए है. ऐसा नहीं है कि मध्यप्रदेश में काले कुबेरों की कमाई बाहर आने का यह कोई पहला या दूसरा मामला हो, बल्कि हर महीने या कहें हर हफ्ते ही ऐसे काली कमाई के कुबेरों के नाम सामने आ जाते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि मध्य प्रदेश में ऐसे कितने काले कुबेर हैं जो सरकार की नाक के नीचे ही फलफूल रहे हैं. एक रिपोर्ट
रिटायर्ड सब इंजीनियर की संपत्ति आय से 280 गुना ज्यादा: बालाघाट में मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के सेवानिवृत्त सहायक यंत्री दयाशंकर प्रजापति के खिलाफ ईओडब्ल्यू को आय से अधिक संपत्ति की शिकायत मिली थी. जिसपर उनके घर सहित कई संस्थानों पर छापे मारे गए. प्रारंभिक जांच में रिटायर्ड सब इंजीनियर के पास आय से 280 गुना अधिक सम्पत्ति मिली है. रिटार्यड सब इंजीनियर 6 आलीशान मकान,15 प्लॉट का मालिक निकला. इसके अलावा दयाशंकरने दो कंपनियां बनाकर उसमें निवेश भी किया था. निवेश से संबंधित दस्तावेज भी ईओडब्ल्यू की टीम को दविश के दौरान मिले हैं.
दो कंपनियों में निवेश के दस्तावेज भी मिले: ईओडब्ल्यू जबलपुर के पुलिस अधीक्षक देवेन्द्र सिंह राजपूत के मुताबिक ईओडब्ल्यू की टीम ने शुक्रवार की सुबह सब इंजीनियर के बालाघाट, प्रेम नगर स्थित मकान में दविश दी. जिसमें सेंट मैरी स्कूल के पास 11360 वर्गफुट में बने चार आलीशान मकान , वार्ड नम्बर 22 में 42 सौ वर्गफुट में बने दो आलीशान मकान और अन्य संपत्ति के दस्तावेज मिले. इसके अलावा बालाघाट के बूढी में 0.747 हेक्टैयर के पांच प्लॉट तथा बालाघाट के अन्य स्थानों में सात प्लॉट, सिंगरौली में तीन प्लॉट के दस्तावेज मिले हैं. सेवानिवृत्त सहायक यंत्री ने बैनगंगा इलेक्टिकल्स तथा सतपुडा लिचिंग एण्ड फायनेंस कंपनी का गठन कर निवेश तथा सिंगरौली में एश ब्रिक्स की फैक्टरी में निवेश करने के संबंध में दस्तावेज मिले है. इसके अलावा जांच के दौरान 330 ग्राम सोना तथा 300 ग्राम चांदी भी मिली है. दस्तावेजो की जांच जारी है. एक अनुमान के मुताबिक रिटायर्ड सब इंजीनियर से मिली संपत्ति उसकी आय से लगभग 280 गुना ज्यादा है.
निगम के असिस्टेंट इंजीनियर के बैंक लॉकरों ने उगला लाखों का सोना: आय से अधिक संपत्ति के मामले में EOW की कार्यवाही की जद में फंसे जबलपुर नगर निगम के असिस्टेंट इंजीनियर आदित्य शुक्ला के बैंक लॉकरो ने लाखों का सोना उगला है. जांच में अब तक करोड़ों की संपत्ति के मालिक निकले आदित्य शुक्ला के खिलाफ ईओ डब्ल्यू की जांच का दायरा भी बढ़ता जा रहा है. ईओडब्ल्यू को एक इनफॉर्मर के भेजे गए पत्र ने भी अलर्ट कर दिया है. पत्र के मुताबिक नगर निगम के असिस्टेंट इंजीनियर का मंडला में एक आलीशान फार्महाउस, बेटी को गिफ्ट किया गया 75 लाख रुपए कीमत का मकान और शहर में संचालित आदित्य कान्वेंट स्कूल में हिस्सेदारी की जानकारी मिली है. पत्र में मिली शिकायत की जांच के लिए ईओडब्ल्यू ने अतिरिक्त टीम डिप्लॉय की है.
असिस्टेंट इंजीनियर की संपत्ति आय से 203 गुना ज्यादा: बुधवार को ईओडब्ल्यू की रेड में के बाद नगर निगम के असिस्टेंट इंजीनियर पर आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा दर्ज किया गया है. जांच में प्राथमिक तौर पर आय से 203 प्रतिशत अधिक संपत्ति अर्जित करने की बात स्पष्ट हुई. उसके बाद असिस्टेंट इंजीनियर की मां के नाम पर बैंक ऑफ इंडिया का एक लॉकर खोला गया तो उसमें 35 लाख का सोना और 1 किलो से ज्यादा वजन की चांदी मिली है. अब तक असिस्टेंट इंजीनियर की संपत्ति का कुल आंकड़ा 5 करोड़ से ऊपर पहुंच चुका है जो जांच के साथ ही लगातार बढ़ता जा रहा है. एसपी ईओडब्ल्यू एसपी देवेन्द्र प्रताप सिंह के मुताबिक जांच के जो तथ्य सामने आए हैं उसके मुताबिक शुक्ला की संपत्ति का आँकड़ा 2 से 3 करोड़ और बढ़ सकता है. फिलहाल जांच जारी है.
भोपाल में स्वास्थ्य विभाग का क्लर्क निकला करोड़पति: बुधवार सुबह 6 बजे स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ क्लर्क के बैरागढ़ स्थित आवास पर पहुंची. छापामार कार्रवाई से घबराकर उस सरकारी कर्मचारी ने जहरीला पदार्थ खा लिया था, हालांकि इलाज के बाद अब कर्मचारी हीरो केसवानी की हालत स्थिर है. ईओडब्ल्यू की कार्रवाई के दौरान केसवानी से 85 लाख रुपए कैश और 8 से ज्यादा प्रॉपर्टी के साथ करोडों की संपत्ति के दस्तावेज भी बरामद हुए हैं. 4 करोड़ की संपत्ति के कागजात के अलावा केसवानी जिस मकान में रहता है उसका कीमत भी 1.5 करोड़ आंकी गई है. (EOW Raid in Bhopal) (Bhopal EOW Action)
4 हजार के वेतन पर शुरू की थी नौकरी: जांच में पता चला है कि हीरो केसवानी ने बैरागढ़ के आसपास विकसित हो रही कॉलोनियों में कई प्लॉट खरीदे हैं. खास बात है कि हीरो केसवानी ने अपनी नौकरी लगभग ₹4000 महीने के वेतन से शुरु की थी. वर्तमान में उन्हें सातवें वेतनमान आयोग के हिसाब से ₹50000 वेतन प्राप्त हो रहा है. केसवानी ने अधिकांश संपत्ति अपनी पत्नी के नाम खरीदी है. कई संपत्तियां खरीद कर बेची भी गई हैं जिसमें जीव सेवा संस्थान की बेशकीमती जमीन भी शामिल है. आरोपी का बड़ा बेटा प्राइवेट नौकरी करता है जबकि छोटा बेटा कुछ महीने पहले ही सरकारी नौकरी में क्लर्क के पद पर पदस्थ हुआ है. ईओडबल्यू की कार्रवाई में आरोपी के घर से लाखों रुपए के सोने के जेवर खरीदने से संबंधित रसीदें भी प्राप्त हुई है. इसके अलावा तीन, चार पहिया वाहन एक एक्टिवा स्कूटर भी है. (Raid at Medical Education Department Clerk home) (Clerk ate poison In Bhopal)
कालेकुबेरों के यह वे कुछ नाम हैं जो इसी हफ्ते सामने आए हैं. मध्य प्रदेश में सरकारी विभागों के अधिकारी, बाबू, क्लर्क, पटवारी से लेकर चपरासी और बेलदार भी करोड़ों के मालिक बनकर सामने आए हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि सालों से जारी भ्रष्टाचार क्या जिम्मेदारों को दिखाई नहीं देता है. सवाल यह भी है कि मध्य प्रदेश में काली कमाई के कितने धनकुबेर हैं.