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Diwali 2021: जानिए आखिर क्यों दीपावली से ठीक एक दिन पहले मनाई जाती है नरक चतुर्दशी

हर साल दिवाली से ठीक एक दिन पहले छोटी दिवाली मनाई जाती है. जिसे कई लोग नरक चतुर्दशी भी कहते हैं. रिपोर्ट में जानें आखिर क्यों इसे दिवाली से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है.

Diwali 2021
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Published : Oct 31, 2021, 4:03 PM IST

Updated : Nov 3, 2021, 7:05 AM IST

दिवाली 2021 (Diwali 2021)। दिवाली से ठीक एक दिन पहले नरक चतुर्दशी मनाई जाती है. नरक चतुर्दशी का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मनाया जाता है. इस दिन भगवान कृष्ण, हनुमान जी, यमराज और मां काली की पूजा की जाती है. इसे छोटी दिवाली भी कहते हैं. कई जगह इसे नरक चौदस या नर्क चतुर्दशी या नर्का पूजा के नाम से भी जाना जाता है. इसके साथ ही इस दिन रूप चौदस और काली चौदस जैसे कई त्योहारों का आयोजन होता है. इस साल 3 नवंबर 2021 को नरक चतुर्दशी का पर्व मानाया जाएगा.

क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी ?

प्राचीन काल में नरकासुर राक्षस ने अपनी शक्तियों से देवताओं और ऋषि-मुनियों को बंदी बना लिया था. साथ ही 16 हजार 100 सुंदर राजकुमारियों को भी बंधक बना लिया था. नरकासुर के अत्याचारों से त्रस्त देवता और साधु-संत भगवान श्री कृष्ण की शरण में पहुंचे. नरकासुर को स्त्री के हाथों मरने का श्राप था, इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध किया. इस दौरान नरकासुर की कैद से 16 हजार 100 कन्याओं को आजाद कराया गया.

Diwali 2021: जानिए दीपावली के एक दिन पहले क्यों होती है यम की पूजा, नरक चौदस का महत्व और पूजा विधि

जिसके बाद इन कन्याओं ने श्री कृष्ण से कहा कि समाज उन्हें स्वीकार नहीं करेगा. इसलिए भगवान आप ही कोई उपाय करें. समाज में इन कन्याओं को सम्मान दिलाने के लिए सत्यभामा के सहयोग से श्री कृष्ण ने इन सभी कन्याओं से विवाह कर लिया. बाद में ये सभी भगवान श्री कृष्ण की 16 हजार 100 पटरानियां के तौर पर जानी जाने लगीं. नरकासुर से मुक्ति पाने की खुशी में देवगण और पृथ्वीवासी बहुत आनंदित हुए और उन्होंने यह पर्व मनाया. माना जाता है कि तभी से इस पर्व को मनाए जाने की परंपरा शुरू हुई. इस दिन श्रीकृष्ण की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन नरक की यातनाओं की मुक्ति के लिए कूड़े के ढेर पर दीपक जलाया जाता है।

दिवाली 2021 (Diwali 2021)। दिवाली से ठीक एक दिन पहले नरक चतुर्दशी मनाई जाती है. नरक चतुर्दशी का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मनाया जाता है. इस दिन भगवान कृष्ण, हनुमान जी, यमराज और मां काली की पूजा की जाती है. इसे छोटी दिवाली भी कहते हैं. कई जगह इसे नरक चौदस या नर्क चतुर्दशी या नर्का पूजा के नाम से भी जाना जाता है. इसके साथ ही इस दिन रूप चौदस और काली चौदस जैसे कई त्योहारों का आयोजन होता है. इस साल 3 नवंबर 2021 को नरक चतुर्दशी का पर्व मानाया जाएगा.

क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी ?

प्राचीन काल में नरकासुर राक्षस ने अपनी शक्तियों से देवताओं और ऋषि-मुनियों को बंदी बना लिया था. साथ ही 16 हजार 100 सुंदर राजकुमारियों को भी बंधक बना लिया था. नरकासुर के अत्याचारों से त्रस्त देवता और साधु-संत भगवान श्री कृष्ण की शरण में पहुंचे. नरकासुर को स्त्री के हाथों मरने का श्राप था, इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध किया. इस दौरान नरकासुर की कैद से 16 हजार 100 कन्याओं को आजाद कराया गया.

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जिसके बाद इन कन्याओं ने श्री कृष्ण से कहा कि समाज उन्हें स्वीकार नहीं करेगा. इसलिए भगवान आप ही कोई उपाय करें. समाज में इन कन्याओं को सम्मान दिलाने के लिए सत्यभामा के सहयोग से श्री कृष्ण ने इन सभी कन्याओं से विवाह कर लिया. बाद में ये सभी भगवान श्री कृष्ण की 16 हजार 100 पटरानियां के तौर पर जानी जाने लगीं. नरकासुर से मुक्ति पाने की खुशी में देवगण और पृथ्वीवासी बहुत आनंदित हुए और उन्होंने यह पर्व मनाया. माना जाता है कि तभी से इस पर्व को मनाए जाने की परंपरा शुरू हुई. इस दिन श्रीकृष्ण की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन नरक की यातनाओं की मुक्ति के लिए कूड़े के ढेर पर दीपक जलाया जाता है।

Last Updated : Nov 3, 2021, 7:05 AM IST
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