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नवरात्रि की सप्तमी तिथि के दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा, जानें कथा और विधि-विधान - नवरात्रि की सप्तमी तिथि के दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा

आज नवरात्रि की सप्तमी तिथि है. ये दिन मां कालरात्रि को समर्पित है. आज कालरात्रि देवी की पूजा की जाती है. जानिए क्या है देवी की पूजा की पद्दति और परंपरा.

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मां कालरात्रि
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Published : Oct 23, 2020, 6:42 AM IST

भोपाल। 23 अक्टूबर को नवरात्रि की सप्तमी तिथि है. सप्तमी की तिथि में मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. नवरात्रि की सप्तमी तिथि को विशेष माना गया है. मां कालरात्रि ने असुरों को वध करने के लिए ये रुप लिया था. मान्यता है कि सप्तमी की तिथि पर विधि विधान से पूजा करने से मां प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को आर्शीवाद प्रदान करती हैं.

मां कालरात्रि की पूजा का महत्व

मां कालरात्रि की पूजा से अज्ञात भय, शत्रु भय और मानसिक तनाव नष्ट होता है. मां कालरात्रि की पूजा नकारात्मक ऊर्जा को भी नष्ट करती है. मां कालरात्रि को बेहद शक्तिशाली देवी का दर्जा प्राप्त है. इन्हें शुभकंरी माता के नाम से भी बुलाते हैं. मां कालरात्रि की पूजा रात्रि में भी की जाती है.

मां कालरात्रि का स्वरूप

मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में बहुत ही भंयकर है, लेकिन मां कालरात्रि का हृदय बहुत ही कोमल और विशाल है. मां कालरात्रि की नाक से आग की भयंकर लपटें निकलती हैं. मां कालरात्रि की सवारी गर्धव यानि गधा है. मां कालरात्रि का दायां हाथ हमेशा उपर की ओर उठा रहता है, इसका अर्थ मां सभी को आशीर्वाद दे रही हैं. मां कालरात्रि के निचले दाहिने हाथ की मुद्रा भक्तों के भय को दूर करने वाली है. उनके बाएं हाथ में लोहे का कांटेदार अस्त्र है. निचले बाएं हाथ में कटार है.

मां कालरात्रि की पूजा विधि

मां कालरात्रि की पूजा आरंभ करने से पहले कुमकुम, लाल पुष्प, रोली लगाएं. माला के रूप में मां को नींबुओं की माला पहनाएं और उनके आगे तेल का दीपक जलाएं. मां को लाल फूल अर्पित करें. साथ ही गुड़ का भोग लगाएं. इसके बाद मां के मन्त्रों का जाप या सप्तशती का पाठ करें. इस दिन मां की पूजा के बाद शिव और ब्रह्मा जी की पूजा की जाती है.

भोपाल। 23 अक्टूबर को नवरात्रि की सप्तमी तिथि है. सप्तमी की तिथि में मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. नवरात्रि की सप्तमी तिथि को विशेष माना गया है. मां कालरात्रि ने असुरों को वध करने के लिए ये रुप लिया था. मान्यता है कि सप्तमी की तिथि पर विधि विधान से पूजा करने से मां प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को आर्शीवाद प्रदान करती हैं.

मां कालरात्रि की पूजा का महत्व

मां कालरात्रि की पूजा से अज्ञात भय, शत्रु भय और मानसिक तनाव नष्ट होता है. मां कालरात्रि की पूजा नकारात्मक ऊर्जा को भी नष्ट करती है. मां कालरात्रि को बेहद शक्तिशाली देवी का दर्जा प्राप्त है. इन्हें शुभकंरी माता के नाम से भी बुलाते हैं. मां कालरात्रि की पूजा रात्रि में भी की जाती है.

मां कालरात्रि का स्वरूप

मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में बहुत ही भंयकर है, लेकिन मां कालरात्रि का हृदय बहुत ही कोमल और विशाल है. मां कालरात्रि की नाक से आग की भयंकर लपटें निकलती हैं. मां कालरात्रि की सवारी गर्धव यानि गधा है. मां कालरात्रि का दायां हाथ हमेशा उपर की ओर उठा रहता है, इसका अर्थ मां सभी को आशीर्वाद दे रही हैं. मां कालरात्रि के निचले दाहिने हाथ की मुद्रा भक्तों के भय को दूर करने वाली है. उनके बाएं हाथ में लोहे का कांटेदार अस्त्र है. निचले बाएं हाथ में कटार है.

मां कालरात्रि की पूजा विधि

मां कालरात्रि की पूजा आरंभ करने से पहले कुमकुम, लाल पुष्प, रोली लगाएं. माला के रूप में मां को नींबुओं की माला पहनाएं और उनके आगे तेल का दीपक जलाएं. मां को लाल फूल अर्पित करें. साथ ही गुड़ का भोग लगाएं. इसके बाद मां के मन्त्रों का जाप या सप्तशती का पाठ करें. इस दिन मां की पूजा के बाद शिव और ब्रह्मा जी की पूजा की जाती है.

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