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जबलपुर:नर्मदा का ही सहारा, किनारे पर है गांव, फिर भी बूंद-बूंद पानी को मोहताज - narmada

बच्चे, बूढ़े, जवान सभी सुबह होते ही जीवन के लिए जरूरी जल लेने मां नर्मदा के पास ही जाने को मजबूर हैं. गांव नर्मदा के किनारे पर है, नदी में पानी इतना की 4 राज्यों की प्यास बुझाता है लेकिन फिर भी भीषण गर्मी के बावजूद ये गांव प्यासा क्यों हैं.

jabalpur villagers heaving water crises
नर्मदा किनारे गांव बूंद-बूंद पानी को मोहताज
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Published : Apr 26, 2021, 7:20 PM IST

Updated : Apr 26, 2021, 8:35 PM IST

जबलपुर। नर्मदा किनारे-फिर भी हैं प्यासे, ये कहानी है नर्मदा नदी के किनारे बसे उन लोगों की जिनके गांव के पास ही जीवनदायनी मां नर्मदा कलकल कर बहती है. यहां के लोग भी इस कलकल कर बहते जल से ही अपनी प्यास बुझाते हैं. सरकारी प्रयासों से गांवों तक पानी पहुंचा तो, लेकिन यह सरकारी सेवा ज्यादा साथ नहीं दे पाती है. ऐसे में क्या बच्चे, बूढ़े, जवान सभी सुबह होते ही जीवन के लिए जरूरी जल लेने मां नर्मदा के पास ही जाने को मजबूर हैं. गांव नर्मदा के किनारे पर है, नदी में पानी इतना की 4 राज्यों की प्यास बुझाता है लेकिन फिर भी भीषण गर्मी के बावजूद ये गांव प्यासा क्यों हैं.

जबलपुर,नर्मदा किनारे के गांव प्यासे

पानी के लिए रोजाना 2 किलोमीटर का सफर

नर्मदा की गोद में बसे ग्वारीघाट के पास के दुर्गा नजर के लोग बूंद-बूंद पानी के लिए परेशान हैं. भीषण गर्मी है पानी के लिए लोगों का संघर्ष..जो सुबह होते ही शुरू हो जाता है. कहने को गांव में बोरिंग भी है लेकिन वह अक्सर खराब रहती है. हैंडपंपों से पानी नहीं आता..तब मजबूरी में महिलाएं, बच्चे प्लास्टिक के पीपे लेकर नर्मदा की ओर चल देते हैं. एक ही घाट पर जहां लोग पीने के लिए पानी लाते हैं वहीं बुजुर्ग लोग अपने नित्यकर्म भी करते हैं. ऐसे में लोगों को पीने के लिए कितना शुद्ध जल मिलता होगा इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं.

प्यासी है ढ़ाई हजार की आबादी ?
रानी अवंती बाई वार्ड के दुर्गा नगर और आसपास रहने वाले लोगों की यह कहानी पुरानी है, लेकिन मौजूदा संकट पिछले 15 दिनों से बना हुआ है. बीते पांच साल पहले तक यह क्षेत्र ग्राम पंचायत में शामिल हो गया था, लेकिन स्थिति नहीं बदली और हालात आज भी जस के तस हैं, ऐसे में मजबूरीवश इस इलाके में रहने वाली करीब ढा़ई हजार की आबादी को नर्मदा से पानी भरकर लाना पड़ता है.

कोरोना का डर नहीं पानी जरूरी है
कोरोना संक्रमण को देखते हुए जबलपुर जिले में लॉक डाउन लगा हुआ है, बावजूद इसके सुबह होते ही दुर्गा नगर और इसके आसपास के लोग समूहों में मां नर्मदा का जल लेने जाते हैं. लोगों का कहना है कि जिंदगी के जल ज्यादा जरूरी है वह लेने तो जाना ही है. कोरोना का डर भी है लेकिन नदी से पानी लाना भी हमारी मजबूरी है. कई बार शिकायत करने के बाद भी नगर निगम के अधिकारी कोई सुनवाई नहीं करते. बोरिंग की मोटर खोल कर ले गए हैं लेकिन वह अभी तक ठीक होकर नहीं आई है. ऐसे में लोगों का सहारा सिर्फ नर्मदा ही हैं. पानी के लिए जद्दोजहद इलाके की कहानी बन गई है.

निगम के पास प्लान हैं पर पानी नहीं
नगर निगम के जल आपूर्ती विभाग के कार्यपालन यंत्री कहते हैं कि बोरिंग मशीन खराब होने की स्थिति में टेंकरों से पानी की सप्लाई करवाई जाती है, इसके साथ ही दुर्गा नगर, भटोली और आसपास के इलाकों में नई पाइप लाइन बिछाने का प्रस्ताव भी बनाया जा रहा है. जिसके बाद जल्द ही यहां के लोगो को भरपूर पानी मुहैया होगा. लेकिन निगम का प्लान कब तक हकीकत में गांव वालों की प्यास बुझा पाएगा इसे लेकर उनके पास कोई जवाब नहीं मिलता.ऐसे में इन तस्वीरों से समझा जा सकता है कि जिनके गांव के पास से 4 राज्यों को पानी देने वाली नर्मदा गुजरती है फिर भी प्यासे क्यों है? जिसकी एक ही वजह है और वो है नगर निगम और जिला प्रशासन की नाकामी.

जबलपुर। नर्मदा किनारे-फिर भी हैं प्यासे, ये कहानी है नर्मदा नदी के किनारे बसे उन लोगों की जिनके गांव के पास ही जीवनदायनी मां नर्मदा कलकल कर बहती है. यहां के लोग भी इस कलकल कर बहते जल से ही अपनी प्यास बुझाते हैं. सरकारी प्रयासों से गांवों तक पानी पहुंचा तो, लेकिन यह सरकारी सेवा ज्यादा साथ नहीं दे पाती है. ऐसे में क्या बच्चे, बूढ़े, जवान सभी सुबह होते ही जीवन के लिए जरूरी जल लेने मां नर्मदा के पास ही जाने को मजबूर हैं. गांव नर्मदा के किनारे पर है, नदी में पानी इतना की 4 राज्यों की प्यास बुझाता है लेकिन फिर भी भीषण गर्मी के बावजूद ये गांव प्यासा क्यों हैं.

जबलपुर,नर्मदा किनारे के गांव प्यासे

पानी के लिए रोजाना 2 किलोमीटर का सफर

नर्मदा की गोद में बसे ग्वारीघाट के पास के दुर्गा नजर के लोग बूंद-बूंद पानी के लिए परेशान हैं. भीषण गर्मी है पानी के लिए लोगों का संघर्ष..जो सुबह होते ही शुरू हो जाता है. कहने को गांव में बोरिंग भी है लेकिन वह अक्सर खराब रहती है. हैंडपंपों से पानी नहीं आता..तब मजबूरी में महिलाएं, बच्चे प्लास्टिक के पीपे लेकर नर्मदा की ओर चल देते हैं. एक ही घाट पर जहां लोग पीने के लिए पानी लाते हैं वहीं बुजुर्ग लोग अपने नित्यकर्म भी करते हैं. ऐसे में लोगों को पीने के लिए कितना शुद्ध जल मिलता होगा इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं.

प्यासी है ढ़ाई हजार की आबादी ?
रानी अवंती बाई वार्ड के दुर्गा नगर और आसपास रहने वाले लोगों की यह कहानी पुरानी है, लेकिन मौजूदा संकट पिछले 15 दिनों से बना हुआ है. बीते पांच साल पहले तक यह क्षेत्र ग्राम पंचायत में शामिल हो गया था, लेकिन स्थिति नहीं बदली और हालात आज भी जस के तस हैं, ऐसे में मजबूरीवश इस इलाके में रहने वाली करीब ढा़ई हजार की आबादी को नर्मदा से पानी भरकर लाना पड़ता है.

कोरोना का डर नहीं पानी जरूरी है
कोरोना संक्रमण को देखते हुए जबलपुर जिले में लॉक डाउन लगा हुआ है, बावजूद इसके सुबह होते ही दुर्गा नगर और इसके आसपास के लोग समूहों में मां नर्मदा का जल लेने जाते हैं. लोगों का कहना है कि जिंदगी के जल ज्यादा जरूरी है वह लेने तो जाना ही है. कोरोना का डर भी है लेकिन नदी से पानी लाना भी हमारी मजबूरी है. कई बार शिकायत करने के बाद भी नगर निगम के अधिकारी कोई सुनवाई नहीं करते. बोरिंग की मोटर खोल कर ले गए हैं लेकिन वह अभी तक ठीक होकर नहीं आई है. ऐसे में लोगों का सहारा सिर्फ नर्मदा ही हैं. पानी के लिए जद्दोजहद इलाके की कहानी बन गई है.

निगम के पास प्लान हैं पर पानी नहीं
नगर निगम के जल आपूर्ती विभाग के कार्यपालन यंत्री कहते हैं कि बोरिंग मशीन खराब होने की स्थिति में टेंकरों से पानी की सप्लाई करवाई जाती है, इसके साथ ही दुर्गा नगर, भटोली और आसपास के इलाकों में नई पाइप लाइन बिछाने का प्रस्ताव भी बनाया जा रहा है. जिसके बाद जल्द ही यहां के लोगो को भरपूर पानी मुहैया होगा. लेकिन निगम का प्लान कब तक हकीकत में गांव वालों की प्यास बुझा पाएगा इसे लेकर उनके पास कोई जवाब नहीं मिलता.ऐसे में इन तस्वीरों से समझा जा सकता है कि जिनके गांव के पास से 4 राज्यों को पानी देने वाली नर्मदा गुजरती है फिर भी प्यासे क्यों है? जिसकी एक ही वजह है और वो है नगर निगम और जिला प्रशासन की नाकामी.

Last Updated : Apr 26, 2021, 8:35 PM IST
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