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मध्य प्रदेश से अहीर रेजीमेंट के लिए अरुण यादव ने नारा किया बुलंद, पढ़ें इसके पीछे की कहानी - अहीर रेजीमेंट के लिए अरुण यादव ने नारा किया बुलंद

सेना में अहीर रेजिमेंट की मांग पुरानी है. इन दिनों इसको लेकर एक बार फिर से लड़ाई शुरू हो गई है. इसका केंद्र बना है हरियाणा का अहीरवाल. इस लड़ाई का परचम अब मध्य प्रदेश में कांग्रेस का OBC चेहरा रहे अरुण यादव ने थाम लिया है. पढ़ें पूरी कहानी...(Ahir regiment in Indian Army)

indian army cast based regiments now demand for ahir regiment in indian army supported by congress leader arun yadav
मध्य प्रदेश से अहीर रेजीमेंट के लिए अरुण यादव ने नारा किया बुलंद
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Published : Mar 26, 2022, 7:35 AM IST

Updated : Mar 26, 2022, 7:48 AM IST

भोपाल। भारतीय सेना में अहीर रेजीमेंट बनाए जाने की कई हिस्सों से मांग उठ रही है, गुरुग्राम में तो धरना प्रदर्शन भी हुआ है. मध्य प्रदेश से भी अहीर रेजीमेंट के गठन की मांग उठने लगी है और इसके अगुआ बने हैं कांग्रेस की राज्य इकाई के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव. अरुण यादव ने यदुवंशियों के साहस और शौर्य का जिक्र करते हुए ट्वीट कर लिखा है- "वीर अहीरो ने ठाना है अहीर रेजिमेंट बनाना है, वीर थे रणधीर थे वो यदुवंशी धारा के नीर थे, कैसे पीछे हटते वो तो अहीर थे".

  • भारतीय सेना में अहीर रेजीमेंट बनाए जाने की कई हिस्सों से मांग उठ रही है, #गुरुग्राम में तो धरना प्रदर्शन भी हुआ है। #मध्यप्रदेश से भी अहीर रेजीमेंट के गठन की मांग उठने लगी है और इसके अगुआ बने हैं #कांग्रेस की राज्य इकाई के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव। pic.twitter.com/JR2p1dmND0

    — IANS Hindi (@IANSKhabar) March 25, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

'अहीर रेजिमेंट हक है हमारा' : यादव ने अपने ट्वीट में शहादत को याद करते हुए अहीर रेजीमेंट को इस वर्ग का हक बताते हुए लिखा, "रेजांग ला के अदम्य वीरता और साहस के पर्याय वीर शहीदों को नमन करते हुए उनकी याद में भारतीय सेना में अहीर रेजिमेंट की मांग करता हूं. अहीर-रेजिमेंट-हक-है-हमारा".

  • वीर अहीरो ने ठाना है अहीर रेजिमेंट बनाना है,
    वीर थे रणधीर थे वो यदुवंशी धारा के नीर थे,
    कैसे पीछे हटते वो तो अहीर थे ।

    "रेजांग ला" के अदम्य वीरता और साहस के पर्याय वीर शहीदों को नमन करते हुए उनकी याद में भारतीय सेना में अहीर रेजिमेंट की मांग करता हूँ।#अहीर_रेजिमेंट_हक़_है_हमारा pic.twitter.com/9VybBXjoka

    — Arun Subhash Yadav 🇮🇳 (@MPArunYadav) March 25, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

एमपी में OBC का बड़ा चेहरा हैं अरुण यादव, 2023-24 की तैयारी : मध्य प्रदेश की सियासत में अरुण यादव बड़ा ओबीसी चेहरा हैं. उनके पिता राज्य के उप मुख्यमंत्री के साथ किसान और सहकारिता नेता के तौर पर पहचाने जाते रहे. इसके साथ ही उनके छोटे भाई सचिन यादव कांग्रेस सरकार में कृषि मंत्री रह चुके हैं. उधर, राजनीतिक गलियारे में लोग इसे प्रदेश में होने वाले 2023 के विधानसभा चुनाव और 2024 के आम चुनाव से जोड़ रहे हैं. कांग्रेस पार्टी के हाथ ये ऐसा मुद्दा लगा है जिससे वो केंद्र और राज्य दोनों में अपनी सियासत साधने के जगत में जुट गई है. यही वजह है कि अरुण यादव को कांग्रेस इस मुद्दे पर आगे कर रही है.

अहीर रेजिमेंट पर राजनीति- 2019 के लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में सत्ता में आने पर जाति-आधारित अहीर इन्फैंट्री रेजिमेंट बनाने का वादा किया था. साथ ही, भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बनी चमार रेजिमेंट की दोबारा बहाली की मांग भी की थी. जाति आधारित रेजिमेंट न केवल राजनीतिक एजेंडा था बल्कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने भी इस कदम का समर्थन किया था. आयोग ने तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को चमार रेजिमेंट की बहाली के लिए पत्र भी लिखा था.

indian army cast based regiments now demand for ahir regiment in indian army supported by congress leader arun yadav
गुरुग्राम में अहीर रेजिमेंट की मांग को लेकर मार्च निकालते यादव समुदाय के लोग

23 मार्च को शहीद-ए-आजम भगत सिंह के शहीदी दिवस पर इस धरने में देशभर से बड़ी संख्या में अहीर समुदाय के लोग इकट्ठा हुए और गुरुग्राम तक मार्च निकाला. अहीर रेजिमेंट की मांग को लेकर लोगों ने जमकर शक्ति प्रदर्शन किया.

कौन कर रहा है अहीर रेजिमेंट की मांग- दक्षिण हरियाणा के अहीर समुदाय के नेताओं के समूह 'संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा' के बैनर तले ये विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इस मोर्चे को मार्च 2021 में एक ट्रस्ट के रूप में रजिस्टर्ड किया गया था. मोर्चा के सदस्यों ने 2018 में भी विरोध प्रदर्शन किया था. बाद में कुछ नेताओं के आश्वासन के बाद ये धरना खत्म कर दिया गया था. हरियाणा में यादव यानी अहीर समुदाय काफी प्रभावी है. यहां अहीरवाल इलाके जिसमें रेवाड़ी, गुरुग्राम और महेंद्रगढ़ जिले आते हैं, ये समुदाय राजनीतिक और सामाजिक रूप से काफी असरदार है. आंदोलन की अगुवाई कर रहे अहीर रेजिमेंट मोर्चा का कहना है कि भारतीय सेना में कई जाति-आधारित रेजिमेंट हैं. सेना में अहीरों का बड़ा प्रतिनिधित्व है. इसी आधार पर वो भी अहीरों के लिए एक अलग रेजिमेंट चाहते हैं.

सेना में अहीर रेजीमेंट की मांग को लेकर पैदल मार्च, सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था

मोर्चा के संस्थापक सदस्य मनोज यादव ने कहा कि अलग अहीर या यादव रेजिमेंट की मांग उनके सम्मान और अधिकारों की लड़ाई है. यह पूरे देश में यादवों के अधिकारों की मांग है. अहीर समुदाय ने सभी युद्धों में बलिदान दिया है और उन्होंने कई वीरता पुरस्कार जीते हैं. 1962 में रेजांग ला की लड़ाई में 120 जवानों में 114 अहीर थे. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अहीरों को अन्य समुदायों की तरह मान्यता नहीं मिली है. सिख, गोरखा, जाट, गढ़वाल और राजपूतों के लिए अलग जाति आधारित रेजिमेंट है. इसीलिए हम सेना में अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग करते हैं.

सेना में जाति आधारित रेजिमेंट का इतिहास: भारतीय सेना में जाति आधारित रेजिमेंट की स्थापना काफी पुरानी है. इसकी शुरुआत उस दौर में हुई जब हमारे देश पर अंग्रोजों का शासन था और 'फूट डालो राज करो' उनका एक मात्र एजेंडा था. इस दौर में भारत की शासन व्यवस्था संभालने और युद्ध जीतने के लिए अंग्रेजों ने कई अलग-अलग जातियों के आधार पर सेना में भर्ती की. अंग्रेजों ने इन जातियों को लड़ाकू और गैर-लड़ाकू वर्ग के आधार पर बांटा था.

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सेना में जाति आधारित रेजिमेंट का इतिहास

1857 के सिपाही विद्रोह के बाद, ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीय सेना में जाति और क्षेत्र-आधारित भर्ती की गई ताकि इसे मार्शल और गैर-मार्शल दौड़ में विभाजित किया जा सके. जोनाथन पील आयोग को वफादार सैनिकों की भर्ती के लिए सामाजिक समूहों और क्षेत्रों की पहचान करने का काम सौंपा गया था. आजादी का विद्रोह भारत के पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों से था, इसलिए ब्रिटिश सरकार ने उन्हें सेना में भर्ती नहीं किया और भर्ती के केंद्र को उत्तरी भारत में बदल दिया. बाद में आजादी के बाद भी भारत ने जाति और क्षेत्र-आधारित रेजिमेंटों को जारी रखा.

भारतीय सेना में अहीर-रेजिमेंट की मांग उठी, पढ़ें क्यों

1903 में, पहली और तीसरी ब्राह्मण इन्फैंट्री के रूप में एक जाति-आधारित रेजिमेंट बनाई गई थी, जिसे प्रथम विश्व युद्ध के बाद भंग कर दिया गया था. दूसरी जाति-आधारित रेजिमेंट, 'चमार रेजिमेंट' का गठन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान किया गया था. उसे भी दिसंबर 1946 में भंग कर दिया गया. 1941 में, पहली लिंगायत बटालियन बनाई गई. जिसने शुरू में एक पैदल सेना इकाई के रूप में और फिर एक टैंक-विरोधी रेजिमेंट के रूप में काम किया. 1940 के दशक के अंत में इस बटालियन को भी भंग कर दिया गया था.

(Arun Yadav demands Ahir Regiment in Indian Army) (Indian Army cast based Regiments)

भोपाल। भारतीय सेना में अहीर रेजीमेंट बनाए जाने की कई हिस्सों से मांग उठ रही है, गुरुग्राम में तो धरना प्रदर्शन भी हुआ है. मध्य प्रदेश से भी अहीर रेजीमेंट के गठन की मांग उठने लगी है और इसके अगुआ बने हैं कांग्रेस की राज्य इकाई के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव. अरुण यादव ने यदुवंशियों के साहस और शौर्य का जिक्र करते हुए ट्वीट कर लिखा है- "वीर अहीरो ने ठाना है अहीर रेजिमेंट बनाना है, वीर थे रणधीर थे वो यदुवंशी धारा के नीर थे, कैसे पीछे हटते वो तो अहीर थे".

  • भारतीय सेना में अहीर रेजीमेंट बनाए जाने की कई हिस्सों से मांग उठ रही है, #गुरुग्राम में तो धरना प्रदर्शन भी हुआ है। #मध्यप्रदेश से भी अहीर रेजीमेंट के गठन की मांग उठने लगी है और इसके अगुआ बने हैं #कांग्रेस की राज्य इकाई के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव। pic.twitter.com/JR2p1dmND0

    — IANS Hindi (@IANSKhabar) March 25, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

'अहीर रेजिमेंट हक है हमारा' : यादव ने अपने ट्वीट में शहादत को याद करते हुए अहीर रेजीमेंट को इस वर्ग का हक बताते हुए लिखा, "रेजांग ला के अदम्य वीरता और साहस के पर्याय वीर शहीदों को नमन करते हुए उनकी याद में भारतीय सेना में अहीर रेजिमेंट की मांग करता हूं. अहीर-रेजिमेंट-हक-है-हमारा".

  • वीर अहीरो ने ठाना है अहीर रेजिमेंट बनाना है,
    वीर थे रणधीर थे वो यदुवंशी धारा के नीर थे,
    कैसे पीछे हटते वो तो अहीर थे ।

    "रेजांग ला" के अदम्य वीरता और साहस के पर्याय वीर शहीदों को नमन करते हुए उनकी याद में भारतीय सेना में अहीर रेजिमेंट की मांग करता हूँ।#अहीर_रेजिमेंट_हक़_है_हमारा pic.twitter.com/9VybBXjoka

    — Arun Subhash Yadav 🇮🇳 (@MPArunYadav) March 25, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

एमपी में OBC का बड़ा चेहरा हैं अरुण यादव, 2023-24 की तैयारी : मध्य प्रदेश की सियासत में अरुण यादव बड़ा ओबीसी चेहरा हैं. उनके पिता राज्य के उप मुख्यमंत्री के साथ किसान और सहकारिता नेता के तौर पर पहचाने जाते रहे. इसके साथ ही उनके छोटे भाई सचिन यादव कांग्रेस सरकार में कृषि मंत्री रह चुके हैं. उधर, राजनीतिक गलियारे में लोग इसे प्रदेश में होने वाले 2023 के विधानसभा चुनाव और 2024 के आम चुनाव से जोड़ रहे हैं. कांग्रेस पार्टी के हाथ ये ऐसा मुद्दा लगा है जिससे वो केंद्र और राज्य दोनों में अपनी सियासत साधने के जगत में जुट गई है. यही वजह है कि अरुण यादव को कांग्रेस इस मुद्दे पर आगे कर रही है.

अहीर रेजिमेंट पर राजनीति- 2019 के लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में सत्ता में आने पर जाति-आधारित अहीर इन्फैंट्री रेजिमेंट बनाने का वादा किया था. साथ ही, भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बनी चमार रेजिमेंट की दोबारा बहाली की मांग भी की थी. जाति आधारित रेजिमेंट न केवल राजनीतिक एजेंडा था बल्कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने भी इस कदम का समर्थन किया था. आयोग ने तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को चमार रेजिमेंट की बहाली के लिए पत्र भी लिखा था.

indian army cast based regiments now demand for ahir regiment in indian army supported by congress leader arun yadav
गुरुग्राम में अहीर रेजिमेंट की मांग को लेकर मार्च निकालते यादव समुदाय के लोग

23 मार्च को शहीद-ए-आजम भगत सिंह के शहीदी दिवस पर इस धरने में देशभर से बड़ी संख्या में अहीर समुदाय के लोग इकट्ठा हुए और गुरुग्राम तक मार्च निकाला. अहीर रेजिमेंट की मांग को लेकर लोगों ने जमकर शक्ति प्रदर्शन किया.

कौन कर रहा है अहीर रेजिमेंट की मांग- दक्षिण हरियाणा के अहीर समुदाय के नेताओं के समूह 'संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा' के बैनर तले ये विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इस मोर्चे को मार्च 2021 में एक ट्रस्ट के रूप में रजिस्टर्ड किया गया था. मोर्चा के सदस्यों ने 2018 में भी विरोध प्रदर्शन किया था. बाद में कुछ नेताओं के आश्वासन के बाद ये धरना खत्म कर दिया गया था. हरियाणा में यादव यानी अहीर समुदाय काफी प्रभावी है. यहां अहीरवाल इलाके जिसमें रेवाड़ी, गुरुग्राम और महेंद्रगढ़ जिले आते हैं, ये समुदाय राजनीतिक और सामाजिक रूप से काफी असरदार है. आंदोलन की अगुवाई कर रहे अहीर रेजिमेंट मोर्चा का कहना है कि भारतीय सेना में कई जाति-आधारित रेजिमेंट हैं. सेना में अहीरों का बड़ा प्रतिनिधित्व है. इसी आधार पर वो भी अहीरों के लिए एक अलग रेजिमेंट चाहते हैं.

सेना में अहीर रेजीमेंट की मांग को लेकर पैदल मार्च, सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था

मोर्चा के संस्थापक सदस्य मनोज यादव ने कहा कि अलग अहीर या यादव रेजिमेंट की मांग उनके सम्मान और अधिकारों की लड़ाई है. यह पूरे देश में यादवों के अधिकारों की मांग है. अहीर समुदाय ने सभी युद्धों में बलिदान दिया है और उन्होंने कई वीरता पुरस्कार जीते हैं. 1962 में रेजांग ला की लड़ाई में 120 जवानों में 114 अहीर थे. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अहीरों को अन्य समुदायों की तरह मान्यता नहीं मिली है. सिख, गोरखा, जाट, गढ़वाल और राजपूतों के लिए अलग जाति आधारित रेजिमेंट है. इसीलिए हम सेना में अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग करते हैं.

सेना में जाति आधारित रेजिमेंट का इतिहास: भारतीय सेना में जाति आधारित रेजिमेंट की स्थापना काफी पुरानी है. इसकी शुरुआत उस दौर में हुई जब हमारे देश पर अंग्रोजों का शासन था और 'फूट डालो राज करो' उनका एक मात्र एजेंडा था. इस दौर में भारत की शासन व्यवस्था संभालने और युद्ध जीतने के लिए अंग्रेजों ने कई अलग-अलग जातियों के आधार पर सेना में भर्ती की. अंग्रेजों ने इन जातियों को लड़ाकू और गैर-लड़ाकू वर्ग के आधार पर बांटा था.

indian army cast based regiments now demand for ahir regiment in indian army supported by congress leader arun yadav
सेना में जाति आधारित रेजिमेंट का इतिहास

1857 के सिपाही विद्रोह के बाद, ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीय सेना में जाति और क्षेत्र-आधारित भर्ती की गई ताकि इसे मार्शल और गैर-मार्शल दौड़ में विभाजित किया जा सके. जोनाथन पील आयोग को वफादार सैनिकों की भर्ती के लिए सामाजिक समूहों और क्षेत्रों की पहचान करने का काम सौंपा गया था. आजादी का विद्रोह भारत के पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों से था, इसलिए ब्रिटिश सरकार ने उन्हें सेना में भर्ती नहीं किया और भर्ती के केंद्र को उत्तरी भारत में बदल दिया. बाद में आजादी के बाद भी भारत ने जाति और क्षेत्र-आधारित रेजिमेंटों को जारी रखा.

भारतीय सेना में अहीर-रेजिमेंट की मांग उठी, पढ़ें क्यों

1903 में, पहली और तीसरी ब्राह्मण इन्फैंट्री के रूप में एक जाति-आधारित रेजिमेंट बनाई गई थी, जिसे प्रथम विश्व युद्ध के बाद भंग कर दिया गया था. दूसरी जाति-आधारित रेजिमेंट, 'चमार रेजिमेंट' का गठन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान किया गया था. उसे भी दिसंबर 1946 में भंग कर दिया गया. 1941 में, पहली लिंगायत बटालियन बनाई गई. जिसने शुरू में एक पैदल सेना इकाई के रूप में और फिर एक टैंक-विरोधी रेजिमेंट के रूप में काम किया. 1940 के दशक के अंत में इस बटालियन को भी भंग कर दिया गया था.

(Arun Yadav demands Ahir Regiment in Indian Army) (Indian Army cast based Regiments)

Last Updated : Mar 26, 2022, 7:48 AM IST
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