भोपाल। राजधानी के बड़े तालाब की खूबसूरती दुनिया भर में मशहूर है लेकिन अतिक्रमण का दाग बड़े तालाब की खूबसूरती को हर साल कम करता जा रहा है. बड़ा तालाब शहर के लिए जितना जरूरी है, जिम्मेदार एजेंसियां इसको लेकर उतनी ही उदासीन और लापरवाह नजर हैं. तलाब की सीमा के 50 मीटर तक किसी भी तरह के निर्माण की इजाजत नहीं है, लेकिन लोग इसे मानने को तैयार नहीं है, वहीं सरकार और प्रशासन भी इस पर आंख मूंदे बैठा है.
बड़े तालाब क्षेत्र में घुसपैठ कोई आज से नहीं हो रही है पिछले 12 से 15 साल से कब से हो रहे हैं. पहले कच्चे निर्माण और भिर धीरे-धीरे यह पक्के निर्माण होते चले गए. बड़े तालाब के आसपास अवैध तौर पर कॉलेज, मकान, फिटनेस क्लब, स्पोर्ट्स क्लब, होटल, रेस्टोरेंट, शादी हॉल, फार्म हाउस और अस्पताल बन गए, लेकिन प्रशासन को कभी कुछ नजर नहीं आया या यूं कहे की प्रशासन इसे नजरअंदाज करता रहा.
लगातार बढ़ रहे अतिक्रमण पर विपक्ष सरकार पर हावी होने लगा है. पूर्व मंत्री पीसी शर्मा पीसी शर्मा ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने बड़े तालाब को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया गया था, लेकिन अब जिम्मेदारी सरकार की है. वहीं इस मामले पर नगरी प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह संबंधिक विभागों के लगातार कार्रवाई होने की बात कह के पल्ला झाल लिया.
बड़े तालाब के बदहाल होते हालात को लेकर जब भोपाल कलेक्टर से बात की गई तो उन्होंने सभी एसडीएम को निर्देशित कर बड़े तालाब के कैचमेंट में अवैध निर्माणों पर कार्रवाई करने की बात कही है, हलांकि देखना होगा की कलेक्टर के निर्देश कितने जमीन पर उतर पाते हैं.
इन इलाकों में अवैध कब्जा
- खानूगांव क्षेत्र में 100 से ज्यादा अवैध कब्जे
- हलालपुरा क्षेत्र में 20 से ज्यादा अवैध कब्जे
- बेहट में 100 से ज्यादा अवैध कब्जे
- भैंसखेड़ी में 60 अवैध कब्जे
- भदभदा क्षेत्र में ढाई सौ से ज्यादा अवैध कब्जे
- तालाब के आसपास 500 से अधिक अतिक्रमण
अतिक्रमण को हटाने के लिए प्रशासन ने कई बार कमर कसी, प्लान भी बनाया और कई बार तो कार्रवाई कर अवैध निर्माणों को 20 से 25 मीटर की दूरी तक नष्ट भी किया, लेकिन जब कार्रवाई के जद में नामी लोगों के निर्माण आने लगे तो प्रशासन सुस्त हो गया और फिर से भोपाल के शान में बट्टा लगाया जाने लगा.