भोपाल। कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खरता ऐसे लोगों को सबसे ज्यादा है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है या फिर जिन्हें पहले से किसी न किसी बीमारी के शिकायत है. इसके साथ ही बच्चे,बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं को भी कोरोना वायरस सबसे पहले प्रभावित करता है. इन सब में सबसे ज्यादा ध्यान और सावधानी गर्भवती महिलाओं को रखने के लिए कहा जा रहा है. अब तक ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जहां जच्चा और बच्चा को कोरोना वायरस संक्रमण हुआ है और इससे उनकी हालत भी गंभीर बन गयी हो. विशेषज्ञ डॉक्टर का इस बारे में कहना है कि गर्भावस्था के दौरान महिला की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. इस दौरान किसी भी तरह का वायरल संक्रमण होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है.
गर्भवती महिलाओं को इस संक्रमण से बचने के लिए किस तरह सावधानी रखनी चाहिए. इस बारे में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर श्रद्धा अग्रवाल ने बताया कि गर्भवती महिला प्रथम तिमाही में एक बार अपना पूरा चेकअप करवा ले और उसके बाद कम से कम घर से बाहर निकले. यदि बहुत ज्यादा जरूरी हो तभी अस्पताल आए. 7 महीने होने पर डॉक्टर की सलाह से एक बार फिर अपने सारे टेस्ट करवा ले. इसके साथ ही खान-पान का खास तौर पर ध्यान रखें, पूरा पोषण आहार लें, ताजे फल सब्जी का सेवन करें, बाहर का खाना खाने से बचें, क्योंकि इससे संक्रमण होने का खतरा रहता है.
इसके साथ ही कई बार ऐसा देखा जाता है कि गर्भवती महिला खुद को बीमार समझने लगती है. इसलिए महिला खुद को बीमार ना समझे, छोटी-मोटी परेशानियों का निराकरण परिवार की बुजुर्ग महिलाओं की राय से लेकर किया जा सकता है. डॉ. श्रद्धा अग्रवाल ने बताया कि इस समय अस्पताल में भी पूरी सावधानी बरती जा रही है. यदि ऐसी गर्भवती महिला जिनके घर में कोई कोविड-19 से संक्रमित हुआ है तो वे सभी जांच करवा रहे हैं. इसके साथ ही ऐसी महिलाएं जो कंटेनमेंट क्षेत्र में हैं, उनकी भी कोविड-19 की जांच की जा रही है. अस्पताल में ओटी, टेबल, वार्ड सभी को सैनिटाइज किया जा रहा है, ताकि किसी भी तरह से मां और नवजात बच्चे को कोविड-19 का संक्रमण ना फैले.
भोपाल में भी दो ऐसे मामले सामने आए जहां गर्भवती महिलाओं को कोविड-19 का संक्रमण हुआ है. इनमें से एक महिला की हालत खराब होने पर उसकी और उसके बच्चे की मौत भी हो चुकी है. ऐसे में गर्भवती महिलाओं के अंदर एक डर भी बैठ गया है, जिसके लिए डॉक्टर का मानना है कि महिलाओं को अपने आसपास सकारात्मकता को बनाए रखना है और खुद को बीमार नहीं समझना है.