भोपाल। आज गणेश चतुर्थी का दूसरा दिन है. इस दिन भगवान गणेश के 'एकदंत' स्वरूप की अराधना की जाती है. कहा जाता है कि भगवान गणेश के इस रूप की आराधना करने से सभी रोग और पाप दूर हो जाते हैं. मोक्ष की भी प्राप्ति होती है. तो आइए गणेश चतुर्थी के दूसरे दिन हम आपको भगवान गणेश के दूसरे नाम 'एकदंत' के बारे में बताते हैं. यह भी जानें कि आखिर कैसे दूसरे दिन आप भगवान गणेश को प्रसन्न कर सकते हैं.
कैसे पड़ा भगवान गणेश का नाम 'एकदंत'
भगवान परशुराम से युद्ध करते समय गणेश जी का एक दांत टूट गया था. तब से उनका नाम 'एकदंत' हो गया. परशुराम जी ने भी भगवान गणेश की स्तुति 'एकदंत' स्वरूप में की थी. पंडित विष्णु राजोरिया ने बताया कि भगवान गणेश मोह-माया से परे हैं. भगवान गणेश के 'एकदंत' स्वरूप की अराधना करने से सभी रोग और पाप दूर हो जाते हैं. मोक्ष की प्राप्ति भी होती है.
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जब तक गणेश जी के मुंह में दो दांत थे तब तक उनके मन में द्वैत भाव था, परंतु एक दांत वाला हो जाने के बाद से वह अद्वैत भाव वाले बन गए. एक शब्द माया का बोधक है और दांत शब्द मायिक का बोधक है. गणेश जी में माया और मायिक का योग होने से वह 'एकदंत' कहलाते हैं.
- पंडित विष्णु राजोरिया
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हिंदू धर्म के पांच प्रमुख देवी-देवताओं में भगवान गणेश
भगवान गणेश की पूजा वैदिक और अति प्राचीन काल से की जाती रही है. गणेश जी वैदिक देवता हैं क्योंकि ऋग्वेद और यजुर्वेद में गणेश जी के मंत्रों का स्पष्ट उल्लेख मिलता है. शिव जी, विष्णु जी, सूर्य देव और मां दुर्गा के साथ-साथ गणेश जी का नाम हिंदू धर्म के पांच प्रमुख देवी देवताओं में शामिल है. जिससे गणपति जी की महत्ता का साफ पता चलता है.
ऐसे करें 'एकदंत' की अराधना
गणेश चतुर्थी के दूसरे दिन सुबह स्नान-ध्यान कर गणपति के व्रत का संकल्प लें. इसके बाद दोपहर के समय गणपति की प्रतिमा को लाल कपड़े के ऊपर रखें. गंगाजल छिड़कने के बाद भगवान गणेश का आह्वान करें. भगवान गणेश को पुष्प, सिंदूर, जनेऊ और दूर्वा चढ़ाएं. इसके बाद भगवान गणेश को मोदक, लड्डू चढ़ाएं, मंत्रोच्चारण से उनका पूजन करें. गणेश जी की कथा पढ़ें या सुनें, गणेश चालीसा का पाठ करें और अंत में आरती करें.