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चौंकाने वाला खुलासा: जंगलों में आग के मामलों में दूसरे नंबर पर एमपी, हर साल धू-धू कर जल रहे जंगल

फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. जंगलों में आग लगने की घटनाओं के मामले में मध्यप्रदेश दूसरे नंबर पर है. वहीं पहले स्थान पर उड़ीसा है. 1 जनवरी से 10 अप्रैल 2022 तक 16,700 से ज्यादा आग लगने की घटनाएं हुई हैं. (MP is second in forest fire cases) (Fire in mp forests)

MP is second in forest fire cases
एमपी के जंगलों में आग
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Published : Apr 16, 2022, 8:56 AM IST

भोपाल। जंगलों में आग लगने की घटनाओं के मामले में मध्यप्रदेश दूसरे नंबर पर है. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (Forest Survey of India) की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. रिपोर्ट में जंगलों में आग लगने के मामलों में उड़ीसा पहले नंबर पर जबकि पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ तीसरे नंबर पर है. रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में 47,795 जबकि छत्तीसगढ़ के जंगल में 38,106 अग्निकांड की घटनाएं हुई हैं.

आग जंगलों को पहुंचा रही नुकसान: हर साल गर्मी का मौसम शरू होते ही जंगलों में आग लगने का सिलसिला भी शुरू हो जाता है. वनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी वन विभाग पर है. वनों की सुरक्षा के लिए वन विभाग द्वारा फायर वाचर की नियुक्ति की जाती है. इसके अलावा जनवरों को आग से बचाने के लिए अन्य प्रयास भी किये जाते हैं, लेकिन इसके बावजूद हर साल यह समस्या बनी रहती है और आग लगने के कारण जंगलों को काफी नुकसान पहुंचता है.

1 जनवरी से 10 अप्रैल तक 16,700 से ज्यादा घटनाएं: हर साल नवंबर से मई के महीने के बीच जंगल में आग लगने की घटनाएं बढ़ती हैं. 1 जनवरी से 10 अप्रैल 2022 तक 16,700 से ज्यादा आग लगने की घटनाएं हुई हैं. प्रदेश के 63 वनमंडलों में से रायसेन, अब्दुल्लागंज, खंडवा और देवास ऐसे हैं, जिनमें पिछले 7 साल से सबसे ज्यादा घटनाएं आग की हैं. आमतौर पर जंगल की आग के बारे में विभाग को ग्रामीणों और स्टाफ से पता चलता है. मगर घना जंगल होने से कई बार सूचना देरी से मिलती है, जिससे जंगल को काफी नुकसान होता है.

चलती कार में लगी आग, बीच सड़क पर धू-धू कर जली कार

10 दिन में 121 स्थानों पर आग: बांधवगढ़ बाघ अभ्यारण में पिछले 10 दिनों में 121 जगहों पर आगजनी की घटनाएं हुई हैं. सतना के जंगलों में भी आग की छिटपुट घटनाएं दर्ज की गईं. वहीं एक जनवरी से 31 मई 2021 तक आग लगने की 20,000 घटनाएं हुई थीं. आग लगने से 22,608 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ था. सबसे ज्यादा खंडवा वन मंडल में 4266 हेक्टेयर में नुकसान हुआ. इस साल भी अभी गर्मी के 2 माह बचे हुए हैं. ऐसे में घटनाएं बढ़ने की आशंका व्यक्त की जा रही है.

शाकाहारी जानवरों के चारे का संकट: जंगलों में आग से जहां बड़ी संख्या में पेड़ों, जीव जंतुओं और पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, वहीं वायु प्रदूषण की समस्या भी बढ़ जाती है. घास पौधों में आग लगने से शाकाहारी जानवर जैसे खरगोश, हिरण, सांभर और अन्य वन्य प्राणियों के लिए चारे का संकट खड़ा हो जाता है. अधिकारियों का कहना है कि लोग महुआ बीनने सुबह से जंगल में निकल जाते हैं. पेड़ के नीचे साफ सफाई करने के लिए आग लगा देते हैं, और फिर उसे बुझाना भूल जाते हैं. हवा से आग जंगल में फैल जाती है.

सेटेलाइट से मिल रही जंगल में आग की सूचना: वन विभाग को अब सेटेलाइट के जरिये जंगल में आग लगने की घटनाएं पता चल रही है. भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान किसी भी कोने के जंगल में लगने वाली आग की सूचना जुटाता है. सेटेलाइट से फोटो मिलने के एक घंटे में मैसेज के जरिए संबंधित अधिकारी तक पहुंचाता है. इस सिस्टम से आग की घटनाओं पर शीघ्र काबू पाने में विभाग को काफी मदद मिल रही है.

(MP is second in forest fire cases) (Fire in mp forests)

भोपाल। जंगलों में आग लगने की घटनाओं के मामले में मध्यप्रदेश दूसरे नंबर पर है. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (Forest Survey of India) की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. रिपोर्ट में जंगलों में आग लगने के मामलों में उड़ीसा पहले नंबर पर जबकि पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ तीसरे नंबर पर है. रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में 47,795 जबकि छत्तीसगढ़ के जंगल में 38,106 अग्निकांड की घटनाएं हुई हैं.

आग जंगलों को पहुंचा रही नुकसान: हर साल गर्मी का मौसम शरू होते ही जंगलों में आग लगने का सिलसिला भी शुरू हो जाता है. वनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी वन विभाग पर है. वनों की सुरक्षा के लिए वन विभाग द्वारा फायर वाचर की नियुक्ति की जाती है. इसके अलावा जनवरों को आग से बचाने के लिए अन्य प्रयास भी किये जाते हैं, लेकिन इसके बावजूद हर साल यह समस्या बनी रहती है और आग लगने के कारण जंगलों को काफी नुकसान पहुंचता है.

1 जनवरी से 10 अप्रैल तक 16,700 से ज्यादा घटनाएं: हर साल नवंबर से मई के महीने के बीच जंगल में आग लगने की घटनाएं बढ़ती हैं. 1 जनवरी से 10 अप्रैल 2022 तक 16,700 से ज्यादा आग लगने की घटनाएं हुई हैं. प्रदेश के 63 वनमंडलों में से रायसेन, अब्दुल्लागंज, खंडवा और देवास ऐसे हैं, जिनमें पिछले 7 साल से सबसे ज्यादा घटनाएं आग की हैं. आमतौर पर जंगल की आग के बारे में विभाग को ग्रामीणों और स्टाफ से पता चलता है. मगर घना जंगल होने से कई बार सूचना देरी से मिलती है, जिससे जंगल को काफी नुकसान होता है.

चलती कार में लगी आग, बीच सड़क पर धू-धू कर जली कार

10 दिन में 121 स्थानों पर आग: बांधवगढ़ बाघ अभ्यारण में पिछले 10 दिनों में 121 जगहों पर आगजनी की घटनाएं हुई हैं. सतना के जंगलों में भी आग की छिटपुट घटनाएं दर्ज की गईं. वहीं एक जनवरी से 31 मई 2021 तक आग लगने की 20,000 घटनाएं हुई थीं. आग लगने से 22,608 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ था. सबसे ज्यादा खंडवा वन मंडल में 4266 हेक्टेयर में नुकसान हुआ. इस साल भी अभी गर्मी के 2 माह बचे हुए हैं. ऐसे में घटनाएं बढ़ने की आशंका व्यक्त की जा रही है.

शाकाहारी जानवरों के चारे का संकट: जंगलों में आग से जहां बड़ी संख्या में पेड़ों, जीव जंतुओं और पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, वहीं वायु प्रदूषण की समस्या भी बढ़ जाती है. घास पौधों में आग लगने से शाकाहारी जानवर जैसे खरगोश, हिरण, सांभर और अन्य वन्य प्राणियों के लिए चारे का संकट खड़ा हो जाता है. अधिकारियों का कहना है कि लोग महुआ बीनने सुबह से जंगल में निकल जाते हैं. पेड़ के नीचे साफ सफाई करने के लिए आग लगा देते हैं, और फिर उसे बुझाना भूल जाते हैं. हवा से आग जंगल में फैल जाती है.

सेटेलाइट से मिल रही जंगल में आग की सूचना: वन विभाग को अब सेटेलाइट के जरिये जंगल में आग लगने की घटनाएं पता चल रही है. भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान किसी भी कोने के जंगल में लगने वाली आग की सूचना जुटाता है. सेटेलाइट से फोटो मिलने के एक घंटे में मैसेज के जरिए संबंधित अधिकारी तक पहुंचाता है. इस सिस्टम से आग की घटनाओं पर शीघ्र काबू पाने में विभाग को काफी मदद मिल रही है.

(MP is second in forest fire cases) (Fire in mp forests)

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