भोपाल। दिग्विजय ने धरना करने को लेकर एफआईआर दर्ज (fir on digvijay singh in mp) होने के मामले में कहा है कि हमने कोई कानून नहीं तोड़ा. उन्होंने यह भी कहा कि जब शिवराज को डर लगता है तो वह पुलिस को आगे कर देता है. एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने एक बार फिर व्यापमं घोटाला राग छेड़ते हुए कहा कि मैं सिर्फ हवा में गुब्बारे नहीं उड़ाता. मैं जब भी कोई बात कहता हूं पूरे तथ्यों और रिसर्च के साथ कहता हूं. उन्होंने व्यापमं घोटाले की जांच को लेकर सीबीआई की कार्यप्रणाली पर भी उठाए सवाल. सेंट्रल प्रेस क्लब के एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि आलोचना से डरने वालों को राजनीति में नहीं आना चाहिए. सिंह ने कहा कि राजनीति में मुद्दों पर विरोध होता है. खुद को देशद्रोही बताने वाले बयान पर उन्होंने सीएम शिवराज सिंह का नाम लिए बगैर उनपर निशाना साधा.
मेरा और कमलनाथ का 40 साल का साथ
सीएम हाउस पर दिए गए धरने को लेकर मीडिया में आईं मनमुटाव की खबरों पर भी दिग्विजय सिंह ने कहा कि मेरा और कमलनाथ का 40 साल का साथ है. हम जो भी करेंगे मिलकर करेंगे. हम हमेशा साथ रहे हैं. सीएम से मुलाकात को लेकर उनके धरने पर बैठने को भाजपा ने तालिबानी तरीका बताया था. इस पर सफाई देते हुए सिंह ने कहा कि तालिबान का मतलब शिक्षा और स्टूडेंट से होता है.उन्होंने आरोप लगाया कि देश में हिंसा और नफरत का माहौल फैलाया जा रहा है. एक वर्ग विशेष को निशाना बनाया जा रहा है. आज के हालातों में लोकतंत्र का भविष्य अच्छा नहीं कहा जा सकता.
छोटी छोटी बातों पर रासुका लगाया जा रहा है
सिंह ने कहा कि आज छोटी छोटी बातों पर रासुका लगा दिया जाता है. बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए दिग्विजय ने कहा कि हालत ये हैं कि आज कॉमेडियन देश के लिए खतरा बने हुए हैं. नेताओं में सहनशक्ति नहीं बची है जबकि लोकतंत्र में आलोचना सहना आना चाहिए. नेशनल सिक्युरिटी एक्ट अंग्रेजों ने कांग्रेस की आवाज दबाने के लिए लागू किया था. आज भाजपा सरकार इसका खूब प्रयोग कर रही है. उन्होंने कहा कि मैनें अपने मुख्यमंत्री रहते हुए किसी पर भी एनएसए की कार्रवाई नहीं की.
किसानों की आवाज उठाना जुर्म है?
भाजपा नेता और भाजपाईयों की गुजराती मानसिकता का जिक्र करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि सबसे पहला सरकारी विज्ञापन गुजरात से निकलने वाले अखबार में छपा था. उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर कहा कि इससे आप गुजराती मानसिकता को समझ सकते हैं. उन्होंने सीएम से मिलने और डूब प्रभावित किसानों की आवाज उठाने को लेकर सरकार से सवाल करते हुए पूछा कि क्या ऐसा करना जुर्म है.उन्होंने सरकार और अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि आज हालात ऐसे हो गए हैं कि अधिकारी भी फोन नहीं उठाते हैं ,मुख्यमंत्री को तो छोड़िए.