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ऐसा शिवमंदिर, जहां भगवान भोलेनाथ के विवाह की होती हैं सभी रस्में...

MP की राजधानी भोपाल में महाशिवरात्रि का त्योहार बड़वाले महादेव मंदिर में धूमधाम से मनाया जाएगा. इस मंदिर का इतिहास लगभग 200 साल पुराना है. वटवृक्ष की जड़ से निकले शिवलिंग की बटेश्वर मंदिर के नाम से पूजा की जाने लगी. इस मंदिर में 13 सालों से ओम नमः शिवाय का जाप चल रहा है. यह ऐसा मंदिर है, जहां भगवान भोले के विवाह की सभी रस्में निभाई जाती हैं.

festival of Mahashivratri will be celebrated with great pomp in MP
एमपी में महाशिवरात्रि का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा
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Published : Feb 25, 2022, 7:11 PM IST

भोपाल। राजधानी भोपाल के प्राचीन मंदिरों में शामिल बड़वाले महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा. भगवाने भोले का ब्याह रचाने विवाह पत्रिका तैयार कर देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया है. भोले बाबा के विवाह के पहले शनिवार को भोले नाथ की मेहंदी की रस्म और अखंड रामायण का पाठ किया जाएगा. एक मार्च को भव्य शिव बारात नगर भ्रमण पर निकलेगी. यह ऐसा मंदिर है, जहां भगवान भोले के विवाह की हल्दी-मेंहदी से लेकर विवाह और फिर विदाई तक की सभी रस्में निभाई जाती हैं.

200 years old history of Barwale Mahadev Temple
बड़वाले महादेव मंदिर का इतिहास 200 साल पुराना

200 साल पुराना है इतिहास, वटवृक्ष की जड़ों से हुए थे प्रकट

श्री बड़वाले महादेव मंदिर का इतिहास तकरीबन 200 साल पुराना है. बताया जाता है कि पहले यहां एक बगीचा हुआ करता था. एक बार एक महात्मा बगीचे में आए और वटवृक्ष की छाया में विश्राम करने के लिए लेट गए. करवट लेते समय उनका सर वृक्ष की जड़ में स्थित एक शिला से टकराया, उन्होंने शिला के आसपास की मिट्टी हटाकर देखा तो उन्हें शिवलिंग के दर्शन हुए. बताया जाता है कि शिवलिंग के आसपास कई फीट तक खुदाई कराई गई, लेकिन उनका छोर नहीं मिल सका सका था. तभी से बाबा बटेश्वर मंदिर के नाम से यहां भगवान की पूजा अर्चना शुरू हो गई.

यूक्रेन में फंसे बच्चों की सलामती के लिए महाकाल का रुद्राभिषेक, परिजनों ने कराई विशेष पूजा

13 सालों से चल रहा ओम नमः शिवाय का जाप

मंदिर में पिछले 13 सालों से ओम नमः शिवाय का जाप चल रहा है, इसकी शुरूआत 22 फरवरी 2009 से हुई थी. मंदिर समिति के संयोजक संजय अग्रवाल के मुताबिक, मंदिर को लेकर लोगों की बड़ी आस्था है. यहां सोमवार को बड़ी संख्या में भक्त आते हैं, महाशिवरात्रि का पर्व 21 दिन तक मनाया जाता है. इस साल भी महाशिवरात्रि महोत्सव की शुरूआत 22 फरवरी से हुई है. 26 फरवरी को भगवान भोलेनाथ की मेंहदी और हल्दी रस्म रखी गई है. यह शाम 6 बजे से होगी, शाम 7 बजे से अखंड रामायण का पाठ भी शुरू होगा. 1 मार्च को बाबा बटेश्वर की बारात का नगर भ्रमण और रात में वरमाला मां भवानी मंदिर में होगा. 5 मार्च को बधाई बुलउआ का आयोजन होगा, 6 मार्च को महाप्रसादी वितरण और 15 मार्च को माताजी की विदाई कार्यक्रम के साथ महोत्सव का समापन होगा.

God invited the deities to marry the innocent
भगवाने भोले का ब्याह रचाने देवी देवता आमंत्रित

मंदिर का किया जा रहा पुर्ननिर्माण

बड़वाले महादेव मंदिर का पुनर्निमाण का कार्य किया जा रहा है। मंदिर को भव्य बनाने के लिए निर्माण कार्य किया जा रहा है। मंदिर की भव्यता के लिए 3 मुख्य द्वार बनाए जा रहे हैं। आर्किटेक्ट मिलिंद जमड़े ने मंदिर के लिए नक्शा तैयार किया है। मंदिर में 5 तरह के पत्थरों का उपयोग किया जाएगा। इसमें रेड ग्रेनाइट, मकराना का सफेद पत्थर, धौलपुर का सफेद पत्थर, धौलपुर का लाल पत्थर, जैसलमेर टीक स्ओन और ललितपुर का पिंक ग्रेनाइट का उपयोग किया जाएगा

भोपाल। राजधानी भोपाल के प्राचीन मंदिरों में शामिल बड़वाले महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा. भगवाने भोले का ब्याह रचाने विवाह पत्रिका तैयार कर देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया है. भोले बाबा के विवाह के पहले शनिवार को भोले नाथ की मेहंदी की रस्म और अखंड रामायण का पाठ किया जाएगा. एक मार्च को भव्य शिव बारात नगर भ्रमण पर निकलेगी. यह ऐसा मंदिर है, जहां भगवान भोले के विवाह की हल्दी-मेंहदी से लेकर विवाह और फिर विदाई तक की सभी रस्में निभाई जाती हैं.

200 years old history of Barwale Mahadev Temple
बड़वाले महादेव मंदिर का इतिहास 200 साल पुराना

200 साल पुराना है इतिहास, वटवृक्ष की जड़ों से हुए थे प्रकट

श्री बड़वाले महादेव मंदिर का इतिहास तकरीबन 200 साल पुराना है. बताया जाता है कि पहले यहां एक बगीचा हुआ करता था. एक बार एक महात्मा बगीचे में आए और वटवृक्ष की छाया में विश्राम करने के लिए लेट गए. करवट लेते समय उनका सर वृक्ष की जड़ में स्थित एक शिला से टकराया, उन्होंने शिला के आसपास की मिट्टी हटाकर देखा तो उन्हें शिवलिंग के दर्शन हुए. बताया जाता है कि शिवलिंग के आसपास कई फीट तक खुदाई कराई गई, लेकिन उनका छोर नहीं मिल सका सका था. तभी से बाबा बटेश्वर मंदिर के नाम से यहां भगवान की पूजा अर्चना शुरू हो गई.

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13 सालों से चल रहा ओम नमः शिवाय का जाप

मंदिर में पिछले 13 सालों से ओम नमः शिवाय का जाप चल रहा है, इसकी शुरूआत 22 फरवरी 2009 से हुई थी. मंदिर समिति के संयोजक संजय अग्रवाल के मुताबिक, मंदिर को लेकर लोगों की बड़ी आस्था है. यहां सोमवार को बड़ी संख्या में भक्त आते हैं, महाशिवरात्रि का पर्व 21 दिन तक मनाया जाता है. इस साल भी महाशिवरात्रि महोत्सव की शुरूआत 22 फरवरी से हुई है. 26 फरवरी को भगवान भोलेनाथ की मेंहदी और हल्दी रस्म रखी गई है. यह शाम 6 बजे से होगी, शाम 7 बजे से अखंड रामायण का पाठ भी शुरू होगा. 1 मार्च को बाबा बटेश्वर की बारात का नगर भ्रमण और रात में वरमाला मां भवानी मंदिर में होगा. 5 मार्च को बधाई बुलउआ का आयोजन होगा, 6 मार्च को महाप्रसादी वितरण और 15 मार्च को माताजी की विदाई कार्यक्रम के साथ महोत्सव का समापन होगा.

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मंदिर का किया जा रहा पुर्ननिर्माण

बड़वाले महादेव मंदिर का पुनर्निमाण का कार्य किया जा रहा है। मंदिर को भव्य बनाने के लिए निर्माण कार्य किया जा रहा है। मंदिर की भव्यता के लिए 3 मुख्य द्वार बनाए जा रहे हैं। आर्किटेक्ट मिलिंद जमड़े ने मंदिर के लिए नक्शा तैयार किया है। मंदिर में 5 तरह के पत्थरों का उपयोग किया जाएगा। इसमें रेड ग्रेनाइट, मकराना का सफेद पत्थर, धौलपुर का सफेद पत्थर, धौलपुर का लाल पत्थर, जैसलमेर टीक स्ओन और ललितपुर का पिंक ग्रेनाइट का उपयोग किया जाएगा

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