भोपाल। सिंधिया गुट की कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त इमरती देवी ने लघु उद्योग निगम का चेयरमैन का पदभार ग्रहण कर लिया है. इमरती देवी के मुताबिक कमलनाथ सरकार में बतौर महिला एवं बाल विकास मंत्री रहते उन्होंने विभाग में कई नवाचार किए थे. यही वजह है कि केन्द्र से उनके विभाग को तीन बार पुरस्कार मिला है. अब ऐसे ही नए प्रयास लघु उद्योग निगम में भी करने हैं. इमरती देवी के मुताबिक उनके लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया पिता और भगवान है, जिन्होंने उन्हें जमीन से उठाकर सिंहासन पर बैठा दिया है. सिंधिया और शिवराज जी के मार्गदर्शन में लघु उद्योग निगम में बेहतर काम करूंगी. नई जिम्मेवारी मिलने पर कैबिनेट मंत्री इमरती देवी से मध्य प्रदेश के ब्यूरो चीफ विनोद तिवारी की चर्चा.
सवाल- आप कमलनाथ सरकार में महिला बाल विकास विभाग की मंत्री थी और अब शिवराज सिंह की सरकार में यह नई भूमिका मिली है. दोनों में क्या फर्क महसूस करती हैं? क्योंकि दोनों सरकारों का काम करने का अलग तरीका है, दोनों की विचारधाराएं भी अलग हैं?
जवाब - 2018 में अच्छे वोटों से जीतकर आई थीं. तब ज्योतिरादित्य सिंधिया के आशीर्वाद से मंत्री बनी, लेकिन मुझे कमलनाथ जी ने महत्व नहीं दिया. उन्होंने विभाग को एक भी पैसा नहीं दिया. हमने अपने प्रयासों से विभाग में काम किए. कई मामलों में जनभागीदारी से पैसा जुटा कर काम किया. इसके जरिए कई आंगनबाड़ियों को बेहतर किया. बाल शिक्षा केन्द्र बनाए गए. हर विधानसभा की एक से दो आंगनबाड़ियों को आदर्श बनाया. जबकि राज्य सरकार से पैसा नहीं मिला. इसके बाद भी केन्द्र सरकार से तीन-तीन अवार्ड लिए. लघु उद्योग निगम में भी बेहतर से बेहतर काम करने की दिशा में कदम उठाया जाएगा.
सवाल- कौन सी कसक जो आपको लगती हो कि यह काम नहीं कर सकी, जो किया जा सकता था?
जवाब- मैंने महिला बाल विकास मंत्री के तौर पर कई अच्छे काम किए थे. उस दौरान मैंने विभाग की कार्ययोजना तैयार की थी, लेकिन बाद में सरकार बदल गई और पूरी कार्ययोजना धरी की धरी रह गई.
सवाल- सरकार बदल गई और आपने कहा कि सिंधिया जी जो कहेंगे वह करूंगी. क्या यह संकल्प अभी भी जारी रहेगा?
जवाब- किसी को इस बात पर ऐतराज नहीं होना चाहिए. निष्ठावान जो होता है वह पूरी निष्ठा के साथ काम करता है. सिंधियाजी मेरे नेता है और सिंधिया जी के लिए मैं तन-मन-धन से समर्पित हूं. सिंधिया जी को मैं अपने भगवान और पिता के रूप में देखती हूं। उन्होंने जमीन से उठाकर मुझे सिंहासन दिया है. मेरे पूरे खानदान में कोई राजनीति में नहीं था. कभी किसी ने सरपंच तक का चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन सिंधिया जी का इतना आशीर्वाद मिला कि उन्होंने मुझे 2008, 2013 और 2018 में विधायक बनवाया. इसके लिए मैं उनकी सदा आभारी रहूंगी. शिवराज जी मेरे बड़े भाई और नेता हैं. उनके दिशा निर्देशन में पूरे तन-मन-धन से काम करूंगी. उनके आदेश को पूरा करने में में कोई आनाकानी नहीं करूंगी.
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सवाल- कांग्रेस-बीजेपी दोनों पार्टियों में विचारधारा का अंतर बड़ा रहा है. कांग्रेस से आप बीजेपी में आई, लेकिन पिछला चुनाव हार गई. अब नई विचारधारा में अपने आप को कहा पाती हैं?
जवाब- मैंने डबरा से चार बार जीत दर्ज की है. डबरा की जनता ने मुझे भरपूर प्यार दिया. कांग्रेस से बीजेपी में आने के बाद हो सकता है जनता के विचार में कुछ आया हो. लेकिन क्षेत्र की जनता मेरे साथ है. वैसे भी समय है, यह कब बदल जाए और कब वापस आ जाए. समय ही था कि मैं चुनाव हार गई, लेकिन अब फिर नई जिम्मेदारी मिली है.