भोपाल। मध्यप्रदेश में धान की पैदावार करने वाले किसानों की आय बढ़ी है. पिछले पांच साल में किसानों का रुझान धान की खेती की तरफ बढ़ा है, लिहाजा अब किसानों ने अच्छा फायदा लेने के लिए समय से पहले धान की रोपाई शुरू कर दी है. खेती के जानकारों का मानना है कि समय से पहले धान की रोपाई ठीक नहीं है क्योंकि अभी बारिश का दौर शुरू नहीं हुआ है और अनिश्चितता बनी हुई है.
समय से पहले कर रहे रोपाई
धान प्रदेश की खरीफ की मुख्य फसल है. धान की खेती सिंचित क्षेत्रों में की जाती है. अधिक उत्पादन क्षमता और अच्छा बाजार भाव मिलने के कारण किसान धान की अलग-अलग किस्मों की खेती करते हैं. धान की पौध तैयार कर रोपाई की जाती है. राजधानी भोपाल और आसपास के किसानों ने बारिश आने पर समय से पहले ही धान की रोपाई शुरू कर दी है. खजूरी कला गांव के किसान मिश्रीलाल राजपूत बताते हैं कि समय से पहले रोपाई करने से फसल भी समय से पहले ही तैयार हो जाएगी, जिससे दूसरी फसल के लिए हमारे पास पर्याप्त समय मिल जाएगा.
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सिंचाई के समुचित साधन हो तो ही करें रोपाई
कृषि के जानकार, डॉ जीएस कौशल का कहना है कि धान को ज्यादा पानी चाहिए, ऐसे में समय से पहले रोपाई करना खतरनाक हो सकता है क्योंकि इन दिनों बारिश की अनिश्चितता बनी हुई है. वे किसान जिनके पास सिंचाई के समुचित साधन हों तो फिर उन्हें रोपाई कर देना चाहिए या फिर समुचित बारिश होने का इंतजार करें. इसके लिए रोपणी 15 से 20 दिन पुरानी होना चाहिए.
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लगातार बढ़ रहा धान का रकबा और उत्पादन
प्रदेश में साल-दर-साल धान की पैदावार में वृद्धि हो रही है. वर्ष 2015-16 में 20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की रोपाई की गई थी और पैदावार 53.20लाख टन हुई है थी. वर्ष 2019-20 में रकबा बढ़कर 30 लाख हेक्टेयर के पार पहुंच गया और पैदावार 109 लाख टन से अधिक हो गई है.
धान उत्पादक प्रमुख जिले
प्रदेश में बालाघाट, सिवनी, मंडला, रीवा, शहडोल, अनूपपुर, कटनी, जबलपुर, डिंडोरी जिलों में धान की खेती होती है. इसके साथ ही भोपाल, रायसेन, होशंगाबाद, सीहोर आदि जिलों में भी किसान धान की खेती कर रहे हैं.