रायसेन। गली से गुजरने की जरा सी बात पर जल उठे खमरिया खुर्द में अब खामोशी छा गई है. गांव में होली की रात बच्चों के बीच विवाद हुआ था. देखते ही देखते बच्चों का यह विवाद बड़ा हो गया और खूनी संघर्ष में बदल गया. इस घटना में लगभग 50 लोग घायल हुए और 1 व्यक्ति की मौत भी हुई थी. गांव में अभी भी पुलिस तैनात है और फिलहाल शांति है, लेकिन राजू आदिवासी के घर से उठने वाली सिसकियां-और रोने की आवाजें इस खामोशी को तोड़ देती हैं. उसकी पत्नी रह रह यही सवाल पूछती है उसके पति ने किसी का क्या बिगाड़ा था.
नाम लेते ही बिलख उठती है खूनी संघर्ष में पति को खो चुकी महिला
राजू आदिवासी के तीन बच्चे हैं. बड़ी बेटी की उम्र चार साल है. वो बार-बार अपनी मां से एक ही सवाल किए जा रही थी- पापा कब आएंगे ? पास में बैठा दो साल का बेटा नहीं समझ पा रहा कि उसके घर में इतने लोग क्यों आ रहे हैं. राजू की पत्नी माया बाई की उम्र 22 साल है. चार साल पहले ही शादी हुई थी. पति राजू एक दिहाड़ी मजदूर था जो उदयपुरा में काम करता था. माया बाई घर पर बच्चों की देखभाल किया करती थी. काम के सिलसिले में राजू ज्यादातर बाहर ही रहता था. माया ने बताया कि शुक्रवार रात पता चला कि गांव के पास खमरिया खुर्द में झगड़ा हो गया है. मां ने मेरे पति को जेठ रामजी को बुलाने के लिए भेजा. इसके बाद वह वापस नहीं लौटे. उनकी लाश ही आई जिसका हमें आखिरी बार मुंह तक नहीं देखने दिया गया. पुलिस ने दबाव डालकर जल्दबाजी में अंतिम संस्कार करवा दिया.
घायलों से मिलने पहुंचे आला अधिकारी
रविवार को घायलों का हालचाल जानने कलेक्टर और एसपी भोपाल के हमीदिया अस्पताल पहुंचे. उन्होंने घायलों के उपचार के संबंध में डॉक्टरों से भी जानकारी ली. इस दौरान जिला पंचायत सीईओ पीसी शर्मा भी मौजूद रहे.