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क्यों अकेले पड़ते दिख रहे दिग्विजय सिंह, प्रदेश संगठन का नहीं मिल रहा साथ

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Published : Oct 27, 2021, 3:20 PM IST

Updated : Oct 27, 2021, 3:46 PM IST

एमपी कांग्रेस की सियासत पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बगैर पूरी नहीं हो सकती. बीते तीन दशक से राज्य की सियासत में दिग्विजय सिंह का दबदबा कायम है, लेकिन बीते कुछ दिनों से वे पार्टी के भीतर ही अलग-थलग पड़ते दिख रहे हैं. राज्य में तीन विधानसभा क्षेत्रों और एक लोकसभा क्षेत्र में उप-चुनाव हो रहा है किंतु दिग्विजय सिंह प्रचार के लिए सिर्फ खंडवा लोकसभा क्षेत्र और पृथ्वीपुर में उम्मीदवार का नामांकन पत्र भराने ही पहुंचे थे. पार्टी के सूत्रों का कहना है कि दिग्विजय को लेकर पार्टी के प्रदेश संगठन के भीतर ही अच्छी राय नहीं बन रही है. इन स्थितियों में पार्टी का संगठन उनके साथ खड़ा नहीं हो रहा.

Digvijay Singh is seen falling alone in the politics of Madhya Pradesh
मध्य प्रदेश की सियासत में अकेले पड़ते दिख रहे दिग्विजय सिंह

भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सियासत पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बगैर पूरी नहीं हो सकती. बीते तीन दशक से राज्य की सियासत में दिग्विजय सिंह का दबदबा कायम है, लेकिन बीते कुछ दिनों से वे पार्टी के भीतर ही अलग-थलग पड़ते दिख रहे हैं. वर्तमान में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह राज्यसभा सदस्य हैं और पार्टी द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलनों को लेकर बनाई गई समिति के प्रमुख भी हैं. हालात से लड़ना और पार्टी के नेताओं व कार्यकतार्ओं के बीच मौजूद रहना उनकी खूबी रही है. पिछले कुछ दिनों में पार्टी के नेता ही उनसे किनारा करने लगे हैं और दिग्विजय सिंह अकेले ही मोर्चा संभाले हुए हैं.

गिनती की सभाओं में नजर आए दिग्गी राजा

राज्य में तीन विधानसभा क्षेत्रों और एक लोकसभा क्षेत्र में उप-चुनाव हो रहा है. इस उप-चुनाव में पार्टी की कमान पूरी तरह प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के हाथ में है. हर मोर्चे पर कमलनाथ नजर आए और प्रचार में पार्टी का चेहरा भी कमलनाथ थे. दिग्विजय सिंह प्रचार के लिए सिर्फ खंडवा लोकसभा क्षेत्र में गए, वहीं पृथ्वीपुर में उम्मीदवार का नामांकन पत्र भराने पहुंचे थे. इसके अलावा पार्टी ने उनका कहीं भी उपयोग नहीं किया. एक तरफ जहां उप-चुनाव के प्रचार में पार्टी ने दिग्विजय सिंह को आगे नहीं बढ़ाया तो दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है, जिसमें वे पूरी तरह अकेले ही नजर आ रहे हैं.

उपचुनाव से दिग्विजय की दूरी बनी चर्चा का विषय, प्रचार में भी नहीं आ रहे नजर, बीजेपी ने कसे तंज


पन्ना रेत खनन मामले में कोई भी बड़ा नेता नहीं आया साथ

दिग्विजय सिंह ने पन्ना रेत खनन का मामला उठाया और इसे लेकर लोकायुक्त तक जा पहुंचे, परंतु उनके इस अभियान में पार्टी का कोई भी बड़ा नेता साथ देता नहीं दिखा. इतना ही नहीं, भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हो या प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, या दूसरे नेता, सभी दिग्विजय सिंह पर निशाना साध रहे हैं लेकिन पार्टी दिग्विजय का बचाव करने आगे नहीं आ रही. दिग्विजय सिंह द्वारा पन्ना रेत खनन के मामले को उठाए जाने की वजह वहां कांग्रेस नेता के खिलाफ की गई प्रशासन की कार्रवाई से जोड़कर देखा जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि वहां पार्टी की पूर्व जिलाध्यक्ष दिव्यारानी सिंह को पटटे पर दी गई जमीन की अवधि निकलने के बाद प्रशासन ने अतिक्रमण हटाया, वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग पर बने होटल को भी गिराए जाने की कार्रवाई लंबित है. दिव्यारानी की गिनती दिग्विजय के करीबियों में होती रही है.

पार्टी के सूत्रों का कहना है कि दिग्विजय को लेकर पार्टी के प्रदेश संगठन के भीतर ही अच्छी राय नहीं बन रही है. कई नेता तो यहां तक कहने लगे हैं कि दिग्विजय सिंह अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए बयानबाजी करते हैं. वे ट्वीट के सहारे ऐसे हमले करते हैं जिससे पार्टी को फायदा कम नुकसान ज्यादा हो जाता है. इन स्थितियों में पार्टी का संगठन उनके साथ खड़ा नहीं हो रहा.

इनपुट - आईएएनएस

भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सियासत पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बगैर पूरी नहीं हो सकती. बीते तीन दशक से राज्य की सियासत में दिग्विजय सिंह का दबदबा कायम है, लेकिन बीते कुछ दिनों से वे पार्टी के भीतर ही अलग-थलग पड़ते दिख रहे हैं. वर्तमान में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह राज्यसभा सदस्य हैं और पार्टी द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलनों को लेकर बनाई गई समिति के प्रमुख भी हैं. हालात से लड़ना और पार्टी के नेताओं व कार्यकतार्ओं के बीच मौजूद रहना उनकी खूबी रही है. पिछले कुछ दिनों में पार्टी के नेता ही उनसे किनारा करने लगे हैं और दिग्विजय सिंह अकेले ही मोर्चा संभाले हुए हैं.

गिनती की सभाओं में नजर आए दिग्गी राजा

राज्य में तीन विधानसभा क्षेत्रों और एक लोकसभा क्षेत्र में उप-चुनाव हो रहा है. इस उप-चुनाव में पार्टी की कमान पूरी तरह प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के हाथ में है. हर मोर्चे पर कमलनाथ नजर आए और प्रचार में पार्टी का चेहरा भी कमलनाथ थे. दिग्विजय सिंह प्रचार के लिए सिर्फ खंडवा लोकसभा क्षेत्र में गए, वहीं पृथ्वीपुर में उम्मीदवार का नामांकन पत्र भराने पहुंचे थे. इसके अलावा पार्टी ने उनका कहीं भी उपयोग नहीं किया. एक तरफ जहां उप-चुनाव के प्रचार में पार्टी ने दिग्विजय सिंह को आगे नहीं बढ़ाया तो दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है, जिसमें वे पूरी तरह अकेले ही नजर आ रहे हैं.

उपचुनाव से दिग्विजय की दूरी बनी चर्चा का विषय, प्रचार में भी नहीं आ रहे नजर, बीजेपी ने कसे तंज


पन्ना रेत खनन मामले में कोई भी बड़ा नेता नहीं आया साथ

दिग्विजय सिंह ने पन्ना रेत खनन का मामला उठाया और इसे लेकर लोकायुक्त तक जा पहुंचे, परंतु उनके इस अभियान में पार्टी का कोई भी बड़ा नेता साथ देता नहीं दिखा. इतना ही नहीं, भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हो या प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, या दूसरे नेता, सभी दिग्विजय सिंह पर निशाना साध रहे हैं लेकिन पार्टी दिग्विजय का बचाव करने आगे नहीं आ रही. दिग्विजय सिंह द्वारा पन्ना रेत खनन के मामले को उठाए जाने की वजह वहां कांग्रेस नेता के खिलाफ की गई प्रशासन की कार्रवाई से जोड़कर देखा जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि वहां पार्टी की पूर्व जिलाध्यक्ष दिव्यारानी सिंह को पटटे पर दी गई जमीन की अवधि निकलने के बाद प्रशासन ने अतिक्रमण हटाया, वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग पर बने होटल को भी गिराए जाने की कार्रवाई लंबित है. दिव्यारानी की गिनती दिग्विजय के करीबियों में होती रही है.

पार्टी के सूत्रों का कहना है कि दिग्विजय को लेकर पार्टी के प्रदेश संगठन के भीतर ही अच्छी राय नहीं बन रही है. कई नेता तो यहां तक कहने लगे हैं कि दिग्विजय सिंह अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए बयानबाजी करते हैं. वे ट्वीट के सहारे ऐसे हमले करते हैं जिससे पार्टी को फायदा कम नुकसान ज्यादा हो जाता है. इन स्थितियों में पार्टी का संगठन उनके साथ खड़ा नहीं हो रहा.

इनपुट - आईएएनएस

Last Updated : Oct 27, 2021, 3:46 PM IST
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