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लॉकडाउन से बंद पड़े हैं सारे धंधे, हर दिन काम करने वालों के सामने रोजी-रोटी का संकट - कोविड-19 से भोपाल परेशान

कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन के चलते लोगों को परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है. भोपाल में उन लोगों की जिंदगी पर इस लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर हुआ है जो रोज कमाकर खाते थे.

लॉक डाउन से बेपटरी हुई  जिंदगी
लॉक डाउन से बेपटरी हुई जिंदगी
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Published : Apr 7, 2020, 9:19 PM IST

भोपाल। कोरोना से निपटने के लिए के लिए किए गए लॉकडाउन से परेशानियां भी बढ़ रही हैं. लॉकडाउन से उन लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा होने लगा है, जो छोटे-मोटे धंधे करके अपना घर चलाते थे. लॉकडाउन की वजह से मेडिकल और दूध डेयरी खुली है. लेकिन बाकी दुकानें चलाने वाले और खासतौर से इन दुकानों पर काम करने वाले परेशान हैं.

लॉकडाउन से बंद पड़े हैं सारे धंधे

भोपाल के एमपी नगर स्थित एक स्टोर पर काम करने वाले 35 वर्षीय सचिन यादव कहते हैं कि 23 मार्च से ही घर बैठा हूं, दुकान बंद हैं. घर पर राशन तो है लेकिन उसके अलावा भी हर रोज कुछ ना कुछ खर्च होता ही है. अब घर चलाना मुश्किल होने लगा है. कुछ इसी तरह की मुश्किल सचिन यादव के सामने भी खड़ी है. जो छोटा मोटा काम धंधा कर अपना पेट पालते हैं, लेकिन लॉकडाउन से उनकी कमर टूट गई है.

हर दिन काम करने वालों के सामने रोजी-रोटी का संकट

शहर के प्रेस कॉम्प्लेक्स एमपी नगर में इडली बड़ा का स्टॉल लगाने वाले बबलू तिवारी कहते हैं कि उनके घर में पति पत्नी बच्चों और पिता सहित पांच सदस्य हैं. पहले भी जैसे तैसे घर चलता था, लेकिन लॉकडाउन से जमा पूंजी भी खत्म होने लगी है. स्थिति यह है कि लॉकडाउन खुल भी जाएगा तब भी उम्मीद नहीं है कि स्टॉल पर पहले जितने लोग आएंगे या नहीं. राजधानी के कटारा इलाके में मिठाई की दुकान चलाने वाले शत्रु सिंह राज पुरोहित बताते हैं कि उनकी दुकान 21 मार्च से बंद है. दुकान में जो माल रखा था वह खराब हो चुका है. दुकान में 5 कर्मचारी भी थे. जिनकों भी नुकसान हो रहा है. कर्मचारियों की थोड़ी बहुत आर्थिक मदद कर दी है लेकिन इतने दिनों के बंद ने उनकी आर्थिक हालत खराब कर दी है. अभी तक करीब ढाई से तीन लाख का नुकसान हो चुका है.

शक्ति नगर इलाके में किराए से रहने वाले राकेश सराठे म्यूजिक टीचर हैं. उनकी पत्नी ब्यूटी पार्लर चलाती हैं. राकेश कहते हैं कि लॉकडाउन से दुकान में रखा करीब एक लाख का माल खराब हो चुका है. पांच लोगों का परिवार है अगर लॉकडाउन इसी तरह चलता रहा तो जिंदगी पटरी से उतर जाएगी. क्योंकि लॉकडाउन से हर रोज होने वाली आय भी खत्म हो गई है. अगर यह और ज्यादा खींचा तो लोगों की समस्याएं और बढ़ेगीं.

भोपाल। कोरोना से निपटने के लिए के लिए किए गए लॉकडाउन से परेशानियां भी बढ़ रही हैं. लॉकडाउन से उन लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा होने लगा है, जो छोटे-मोटे धंधे करके अपना घर चलाते थे. लॉकडाउन की वजह से मेडिकल और दूध डेयरी खुली है. लेकिन बाकी दुकानें चलाने वाले और खासतौर से इन दुकानों पर काम करने वाले परेशान हैं.

लॉकडाउन से बंद पड़े हैं सारे धंधे

भोपाल के एमपी नगर स्थित एक स्टोर पर काम करने वाले 35 वर्षीय सचिन यादव कहते हैं कि 23 मार्च से ही घर बैठा हूं, दुकान बंद हैं. घर पर राशन तो है लेकिन उसके अलावा भी हर रोज कुछ ना कुछ खर्च होता ही है. अब घर चलाना मुश्किल होने लगा है. कुछ इसी तरह की मुश्किल सचिन यादव के सामने भी खड़ी है. जो छोटा मोटा काम धंधा कर अपना पेट पालते हैं, लेकिन लॉकडाउन से उनकी कमर टूट गई है.

हर दिन काम करने वालों के सामने रोजी-रोटी का संकट

शहर के प्रेस कॉम्प्लेक्स एमपी नगर में इडली बड़ा का स्टॉल लगाने वाले बबलू तिवारी कहते हैं कि उनके घर में पति पत्नी बच्चों और पिता सहित पांच सदस्य हैं. पहले भी जैसे तैसे घर चलता था, लेकिन लॉकडाउन से जमा पूंजी भी खत्म होने लगी है. स्थिति यह है कि लॉकडाउन खुल भी जाएगा तब भी उम्मीद नहीं है कि स्टॉल पर पहले जितने लोग आएंगे या नहीं. राजधानी के कटारा इलाके में मिठाई की दुकान चलाने वाले शत्रु सिंह राज पुरोहित बताते हैं कि उनकी दुकान 21 मार्च से बंद है. दुकान में जो माल रखा था वह खराब हो चुका है. दुकान में 5 कर्मचारी भी थे. जिनकों भी नुकसान हो रहा है. कर्मचारियों की थोड़ी बहुत आर्थिक मदद कर दी है लेकिन इतने दिनों के बंद ने उनकी आर्थिक हालत खराब कर दी है. अभी तक करीब ढाई से तीन लाख का नुकसान हो चुका है.

शक्ति नगर इलाके में किराए से रहने वाले राकेश सराठे म्यूजिक टीचर हैं. उनकी पत्नी ब्यूटी पार्लर चलाती हैं. राकेश कहते हैं कि लॉकडाउन से दुकान में रखा करीब एक लाख का माल खराब हो चुका है. पांच लोगों का परिवार है अगर लॉकडाउन इसी तरह चलता रहा तो जिंदगी पटरी से उतर जाएगी. क्योंकि लॉकडाउन से हर रोज होने वाली आय भी खत्म हो गई है. अगर यह और ज्यादा खींचा तो लोगों की समस्याएं और बढ़ेगीं.

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