भोपाल। इन दिनों मुंबई हाईकोर्ट का एक फैसला चर्चा में है जिसमें कहा गया है कि जमातियों को बलि का बकरा बनाया गया था. एक प्रोपेगेंडा चलाकर उन्हें बदनाम कर जमातियों को संक्रमण फैलाने का जिम्मेदार बताया गया था. ऐसे ही आरोपों का दंश झेल चुके कुछ जमातियों से बात की ईटीवी भारत ने और जाना लॉकडाउन काल का उनका अनुभव.
पुलिस का व्यवहार रहा सहयोगी
दिल्ली निवासी जमाती मोहम्मद जुबेर ने बताया कि वे लोग निजामुद्दीन से भोपाल आए, जहां मनकशा मस्जिद में रहे लेकिन तभी लॉकडाउन लग गया और फिर खबरें आना शुरू हो गईं की मरकज निजामुद्दीन से कोरोना विस्फोट हुआ है. इस कारण देश भर में चल रही जमातों को परेशानी उठानी पड़ी. हालांकि उनके साथ भोपाल में अच्छा व्यवहार हुआ.
भोपाल के जनप्रतिनिधियों ने जुटाई सुविधाएं
मोहम्मद जुबेर ने बताया कि उन्हें आइसोलेट करते हुए हज हाउस में रखा गया और पुलिस प्रशासन ने अच्छा व्यवहार किया, जिसके लिए वो शुक्रगुजार हैं. यहां के विधायक आरिफ मसूद पार्षद शावर मंसूरी एवं सोहेल भाई के साथ-साथ अन्य लोगों ने खाने से लेकर अन्य सुविधा सुविधाएं जुटाई. जुबेर ने बताया कि जब उन्हें राजहंस होटल में शिफ्ट किया गया तो पुलिस वाले साथ ही रह रहे थे, जहां पुलिस का व्यवहार भी बहुत सहयोगी रहा जिसकी हम कद्र करते हैं.
लोगों का काम है इल्जाम लगाना
ईटीवी भारत के सवाल पर की आप पर कोरोना वायरस का वाहक और जिहादी का आरोप लगा है तो जमाती मोहम्मद इफ्तिखार ने कहा कि जिसे जो कहना है उसे कहने दो आप किसी को रोक नहीं सकते. लॉकडाउन में कष्ट उठाने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि अल्लाह का शुक्र है कि तकलीफ नहीं हुई. वहीं भविष्य में जमात में जाने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि वे बिल्कुल जमात में जाएंगे और अब अधिक से अधिक समय लगाएंगे.
इंसानियत के लिए खून का हर कतरा कुर्बान
प्लाज्मा दान करने के सवाल पर मोहम्मद इफ्तिखार ने कहा कि किसी की जान बचाने के लिए रगों का एक-एक कतरा दे देंगे, इंसानियत को बचाना उनका पहला कर्तव्य है. अगर किसी की जान को खतरा है तो नमाज छोड़कर भी उसकी जान बचाने की इजाजत इस्लाम में है, इस लिए इंसानियत के लिए वह कुछ भी करेंगे.