भोपाल। राजस्थान के उदयपुर में अगले महीने कांग्रेस चिंतन शिविर करने जा रही है. इस शिविर में 'किसान एवं खेती' के मुद्दे पर विस्तृत रिपोर्ट बनाने वाली समिति में पूर्व मंत्री और मध्य प्रदेश की कांग्रेस इकाई के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव का भी नाम है. इससे इस बात के संकेत मिलने लगे है कि यादव का कांग्रेस की सियासत में कद बढ़ रहा है. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का चिंतन शिविर राजस्थान के उदयपुर में 13 से 15 मई के बीच होने वाला है. इस शिविर में कई मुद्दों पर चिंतन मंथन होगा, उसमें से एक है किसान से जुड़ा मुद्दा. कांग्रेस ने किसान और खेती के मुद्दे पर विस्तृत रिपोर्ट बनाने के लिए कमेटी गठित की है.
किसान और खेती को लेकर रिपोर्ट तैयार करने के लिए बनाई गई कमेटी में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव, महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर नाना पटोले, पंजाब नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा आदि को शामिल किया गया है. (mp assembly election 2023) (arun yadav political stature)
राष्ट्रीय स्तर समिति में यादव को मिला स्थान: ज्ञात हो कि अरुण यादव पिछले कुछ अरसे से पार्टी के अंदर साइड लाइन किए जा रहे थे. उसका बड़ा उदाहरण खंडवा लोकसभा का उप-चुनाव था. यादव ने पार्टी का सहयोगात्मक रुख नजर नहीं आने पर चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था, और खुद को अपने गृहनगर तक सीमित कर लिया था. उसके बाद पिछले दिनों पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी से हुई मुलाकात के बाद उनकी स्थित में बदलाव आया. प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने भी उन्हें महत्व दिया. उसके बाद से उनकी पूरे राज्य में सक्रियता बढ़ी हुई है और अब पार्टी की राष्ट्रीय स्तर पर बनाई गई समिति में यादव को स्थान दिया गया है.
यादव को किसान नेता का चेहरा बनाने की तैयारी: अरुण यादव की पारिवारिक पृष्ठभूमि पर गौर करें तो खेती किसानी और सहकारिता से जुड़ी हुई है. उनके पिता सुभाष यादव राज्य के उप मुख्यमंत्री रहे और सहकारिता आंदोलन में उनकी अहम भूमिका रही है. इतना ही नहीं छोटे भाई सचिन यादव को कमलनाथ सरकार में कृषि मंत्री भी बनाया गया था. यादव को नई जिम्मेदारी सौंपे जाने से एक बात के संकेत तो मिलने ही लगे हैं कि एक तरफ जहां पार्टी में उनका कद बढ़ रहा है, तो दूसरी ओर कांग्रेस राज्य में उन्हें किसान नेता का चेहरा भी बनाने की तैयारी में है. (congress chintan shivir in udaipur)
(आईएएनएस)