भोपाल। प्रदेश निवेश और उद्योग धंधों की राह को आसान बनाने के लिए शिवराज सरकार ने श्रम कानूनों में बड़े बदलाव किए है. नए प्रतिष्ठान और उद्योग स्थापित करने के लिए लालफीताशाही से बचाने के साथ साथ अब लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन, रिनुअल की व्यवस्था को सरल बनाया गया है. जबकि प्रदेश से इंस्पेक्टर राज व्यवस्था को भी प्रदेश से खत्म कर दिया है. सीएम शिवराज ने कहा कि, अब कारखानों को 61 रजिस्टर और 31 रिटर्न के स्थान पर एक रजिस्टर और एक रिटर्न की व्यवस्था की गई है. इसके अलावा अब प्रदेश में सुबह 6 बजे से रात 12 बजे तक दुकानें खोली जा सकेंगी.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, कोरोना महामारी के बाद परिस्थितियां काफी बदल गई हैं. लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना और उसके लिए प्रदेश में माहौल तैयार करना आज की जरूरत है. कोरोना संक्रमण जहां एक चुनौती है, वहीं एक अवसर भी है. चीन जैसे देश से उद्योग स्थानांतरित हो रहे हैं. उद्योगों को आकर्षित करने के लिए नियमों का सरलीकरण किया जा रहा है, जिससे प्रदेश में उद्योगों को आकर्षित किया जा सके. जिसके चलते श्रम नियमों में कई संशोधन किए गए हैं.
एक दिन में होगा दुकानों और उद्योगों का पंजीयन
दुकानों ठेकेदारों और उद्योगों के लिए पंजीयन एक दिन में किया जाएगा, अभी तक विभिन्न नियमों के तहत 30 दिन में पंजीयन जारी किए जाते थे. व्यवसायियों को परेशानी से बचाने पंजीयन लाइसेंस की व्यवस्था को लोक स्वास्थ्य गारंटी योजना से जोड़ा गया है. एक दिन में पंजीयन जारी न करने पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई की जाएगी.
इन नियमों में भी हुआ बदलाव
- कारखाना लाइसेंस नवीनीकरण 1 साल की जगह स्थान पर 10 साल किया गया
- बार-बार रिन्यूअल की व्यवस्था भी खत्म होगी
- ठेका श्रम अधिनियम के अंतर्गत कैलेंडर वर्ष के स्थान पर अब संपूर्ण ठेका अवधि के लिए लाइसेंस जारी किए जाएंगे.
- नए कारखाने के लाइसेंस ऑनलाइन जारी किया जायेंगे
- कारखाना मालिक अपनी सुविधानुसार शिफ्ट में परिवर्तन कर सकेंगे
एक रजिस्टर एक रिर्टन
कारखानों में अब 61 रजिस्टर रखने और 31 रिटर्न जारी करने की व्यवस्था को भी बंद कर दिया गया है. अब एक रजिस्टर रखने और एक ही रिटर्न जारी करने की व्यवस्था की गई है. जबकि स्वयं के हस्ताक्षर से जारी किया गया रिर्टन भी मान्य किया जाएगा. 50 से कम श्रमिकों को नियोजित करने वाली संस्था को विभिन्न श्रम कानूनों के तहत निरीक्षण की सीमा से बाहर किया गया है. यानी छोटे और कुटीर उद्योगों का निरीक्षण नहीं किया जाएगा.
अगर कोई शिकायत प्राप्त होने पर सिर्फ लेबर कमिश्नर की अनुमति से ही निरीक्षण किए जाएंगे. अब कारखाने में ट्रेड यूनियन और कारखाना प्रबंधक अपनी सुविधानुसार विवादों का निराकरण कर सकेंगे, उन्हें इसके लिए लेबर कमिश्नर ऑफिस नहीं आना होगा. कारखाना अधिनियम के सुरक्षा संबंधी प्रावधानों को छोड़कर बाकी प्रावधानों को 300 दिन के लिए शिथिल किया गया है और इन्हें 1000 दिन के लिए शिथिल करने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है.