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झाबुआ के नतीजे के बाद सीएम कर सकते हैं बड़ा ऐलान, नेताओं को मिल सकता है दिवाली गिफ्ट

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Published : Oct 21, 2019, 5:34 PM IST

झाबुआ उपचुनाव के परिणाम के बाद सीएम कमलनाथ प्रदेश में खाली पड़े निगम मंडलों के पदों पर नियुक्तियां कर सकते हैं, जबकि मंत्रिमंडल का विस्तार भी कर सकते हैं.

सीएम कमलनाथ

भोपाल। झाबुआ उपचुनाव के लिए वोटिंग खत्म हो चुका है. ये उपचुनाव कांग्रेस के लिए बेहद अहम माना जा रहा है. यही वजह है कि कांग्रेस ने यहां पूरी ताकत झोंक दी है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि झाबुआ के परिणाम के बाद सीएम कमलनाथ प्रदेश में सरकार गठन के बाद से खाली पड़े निगम मंडलों में नियुक्तियां कर सकते हैं. इसके अलावा बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल का विस्तार भी कर सकते हैं.

झाबुआ उपचुनाव के परिणामों के बाद सीएम कमलनाथ कर सकते हैं बड़ा ऐलान

इस मामले में प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष प्रकाश जैन का कहना है कि ये सब बहुप्रतीक्षित मामला है. झाबुआ उपचुनाव की प्रक्रिया संपन्न होने के बाद सीएम कमलनाथ इन सभी कार्यों पर काम कर सकते हैं. मंत्रिमंडल के विस्तार पर उन्होंने कहा कि जो भी लंबित मामले हैं, राजनीतिक निर्णय हैं. झाबुआ उपचुनाव के बाद उन सभी मुद्दों पर मंथन शुरु होगा.

सरकार गठन के 10 महीने बाद भी खाली पड़े निगम मंडल के पद

प्रदेश में कमलनाथ की सरकार बनने के 10 महीने बाद भी अब तक निगम मंडलों में नियुक्तिया नहीं की जा सकी हैं. ये मामला लगातार टलता जा रहा है. कभी लोकसभा चुनाव के चलते तो कभी संगठन में बदलाव की कवायद के चलते. देखा जाए तो सीएम कमलनाथ ने अब तक केवल अपेक्स बैंक के प्रशासक के पद पर अशोक सिंह को नियुक्त किया है, जबकि हाल ही में मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज संघ में भी नियुक्ति कर दी गई है. ऐसे में चर्चा है कि अब सारे पदों पर जल्द ही और नियुक्तिया कर दी जाएंगी.

मंत्रिमंडल का भी हो सकता है विस्तार

झाबुआ के परिणाम के बाद मंत्रिमंडल के विस्तार की चर्चा भी जोर पकड़ रही है. हालांकि, मंत्रिमंडल विस्तार पूरी तरह से झाबुआ के चुनाव परिणाम पर निर्भर करेगा. अगर कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया ये चुनाव जीतते हैं तो उनकी वरिष्ठता के चलते स्वाभाविक रूप से वह मंत्री पद के दावेदार होंगे. ऐसी स्थिति में पुराने दावेदारों की दावेदारी पर तो असर पड़ेगा ही, साथ ही सरकार के संतुलन के लिए मुख्यमंत्री को काफी मशक्कत करनी पड़ेगी क्योंकि निर्दलीय विधायकों में सुरेंद्र सिंह शेरा लगातार सरकार पर दबाव बनाने का काम कर रहे हैं, जबकि बदनावर विधायक राज्यवर्धन सिंह, लक्ष्मण सिंह और बिसाहू लाल सिंह जैसे नेता भी मंत्री पद के लिए दावेदारी जता रहे हैं.

भोपाल। झाबुआ उपचुनाव के लिए वोटिंग खत्म हो चुका है. ये उपचुनाव कांग्रेस के लिए बेहद अहम माना जा रहा है. यही वजह है कि कांग्रेस ने यहां पूरी ताकत झोंक दी है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि झाबुआ के परिणाम के बाद सीएम कमलनाथ प्रदेश में सरकार गठन के बाद से खाली पड़े निगम मंडलों में नियुक्तियां कर सकते हैं. इसके अलावा बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल का विस्तार भी कर सकते हैं.

झाबुआ उपचुनाव के परिणामों के बाद सीएम कमलनाथ कर सकते हैं बड़ा ऐलान

इस मामले में प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष प्रकाश जैन का कहना है कि ये सब बहुप्रतीक्षित मामला है. झाबुआ उपचुनाव की प्रक्रिया संपन्न होने के बाद सीएम कमलनाथ इन सभी कार्यों पर काम कर सकते हैं. मंत्रिमंडल के विस्तार पर उन्होंने कहा कि जो भी लंबित मामले हैं, राजनीतिक निर्णय हैं. झाबुआ उपचुनाव के बाद उन सभी मुद्दों पर मंथन शुरु होगा.

सरकार गठन के 10 महीने बाद भी खाली पड़े निगम मंडल के पद

प्रदेश में कमलनाथ की सरकार बनने के 10 महीने बाद भी अब तक निगम मंडलों में नियुक्तिया नहीं की जा सकी हैं. ये मामला लगातार टलता जा रहा है. कभी लोकसभा चुनाव के चलते तो कभी संगठन में बदलाव की कवायद के चलते. देखा जाए तो सीएम कमलनाथ ने अब तक केवल अपेक्स बैंक के प्रशासक के पद पर अशोक सिंह को नियुक्त किया है, जबकि हाल ही में मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज संघ में भी नियुक्ति कर दी गई है. ऐसे में चर्चा है कि अब सारे पदों पर जल्द ही और नियुक्तिया कर दी जाएंगी.

मंत्रिमंडल का भी हो सकता है विस्तार

झाबुआ के परिणाम के बाद मंत्रिमंडल के विस्तार की चर्चा भी जोर पकड़ रही है. हालांकि, मंत्रिमंडल विस्तार पूरी तरह से झाबुआ के चुनाव परिणाम पर निर्भर करेगा. अगर कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया ये चुनाव जीतते हैं तो उनकी वरिष्ठता के चलते स्वाभाविक रूप से वह मंत्री पद के दावेदार होंगे. ऐसी स्थिति में पुराने दावेदारों की दावेदारी पर तो असर पड़ेगा ही, साथ ही सरकार के संतुलन के लिए मुख्यमंत्री को काफी मशक्कत करनी पड़ेगी क्योंकि निर्दलीय विधायकों में सुरेंद्र सिंह शेरा लगातार सरकार पर दबाव बनाने का काम कर रहे हैं, जबकि बदनावर विधायक राज्यवर्धन सिंह, लक्ष्मण सिंह और बिसाहू लाल सिंह जैसे नेता भी मंत्री पद के लिए दावेदारी जता रहे हैं.

Intro:भोपाल। आज झाबुआ विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान हो रहा है। झाबुआ विधानसभा चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। 24 अक्टूबर को झाबुआ उपचुनाव का परिणाम आ जाएगा। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि झाबुआ चुनाव परिणाम के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ निगम मंडल में नियुक्तियां कर सकते हैं। इसके साथ ही बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल विस्तार भी कर सकते हैं चर्चा तो यह भी है कि सीएम कमलनाथ अपने सहयोगियों को दीपावली का तोहफा देने जा रहे हैं। वहीं पिछले दिनों मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज संघ की गई नियुक्ति के बाद उम्मीद लगाई जा रही है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ दूसरे निगम मंडल में भी नियुक्तियां करेंगे। वही झाबुआ चुनाव परिणाम के आधार पर मंत्रिमंडल विस्तार भी किया जा सकता है।


Body:दरअसल कमलनाथ सरकार को बने करीब 10 महीने बीत चुके हैं। लेकिन किसी न किसी कारण कमलनाथ सरकार के निगम मंडल की नियुक्तियों का मामला टलता जा रहा है। कभी लोकसभा चुनाव के कारण, तो कभी संगठन में बदलाव की कवायद के चलते, तो कभी झाबुआ उपचुनाव के कारण निगम मंडल नियुक्तियों का मामला टलता जा रहा है। अगर देखा जाए तो मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अब तक सिर्फ अपेक्स बैंक में जहां अशोक सिंह के लिए प्रशासक नियुक्त किया है। वही हाल ही में मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज संघ में अध्यक्ष पद की नियुक्ति की गई है। मध्य प्रदेश राज्य लघु वनोपज संघ की नियुक्ति के बाद निगम मंडल नियुक्तियों की चर्चा ने तेजी से जोर पकड़ा है। वही पार्टी संगठन से भी संकेत मिल रहे हैं कि मुख्यमंत्री कमलनाथ जल्द ही निगम मंडल की नियुक्तियां करेंगे।
दूसरी तरफ मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा भी जोर पकड़ रही है। लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार पूरी तरह से झाबुआ के चुनाव परिणाम पर निर्भर करेगा। क्योंकि अगर कांतिलाल भूरिया यह चुनाव जीते हैं। तो उनकी वरिष्ठता के कारण स्वाभाविक रूप से वह मंत्री पद के दावेदार होंगे। ऐसी स्थिति में पुराने दावेदारों की दावेदारी पर तो असर पड़ेगा और सरकार के संतुलन के लिए मुख्यमंत्री को काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। क्योंकि निर्दलीय विधायकों में सुरेंद्र सिंह शेरा लगातार सरकार पर दबाव बनाने का काम कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस के ही राज्यवर्धन सिंह, लक्ष्मण सिंह और बिसाहू लाल सिंह जैसे नेता भी मंत्री पद के लिए दावेदारी जता रहे हैं।

हालांकि कांग्रेसी सूत्रों से मिल रही जानकारी के आधार पर बात करें तो निगम मंडल की नियुक्तियों में ज्यादातर उन नेताओं को तवज्जो दी जाएगी। जो लंबे समय से संगठन में काम कर रहे हैं। इसके अलावा उन लोगों को भी स्थान मिलेगा जो टिकट के प्रबल दावेदार थे। लेकिन किसी न किसी कारण बस उनका टिकट काटा गया। ऐसी स्थिति में उन टिकट दावेदारों को निगम मंडल में प्रमुख स्थान दिया जा सकता है। वहीं मंत्रिमंडल में स्थान पाने के लिए जहां मुख्यमंत्री कमलनाथ की सहमति जरूरी होगी। वही पार्टी आलाकमान का भी समर्थन नेताओं को चाहिए होगा। खासकर सीटों की संख्या को देखते हुए और 5 साल सरकार चलाने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ के लिए मंत्रिमंडल का संतुलन बनाना बड़ी चुनौती होगी।


Conclusion:वहीं इस मामले में मध्यप्रदेश प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रकाश जैन का कहना है कि क्योंकि यह बहुप्रतीक्षित मामला है। तो इस मामले में मुख्यमंत्री झाबुआ उप चुनाव की प्रक्रिया संपन्न होने और दीपावली के बाद प्रचार कर सकते हैं। वहीं मंत्रिमंडल विस्तार के मामले पर उनका कहना है कि जो भी लंबित मामले हैं, राजनीतिक निर्णय हैं। झाबुआ उपचुनाव के बाद उन पर मंथन शुरू होगा।
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