भोपाल। मध्यप्रदेश स्वास्थ्य विभाग (Madhya Pradesh Health Department) ने मंकी पॉक्स के बाद अब चिकन पॉक्स (Advisory for Chickenpox) को लेकर भी एडवाइजरी जारी कर दी है. दरअसल पिछले 1 महीने में भोपाल, छतरपुर, छिंदवाड़ा, दतिया, नीमच, धार और खंडवा से करीब 31 केस सामने आए हैं. जिसके बाद एहतियात के तौर पर स्वास्थ्य आयुक्त ने एडवाइजरी जारी करते हुए सभी सीएमएचओ को सावधानी बरतने के निर्देश दिए है.
ये है एडवाइजरी: चिकनपॉक्स के लक्षण, फैलाव, रोकथाम और इलाज के लिए एडवाइजरी जारी की गयी है. जिसके मुताबिक यदि किसी भी बच्चे या वयस्क व्यक्ति के शरीर में छोटे-छोटे दाने, बुखार, सिरदर्द, भूख में कमी, थकान जैसे लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत आइसोलेट करके उसका इलाज शुरू किया जाएं. मरीज को हवादार कमरे में रखें, शरीर में खुजली से राहत के लिए पानी में नीम की पत्तियां डालकर स्नान कराएं, मरीज की साफ-सफाई का खास ख्याल रखें. अमूमन चिकन पाक्स का संक्रमण 4 से 7 दिन तक रहता है. इसके साथ भी जिस इलाके से मरीज मिला है वहां एक्टिव केस सर्वे करवाया जाएं. फीवर विथ रैशेज के केसों की जानकारी आईएचआईपी प्लेटफॉर्म के पी फॉर्म में दर्ज करें. इसके अलावा रेपिड रिस्पांस टीम को अलर्स पर रहने को कहा गया है.
ये हैं चिकन पॉक्स के लक्षण: चिकनपॉक्स जिसे आप और हममें से ज्यादातर लोग 'माता' के नाम से जानते हैं. यह तेजी से फैलने वाला वायरल संक्रमण है. जिससे न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया भर के लोग परेशान होते हैं. ज्यादातर लोग इस बात को नहीं जानते होंगे कि चिकनपॉक्स हवा में फैलने वाला रोग है. जिसकी वजह से पूरे शरीर में खुजली और लाल-लाल धब्बे हो जाते हैं. आमतौर पर बच्चों पर चिकनपॉक्स का हमला हल्का पाया जाता है. लेकिन व्यस्कों की इम्यूनिटी कमजोर होती उनमें इस रोग का प्रभाव काफी गंभीर हो सकता है. ये घातक वायरस कुछ स्थितियों में रीढ़ की हड्डी के नर्व टिश्यू में बस जाता है और आगे चलकर फिर से सक्रिय हो जाता है. जो दाद जैसी दर्दनाक स्किन एलर्जी का कारण बन सकता है. आपने गौर किया होगा कि अधिकांश लोग बिना इलाज के ही चिकनपॉक्स से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं लेकिन गंभीर मामलों में चिकित्सा उपचार की आवश्यकता हो सकती है.
चिकनपॉक्स का इलाज: चिकनपॉक्स का सबसे बेहतरीन इलाज इसके इंजेक्शन के रूप में उपलब्ध है. डॉक्टरों के मुताबिक, चिकनपॉक्स की बीमारी को दूर रखने के लिए 12 से 15 महीनों की उम्र के बीच बच्चों को चिकन पॉक्स का टीका लगवाना चाहिए. इसके अलावा 4 से 6 साल की उम्र के बीच बूस्टर टीका भी लगवाना चाहिए. चिकनपॉक्स का टीका प्रेगनेंट महिलाओं और उन लोगों को बिल्कुल भी नहीं लगवाना चाहिए जिन्हें जिलेटिन या फिर ऐंटीबायॉटिक नियोमाइसिन से एलर्जी है. इसके अलावा डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाओं के द्वारा भी इसको ठीक करते हैं. इस बीमारी में ज्यादातर आराम और एक दूसरे से दूर रहने की सलाह दी जाती है.
(Chickenpox entry in MP) (MP Health department issued advisory) (31 Chickenpox patients found in mp)