भोपाल। BSF की टीम कंचनपुर अनुमंडल के सीमा-II चौकी इलाके में एक अभियान पर थी. इसी दौरान बांग्लादेश की तरफ से गोलीबारी शुरू हो गई. भारी हथियारों से लैस उग्रवादियों ने बांग्लादेश के रंगमती पर्वतीय जिले के जुपुई इलाके से BSF जवानों पर गोलियां चलाईं. जवानों ने जवाबी कार्रवाई की. जिससे दोनों पक्षों के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई. मुठभेड़ के दौरान BSF के जवान ग्रिजेश को चार गोलियां लगीं थीं.
शहीद के दो बेटे और एक बेटी : शहीद ग्रिजेश कुमार के परिवार मे चार भाई और तीन बहन हैं. सबसे बड़े भाई राजेंद्र कुमार गन कैरिज फैक्ट्री से रिटायर हुए हैं. वहीं दूसरे नंबर के भाई रवि कुमार डिंडोरी में प्रिंसिपल हैं. तीसरे नंबर के भाई शहीद ग्रिजेश कुमार थे, जिन्हें शुरू से ही शौक था कि वह सेना में जाकर देश की सेवा करें. ग्रिजेश से छोटे भाई लक्ष्मण सिंह ऑडिनेंस फैक्ट्री खमरिया में स्टोर कीपर के पद पर पदस्थ हैं.ग्रिजेश कुमार के घर मे पत्नी के अलावा उनके दो बेटे और एक बेटी हैं. सबसे बड़ी बेटी चन्द्रिका जबलपुर से बीए कर चुकी है. 15 दिन पहले ग्राम जमुनिया में उसकी अतिथि शिक्षक में जॉब लगी है. बड़ा बेटा विक्की बीएससी फाइनल कर रहा है. छोटा बेटा रिंकू बीकॉम सेकंड ईयर में है.
परिवार वाले बात नहीं होने से चिंतित थे : तीन-चार दिनों से परिवार वालों से ग्रिजेश की बात नहीं हो पा रही थी. लगातार फोन लगाने के बाद भी जब बात नहीं हों पाई तो परिवार वालों की चिंता बढ़ गई और आखिरकार वही हुआ जिसका डर था. शुक्रवार दोपहर को परिवार वालों के पास सूचना आई कि दुश्मनों से लड़ते हुए ग्रिजेश शहीद हो गए. परिजनों ने बताया कि करीब 5 दिन पहले जब उनसे आखिरी बार बात हुई थी, तब वह कह रहे थे कि बच्ची की शादी करनी है. तैयारी शुरू कर दें. परिवार के लोगों ने बिटिया के लिए वर देखने की तैयारी भी शुरू कर दी थी.
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परिजनों ने नेताओं पर जताया रोष : शहीद ग्रिजेश के बड़े भाई राजेंद्र की पत्नी के निधन होने पर वह एक माह की छुट्टी लेकर गांव आए थे. गांव में ही उन्होंने मकान बनवाया था. कुछ माह पहले ही नए मकान का उद्घाटन भी हुआ था. हालाँकि उस समय वह बार्डर पर तैनात थे. मकान बन जाने और बिटिया चन्द्रिका की अतिथि शिक्षक में नौकरी लग जाने से शहीद गिरिजेश बहुत ही खुश थे. बस उनका एक अरमान था अपनी बिटिया की शादी जल्दी से जल्दी कर दें. वहीं, परिजनों का आरोप हैं कि आदिवासी बाहुल्य इलाके में रहने वाले शहीद ग्रिजेश कुमार के परिवार वालों से मिलने 36 घंटे बीत जाने के बाद भी कोई भी प्रशासनिक अधिकारी या फिर जनप्रतिनिधि नहीं आया. परिजनों का कहना है कि यही अगर बड़े शहर में घटना होती तो अब तक कई मंत्री अधिकारी पहुंच चुके होते. सिर्फ मंडला एसपी, एएसपी सहित नायब तहसीलदार शनिवार दोपहर को शहीद के गांव पहुंचे.