भोपाल। मध्य प्रदेश में हो रहे नगरीय निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने एक नई नजीर पेश की है. जिसमें उसने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की उम्मीदवारी ही निरस्त कर दी है. मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय के चुनाव सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी दल कांग्रेस दोनों के लिए ही प्रतिष्ठा का सवाल बने हुए हैं. यही कारण है कि उम्मीदवारी के चयन में लगातार सतर्कता बरती गई है. इसके बावजूद भाजपा ने अपनी ओर से की गई चूक को न केवल स्वीकारा, बल्कि ऐसे उम्मीदवारों को ही मैदान से हटा दिया है जिनकी पृष्ठभूमि आपराधिक है.
तीन प्रत्याशियों की उम्मीदवारी खत्म: भाजपा ने 16 नगर निगमों के उम्मीदवारों के साथ पार्षदों के टिकट भी तय कर दिए हैं. इंदौर में वार्ड क्रमांक 56 से कई मामलों के आरोपी युवराज उस्ताद की पत्नी स्वाति को टिकट दिया, इसी तरह भोपाल में वार्ड क्रमांक 40 से बाबू मस्तान की पत्नी मसर्रत और वार्ड क्रमांक 44 से भूपेंद्र सिंह चौहान उर्फ पिंकी भदौरिया को उम्मीदवार बनाया था. इन तीनों उम्मीदवारों की पारिवारिक पृष्ठभूमि आपराधिक सामने आने के बाद पार्टी ने बड़ा फैसला लिया और उम्मीदवारी खत्म कर दी. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साफ तौर पर कहा है कि, उनकी पार्टी किसी भी आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति को चुनाव मैदान में नहीं उतारेगी. आगे भी अगर किसी उम्मीदवार के संबंध में जानकारी सामने आती है, तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई होगी.
कांग्रेस करेगी बीजेपी के आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों का ब्यौरा जारी: भाजपा की इस कार्रवाई पर कांग्रेस की ओर से तंज कसे जा रहे हैं. मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अजय सिंह यादव का कहना है कि पोल खुल गई. इसलिए भाजपा ने 3 उम्मीदवारों के टिकट काट दिए हैं. मगर कांग्रेस आने वाले समय में भाजपा के आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों का ब्यौरा जारी करेगी. पार्टी सूत्रों का कहना है कि सत्ता और संगठन के लोग के उम्मीदवारों का नाम आसानी से नहीं काट पाए हैं, कई लोगों ने तो इस बात का दबाव बनाया कि चुनाव जीतने के लिए पूर्व में तय किए गए उम्मीदवारों को ही चुनाव लड़ाना चाहिए. उसके बावजूद पार्टी ने किसी की नहीं सुनी और उम्मीदवार बदलने का फैसला हुआ.
पार्टी और भी लोगों पर कर सकती है कार्रवाई: राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य में शुचिता की राजनीति के लिए जरूरी है कि आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों को चुनाव प्रक्रिया से दूर रखा जाए. क्योंकि यह लोग राजनीतिक दलों से करीब बढ़ाकर समाज में आतंक फैलाते हैं. भाजपा ने एक सार्थक पहल की है, मगर सवाल यह भी उठ रहा है क्या पार्टी उन लोगों पर भी कार्रवाई करेगी जिन्होंने उम्मीदवारी तय कराने में बड़ी भूमिका निभाई है.
इनपुट - आईएएनएस