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बीजेपी में कोई नहीं है बागी, चाहे तो फ्लोर टेस्ट करा ले सरकारः गोपाल भार्गव - कमलनाथ सरकार

विधानसभा में मुंह की खाने के बाद बीजेपी की बोलती बंद है, फिर भी दावा कर रही है कि कमलनाथ सरकार डरी हुई है. सरकार को इतना भरोसा है तो फ्लोर टेस्ट करा ले तो पता चल जायेगा कि कौन कितने पानी में है. नेता प्रतिपक्ष ने साफ कहा है कि जिस विधेयक का समर्थन सबने किया था, उस पर वोटिंग का क्या औचित्य है.

गोपाल भार्गव, नेता प्रतिपक्ष
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Published : Jul 25, 2019, 7:59 PM IST

भोपाल। कर्नाटक का नाटक खत्म होते ही मध्यप्रदेश में सियासी नाटक शुरू हो गया, लेकिन स्टेज से पर्दा हटते ही सरकार ने स्टेज का पर्दा ही गिरा दिया और विपक्ष औंधे मुंह गिर पड़ा. अब विपक्ष की बोलती ही बंद हो गयी है क्योंकि सत्ता पक्ष ने विपक्ष के दो विधायकों को अपने खेमे में शामिल कर विपक्ष के पैरों तले जमीन खिसका दी है, फिर भी विपक्ष सरकार को डरी हुई बता रहा है. विधानसभा में पेश दंड संसोधन विधेयक 2019 के पक्ष में मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी और ब्योहारी विधायक शरद कोल ने क्रॉस वोटिंग की थी.

गोपाल भार्गव, नेता प्रतिपक्ष

विपक्ष को अब भी भरोसा है कि कमलनाथ की सरकार डरी हुई है, यदि सरकार निडर है तो फ्लोर टेस्ट करा ले, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. यदि तब सरकार पास हो जाती है तभी वो मानेंगे कि सरकार के पास बहुमत है क्योंकि जिस दंड संसोधन विधेयक 2019 का समर्थन सबने किया था, उस पर वोटिंग कराने का कोई औचित्य नहीं है. भार्गव ने दावा किया कि बीजेपी में कोई गुटबाजी नहीं है, जब मौका आयेगा तब वो बताएंगे कि वो सब एक हैं और उनके साथ अनेक हैं. सरकार चाहे तो फलोर टेस्ट कराकर देख ले.

सूबे में कमलनाथ की सरकार बनने के बाद से ही बीजेपी के तमाम नेता कमलनाथ सरकार को चंद दिनों का मेहमान बताते रहे हैं. इस बात को तब और बल मिला, जब कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस के गठबंधन वाली सरकार गिर गयी. पर उसके तुरंत बाद कांग्रेस ने एमपी में बीजेपी के दो विधायकों को अपने खेमे में शामिल कर ये बता दिया कि ये कुमारस्वामी नहीं कमलनाथ की सरकार है, जिसको गिराना आपके बस में नहीं है.

भोपाल। कर्नाटक का नाटक खत्म होते ही मध्यप्रदेश में सियासी नाटक शुरू हो गया, लेकिन स्टेज से पर्दा हटते ही सरकार ने स्टेज का पर्दा ही गिरा दिया और विपक्ष औंधे मुंह गिर पड़ा. अब विपक्ष की बोलती ही बंद हो गयी है क्योंकि सत्ता पक्ष ने विपक्ष के दो विधायकों को अपने खेमे में शामिल कर विपक्ष के पैरों तले जमीन खिसका दी है, फिर भी विपक्ष सरकार को डरी हुई बता रहा है. विधानसभा में पेश दंड संसोधन विधेयक 2019 के पक्ष में मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी और ब्योहारी विधायक शरद कोल ने क्रॉस वोटिंग की थी.

गोपाल भार्गव, नेता प्रतिपक्ष

विपक्ष को अब भी भरोसा है कि कमलनाथ की सरकार डरी हुई है, यदि सरकार निडर है तो फ्लोर टेस्ट करा ले, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. यदि तब सरकार पास हो जाती है तभी वो मानेंगे कि सरकार के पास बहुमत है क्योंकि जिस दंड संसोधन विधेयक 2019 का समर्थन सबने किया था, उस पर वोटिंग कराने का कोई औचित्य नहीं है. भार्गव ने दावा किया कि बीजेपी में कोई गुटबाजी नहीं है, जब मौका आयेगा तब वो बताएंगे कि वो सब एक हैं और उनके साथ अनेक हैं. सरकार चाहे तो फलोर टेस्ट कराकर देख ले.

सूबे में कमलनाथ की सरकार बनने के बाद से ही बीजेपी के तमाम नेता कमलनाथ सरकार को चंद दिनों का मेहमान बताते रहे हैं. इस बात को तब और बल मिला, जब कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस के गठबंधन वाली सरकार गिर गयी. पर उसके तुरंत बाद कांग्रेस ने एमपी में बीजेपी के दो विधायकों को अपने खेमे में शामिल कर ये बता दिया कि ये कुमारस्वामी नहीं कमलनाथ की सरकार है, जिसको गिराना आपके बस में नहीं है.

Intro:विधानसभा में हुई घटना को लेकर bjp प्रदेश कार्यालय ने अहम बैठक हुई, जिसमे संगठन मंत्री सुहास भगत, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह, और नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव शामिल, करीब एक घण्टे तक बंद कमरे में सभी बड़े नेताओं की सदन की घटना पर चर्चा की, साथ bjp नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने विधानसभा की घटना को लोकतंत्र का मजाक बताया है, भार्गव का कहना है कि सरकार का प्रायोजित है डिविजन। जब विपक्ष सर्मथन देने को तैयार था, उसके बाद भी bsp विधायक के कहने पर डिवीजन दिया, और तो और विभाग के मंत्री भी ये मांग कर रहे थे। तो वही bjp से कांग्रेस में गए विधायकों को लेकर भार्गव का कहना है कि, हम उनसे बात करेंगे।


Body:गोपाल भार्गव के कहना है जो विधायक कांग्रेस को समर्थन दे रहे है,उनसे बात करेंगे। कि आखिर क्या हालत बने की, कांग्रेस को सर्मथन दिया। साथ नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि यह ऐसा काम हुआ है जैसे किसी रेस में खुद ही अकेले दौड़े और खुद ही जीत गए। सदन में कोई विश्वश मत जैसा कुछ नही था। ये फ्लोर टेस्ट नही था, लेकिन जबमौक़ा आएगा तब हम बता देंगे ,की हम सब एक जुट है।


Conclusion:आपको बता दे सदन की कार्यवाही के दौरान माना जा रहा था कि, bjp के वरिष्ठ नेताओं के बीच सामंजस्य नही बन पा रहा है। जिसके चलते ते नोबत आई, यदि bjp डिवीजन के दौरान वाक आउट कर लेती तो, शायद मत विभाजन की नोबत नही आती। कल की घटना के बाद अब लग रहा है कि bjp जल्द ही कुछ बड़ा करने वाली है, साथ ही डेमेज कंट्रोल करने की जिम्मेदारी नरोत्तम मिश्रा को दी है

बाइट- गोपाल भार्गव, नेता प्रतिपक्ष
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