भोपाल। कर्नाटक का नाटक खत्म होते ही मध्यप्रदेश में सियासी नाटक शुरू हो गया, लेकिन स्टेज से पर्दा हटते ही सरकार ने स्टेज का पर्दा ही गिरा दिया और विपक्ष औंधे मुंह गिर पड़ा. अब विपक्ष की बोलती ही बंद हो गयी है क्योंकि सत्ता पक्ष ने विपक्ष के दो विधायकों को अपने खेमे में शामिल कर विपक्ष के पैरों तले जमीन खिसका दी है, फिर भी विपक्ष सरकार को डरी हुई बता रहा है. विधानसभा में पेश दंड संसोधन विधेयक 2019 के पक्ष में मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी और ब्योहारी विधायक शरद कोल ने क्रॉस वोटिंग की थी.
विपक्ष को अब भी भरोसा है कि कमलनाथ की सरकार डरी हुई है, यदि सरकार निडर है तो फ्लोर टेस्ट करा ले, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. यदि तब सरकार पास हो जाती है तभी वो मानेंगे कि सरकार के पास बहुमत है क्योंकि जिस दंड संसोधन विधेयक 2019 का समर्थन सबने किया था, उस पर वोटिंग कराने का कोई औचित्य नहीं है. भार्गव ने दावा किया कि बीजेपी में कोई गुटबाजी नहीं है, जब मौका आयेगा तब वो बताएंगे कि वो सब एक हैं और उनके साथ अनेक हैं. सरकार चाहे तो फलोर टेस्ट कराकर देख ले.
सूबे में कमलनाथ की सरकार बनने के बाद से ही बीजेपी के तमाम नेता कमलनाथ सरकार को चंद दिनों का मेहमान बताते रहे हैं. इस बात को तब और बल मिला, जब कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस के गठबंधन वाली सरकार गिर गयी. पर उसके तुरंत बाद कांग्रेस ने एमपी में बीजेपी के दो विधायकों को अपने खेमे में शामिल कर ये बता दिया कि ये कुमारस्वामी नहीं कमलनाथ की सरकार है, जिसको गिराना आपके बस में नहीं है.