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MP उपचुनावः कांग्रेस 'दगाबाजी' तो बीजेपी 'दलित उपेक्षा' को मुद्दा बनाने की कोशिश में जुटी

24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस जहां पूर्व विधायकों पर दगाबाजी का आरोप लगाकर उसे सियासी मुद्दा बना रही है. तो बीजेपी कांग्रेस पर अनुसूचित जाति वर्ग की उपेक्षा का आरोप लगा रही है.

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एमपी उपचुनाव
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Published : Jun 22, 2020, 8:03 AM IST

Updated : Jun 23, 2020, 3:17 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में राज्यसभा चुनाव होने के बाद अब बीजेपी-कांग्रेस 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों की तैयारियों में जुट गई है. कांग्रेस जहां दगाबाजी को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है तो वहीं बीजेपी ने दलित उपेक्षा को बड़ा मुद्दा बनाने के लिए कदमताल तेज कर दी है. जिससे उपचुनाव रोचक हो सकते हैं.

हाल ही में हुए राज्यसभा के तीन सीटों के चुनाव में दो पर बीजेपी और एक पर कांग्रेस जीती है. कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह और दलित नेता फूल सिंह बरैया को उम्मीदवार बनाया था. जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह तो चुनाव जीत गए लेकिन बरैया को हार का सामना करना पड़ा. वहीं बीजेपी के दो उम्मीदवार पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेर सिंह सोलंकी को जीत मिली है.

कांग्रेस ने पूर्व विधायकों पर लगाया दगाबाजी का आरोप

कांग्रेस 22 विधायकों सहित पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने को लेकर बड़ा मुद्दा बनाए हुए हैं और सीधे तौर पर उन पर दगाबाजी का आरोप लगा रही है. पूर्व मंत्री सुभाष सोजतिया का कहना है कि प्रदेश की जनता ने कांग्रेस को पांच साल के लिए जनादेश दिया था. लेकिन राजनीतिक स्वार्थ और सत्ता लोलुपता के चलते कमलनाथ की सरकार को अल्पमत में लाकर गिरा दिया गया. यह वह लोग हैं जिन्होंने जनादेश की अवहेलना की है और आगामी समय में होने वाले उपचुनाव में इसके नतीजे उन्हें भोगना पड़ेंगा.

बीजेपी ने दलित उपेक्षा का मुद्दा उठाया

बीजेपी राज्यसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पर दलित उपेक्षा का आरोप लगा रही है. गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस ने हमेशा अनुसूचित जाति का वर्ग का अपमान किाय है. चुनाव प्रबंध समिति के संयोजक और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह कहते हैं कि कांग्रेस लगातार अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लोगों की उपेक्षा करती रही है. राज्यसभा चुनाव में भी ऐसा ही हुआ है. दलित नेता फूल सिंह बरैया को उम्मीदवार तो बनाया मगर हराने के लिए, कांग्रेस का वास्तविक चरित्र ही यही है.

खास बात यह है कि 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में सबसे ज्यादा 16 सीटें ग्वालियर-चंबल अंचल की है. जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाला क्षेत्र है. इतना ही नहीं यहां अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के मतदाताओं की संख्या भी अधिक है. कई विधानसभा सीटों के नतीजे तो इस वर्ग के मतदाता ही तय करते हैं.

राजनीतिक जानकारों ने कहा- बीजेपी ने बड़ा मुद्दा उठाया

राजनीतिक विश्लेषणों का मानना है कि कांग्रेस ने अनजाने में बीजेपी के हाथ में एक बड़ा सियासी मुद्दा दे दिया है. कांग्रेस लगातार बीजेपी पर हमले बोलने के लिए दल-बदल करने वाले नेताओं को बतौर हथियार उपयोग करती आ रही है. वहीं बीजेपी के हाथ में भी दलित उपेक्षा का मुद्दा लग गया है. जिससे उपचुनाव रोचक होंगे, दोनों दलों के पास अभी कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, लिहाजा उनका ज्यादा जोर मुद्दे की तलाश पर है. यही कारण है कि शुरुआती तौर पर दगाबाजी और दलित उपेक्षा जैसे मुद्दा नजर आ रहे हैं. चुनाव के नजदीक आते तक सियासी फिजा के साथ मुद्दे भी बदलते दिखें तो अचरज नहीं होगा.

भोपाल। मध्य प्रदेश में राज्यसभा चुनाव होने के बाद अब बीजेपी-कांग्रेस 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों की तैयारियों में जुट गई है. कांग्रेस जहां दगाबाजी को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है तो वहीं बीजेपी ने दलित उपेक्षा को बड़ा मुद्दा बनाने के लिए कदमताल तेज कर दी है. जिससे उपचुनाव रोचक हो सकते हैं.

हाल ही में हुए राज्यसभा के तीन सीटों के चुनाव में दो पर बीजेपी और एक पर कांग्रेस जीती है. कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह और दलित नेता फूल सिंह बरैया को उम्मीदवार बनाया था. जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह तो चुनाव जीत गए लेकिन बरैया को हार का सामना करना पड़ा. वहीं बीजेपी के दो उम्मीदवार पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेर सिंह सोलंकी को जीत मिली है.

कांग्रेस ने पूर्व विधायकों पर लगाया दगाबाजी का आरोप

कांग्रेस 22 विधायकों सहित पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने को लेकर बड़ा मुद्दा बनाए हुए हैं और सीधे तौर पर उन पर दगाबाजी का आरोप लगा रही है. पूर्व मंत्री सुभाष सोजतिया का कहना है कि प्रदेश की जनता ने कांग्रेस को पांच साल के लिए जनादेश दिया था. लेकिन राजनीतिक स्वार्थ और सत्ता लोलुपता के चलते कमलनाथ की सरकार को अल्पमत में लाकर गिरा दिया गया. यह वह लोग हैं जिन्होंने जनादेश की अवहेलना की है और आगामी समय में होने वाले उपचुनाव में इसके नतीजे उन्हें भोगना पड़ेंगा.

बीजेपी ने दलित उपेक्षा का मुद्दा उठाया

बीजेपी राज्यसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पर दलित उपेक्षा का आरोप लगा रही है. गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस ने हमेशा अनुसूचित जाति का वर्ग का अपमान किाय है. चुनाव प्रबंध समिति के संयोजक और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह कहते हैं कि कांग्रेस लगातार अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लोगों की उपेक्षा करती रही है. राज्यसभा चुनाव में भी ऐसा ही हुआ है. दलित नेता फूल सिंह बरैया को उम्मीदवार तो बनाया मगर हराने के लिए, कांग्रेस का वास्तविक चरित्र ही यही है.

खास बात यह है कि 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में सबसे ज्यादा 16 सीटें ग्वालियर-चंबल अंचल की है. जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाला क्षेत्र है. इतना ही नहीं यहां अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के मतदाताओं की संख्या भी अधिक है. कई विधानसभा सीटों के नतीजे तो इस वर्ग के मतदाता ही तय करते हैं.

राजनीतिक जानकारों ने कहा- बीजेपी ने बड़ा मुद्दा उठाया

राजनीतिक विश्लेषणों का मानना है कि कांग्रेस ने अनजाने में बीजेपी के हाथ में एक बड़ा सियासी मुद्दा दे दिया है. कांग्रेस लगातार बीजेपी पर हमले बोलने के लिए दल-बदल करने वाले नेताओं को बतौर हथियार उपयोग करती आ रही है. वहीं बीजेपी के हाथ में भी दलित उपेक्षा का मुद्दा लग गया है. जिससे उपचुनाव रोचक होंगे, दोनों दलों के पास अभी कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, लिहाजा उनका ज्यादा जोर मुद्दे की तलाश पर है. यही कारण है कि शुरुआती तौर पर दगाबाजी और दलित उपेक्षा जैसे मुद्दा नजर आ रहे हैं. चुनाव के नजदीक आते तक सियासी फिजा के साथ मुद्दे भी बदलते दिखें तो अचरज नहीं होगा.

Last Updated : Jun 23, 2020, 3:17 PM IST
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