भोपाल। मध्यप्रदेश में करीब 6 सालों से प्रमोशन में आरक्षण का मुद्दा लंबित है. जिस पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी के लिए पदोन्नति में आरक्षण को लेकर शर्तों को कम करने से इनकार (Bhopal Sapax submit memorandum to CM) कर दिया. इसी फैसले को लेकर प्रमोशन में आरक्षण पर सामान्य-पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था यानी सपाक्स राज्य सरकार को ज्ञापन सौंपेगी.
पदोन्नति की मांग पर सपाक्स सौंपेगा ज्ञापन
- सपाक्स सीएम को ज्ञापन देकर तत्काल सामान्य-पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के अधिकारी कर्मचारियों को पदोन्नति देने की मांग करेगा (Bhopal sapax again take charge of promotion). जिला और तहसील स्तर पर कलेक्टर को सीएम के नाम ज्ञापन सौंपा जाएगा. सपाक्स का कहना है कि इसको लेकर यदि सरकार ने कोई महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाए तो प्रदेशव्यापी जन जागरूकता के लिए आंदोलन किया जाएगा.
- सपाक्स पदाधिकारियों के अनुसार राज्य सरकार ने वर्ग विशेष को लाभ दिलाने के लिए प्रदेश में वर्ग संघर्ष की स्थिति पैदा कर दी है. आरक्षण में लाभ अगर नहीं मिलेगा तो कोई भी विभागों में उच्च पद पर अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के कोई अधिकारी नहीं बचेंगे.
सरकार ने जनता का खर्च किया 19 करोड़
सपाक्स के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. केएस तोमर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण के मामले में अपना फैसला स्पष्ट कर दिया है. मार्गदर्शी सिद्धांतों का सरकार को पालन करना होगा. अब साफ है कि प्रदेश सरकार ने वर्ग विशेष के लिए आवश्यक रूप से प्रदेश में पदोन्नति की प्रक्रिया को रोक कर रखा है, जबकि अनारक्षित श्रेणी में पदोन्नति के लिए किसी भी प्रकार की रोक न तो उच्च न्यायालय ने लगाई थी और न ही सर्वोच्च न्यायालय ने लगाई है.
हजारों कर्मचारी बिना प्रमोशन रिटायर्ड
सपाक्स ने पत्र के जरिए मुख्यमंत्री और अन्य संबंधित को लगातार अवगत कराया और पदोन्नति करने की गुहार लगाई, लेकिन राज्य सरकार ने वर्ग विशेष से अनुराग के चलते इस पर कोई कार्रवाई नहीं की. इसका नतीजा यह हुआ कि हजारों कर्मचारी बिना प्रमोशन आर्थिक लाभ के रिटायर्ड कर दिए गए, जबकि ऐसे कर्मचारी सरकार ने उच्च पदों पर स्थापित किए गए, जिन्हें वास्तव में वहां होना ही नहीं चाहिए था. सरकार खुद इस मामले में एक पार्टी बन गई.
सरकार टाइम बाउंड प्रमोशन दे
सपाक्स के मुताबिक राज्य सरकार को टाइम बाउंड प्रमोशन की प्रक्रिया तत्काल शुरू करनी चाहिए. सिर्फ निचले कर्मचारियों-अधिकारियों का ही प्रमोशन नहीं होने दिया, जबकि आईएएस, आईपीएस और राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की पदोन्नति जारी है. सरकार को नौकरशाहों की तरह अन्य कर्मचारियों-अधिकारियों के टाइम बाउंड प्रमोशन की व्यवस्था लागू करनी चाहिए, जिससे पूरा मामला खत्म हो जाए.