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आर-पार की लड़ाई के मूड में प्राइवेट स्कूल संचालक, DPI के बाहर किया प्रदर्शन, बोले- अधिमान्यता की अवधि 5 साल और कोविड में हुए खर्चे की भरपाई करे सरकार

5 साल की मान्यता की मांग कर रहे इन स्कूल संचालकों ने भोपाल स्थित लोक शिक्षण संचालनालय (Directorate of Public Instruction) के बाहर धरना प्रदर्शन किया.

DPI के बाहर किया प्रदर्शन
DPI के बाहर किया प्रदर्शन
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Published : Sep 22, 2021, 3:44 PM IST

भोपाल(Bhopal)। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के प्राइवेट स्कूल संचालक (Private School Operators) अब आर-पार की लड़ाई के मूड में आ गए हैं. 5 साल की मान्यता की मांग कर रहे इन स्कूल संचालकों ने भोपाल स्थित लोक शिक्षण संचालनालय (Directorate of Public Instruction) के बाहर धरना प्रदर्शन कर अपनी आवाज बुलंद की.

इनका कहना है कि कोरोना के चलते शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों को 1 साल की मान्यता देने के निर्देश दिए हैं, जिससे विभाग में भ्रष्टाचार बढ़ेगा. इसके अलावा स्कूल संचालकों ने बिजली का बिल, प्रॉपर्टी टैक्स और तमाम खर्चे भी माफ करने की सरकार से मांग की है. प्राइवेट स्कूल संचालकों का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक वह आंदोलन करते रहेंगे.

DPI के बाहर प्रदर्शन

क्या है पूरा मामला ?

लोक शिक्षण संचालनालय यानी डीपीआई के बाहर प्राइवेट स्कूल संचालकों ने शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार और सरकारी नीतियों का विरोध किया. अपने आंदोलन के पहले चरण में संचालकों ने धरना प्रदर्शन का रास्ता अपनाया है. दरअसल प्रदेश में स्कूल खुलने के बाद अब स्कूलों की मान्यता का मामला अटक रहा है. पहले सरकार ने 5 साल के लिए मान्यता दे दी थी, लेकिन यह मान्यता अब 1 साल कर दी गई है. प्रदेश में पहली से बारहवीं तक के स्कूल खुल गए हैं. सरकारी स्कूलों में तो बच्चे पहुंच रहे हैं, लेकिन प्राइवेट स्कूलों में संख्या ना के बराबर है. जिस वजह से प्राइवेट स्कूल संचालकों ने मोर्चा खोल दिया है.

5 साल की अधिमान्यता की मांग

अभी तक शिक्षा विभाग स्कूलों के अधिमान्यता के लिए 5 साल का समय देता था, लेकिन कोरोना महामारी में सरकार ने इसकी अवधि इसी वर्ष से एक 1 साल कर दी है. ऐसे में मध्य प्रदेश के प्राइवेट स्कूल संचालक इसके विरोध में आ गए. उनका कहना है कि बार-बार रिनुअल के लिए अधिकारियों को रिश्वत के रूप में पैसा देना पड़ता है. ऐसे में जितनी फीस रिनुअल की लगती है, उतना ही पैसा संबंधित अधिकारी को देना पड़ता है. संचालकों का कहना है कि स्कूल बंद थे तब भी स्कूल की बिजली, प्रॉपर्टी टैक्स और अन्य मदों का पैसा उनसे लिया ही जा रहा है. ऐसे में उनके ऊपर अतिरिक्त बोझ आ गया है. अगर सरकार यह भुगतान करती है तो ठीक है वरना उनका आंदोलन जारी रहेगा.

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प्रदेशव्यापी आंदोलन की दी चेतावनी

अभी तक स्कूलों की 5 साल की मान्यता के लिए 1 लाख रुपए लगते थे, लेकिन अब 1 साल की फीस 20 हजार रखी गई है. प्राइवेट स्कूल संचालकों का कहना है कि शिक्षा विभाग निर्णय करे कि एक बार में फीस लेकर मान्यता दी जाए, बार-बार यह चढ़ावा कहां तक चढ़ाएंगे. ऐसे में अब यह शिक्षा विभाग के कार्यालयों के बाहर धरना प्रदर्शन कर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं. स्कूल संचालकों का कहना है कि इस धरना प्रदर्शन के माध्यम से वह कुंभकरण की नींद सो रहे अधिकारियों को जगाने का प्रयास कर रहे हैं. इसमें हर जिले के स्कूल संचालक शामिल होंगे और उसके बाद एक प्रदेशव्यापी आंदोलन भी किया जाएगा.

भोपाल(Bhopal)। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के प्राइवेट स्कूल संचालक (Private School Operators) अब आर-पार की लड़ाई के मूड में आ गए हैं. 5 साल की मान्यता की मांग कर रहे इन स्कूल संचालकों ने भोपाल स्थित लोक शिक्षण संचालनालय (Directorate of Public Instruction) के बाहर धरना प्रदर्शन कर अपनी आवाज बुलंद की.

इनका कहना है कि कोरोना के चलते शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों को 1 साल की मान्यता देने के निर्देश दिए हैं, जिससे विभाग में भ्रष्टाचार बढ़ेगा. इसके अलावा स्कूल संचालकों ने बिजली का बिल, प्रॉपर्टी टैक्स और तमाम खर्चे भी माफ करने की सरकार से मांग की है. प्राइवेट स्कूल संचालकों का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक वह आंदोलन करते रहेंगे.

DPI के बाहर प्रदर्शन

क्या है पूरा मामला ?

लोक शिक्षण संचालनालय यानी डीपीआई के बाहर प्राइवेट स्कूल संचालकों ने शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार और सरकारी नीतियों का विरोध किया. अपने आंदोलन के पहले चरण में संचालकों ने धरना प्रदर्शन का रास्ता अपनाया है. दरअसल प्रदेश में स्कूल खुलने के बाद अब स्कूलों की मान्यता का मामला अटक रहा है. पहले सरकार ने 5 साल के लिए मान्यता दे दी थी, लेकिन यह मान्यता अब 1 साल कर दी गई है. प्रदेश में पहली से बारहवीं तक के स्कूल खुल गए हैं. सरकारी स्कूलों में तो बच्चे पहुंच रहे हैं, लेकिन प्राइवेट स्कूलों में संख्या ना के बराबर है. जिस वजह से प्राइवेट स्कूल संचालकों ने मोर्चा खोल दिया है.

5 साल की अधिमान्यता की मांग

अभी तक शिक्षा विभाग स्कूलों के अधिमान्यता के लिए 5 साल का समय देता था, लेकिन कोरोना महामारी में सरकार ने इसकी अवधि इसी वर्ष से एक 1 साल कर दी है. ऐसे में मध्य प्रदेश के प्राइवेट स्कूल संचालक इसके विरोध में आ गए. उनका कहना है कि बार-बार रिनुअल के लिए अधिकारियों को रिश्वत के रूप में पैसा देना पड़ता है. ऐसे में जितनी फीस रिनुअल की लगती है, उतना ही पैसा संबंधित अधिकारी को देना पड़ता है. संचालकों का कहना है कि स्कूल बंद थे तब भी स्कूल की बिजली, प्रॉपर्टी टैक्स और अन्य मदों का पैसा उनसे लिया ही जा रहा है. ऐसे में उनके ऊपर अतिरिक्त बोझ आ गया है. अगर सरकार यह भुगतान करती है तो ठीक है वरना उनका आंदोलन जारी रहेगा.

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प्रदेशव्यापी आंदोलन की दी चेतावनी

अभी तक स्कूलों की 5 साल की मान्यता के लिए 1 लाख रुपए लगते थे, लेकिन अब 1 साल की फीस 20 हजार रखी गई है. प्राइवेट स्कूल संचालकों का कहना है कि शिक्षा विभाग निर्णय करे कि एक बार में फीस लेकर मान्यता दी जाए, बार-बार यह चढ़ावा कहां तक चढ़ाएंगे. ऐसे में अब यह शिक्षा विभाग के कार्यालयों के बाहर धरना प्रदर्शन कर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं. स्कूल संचालकों का कहना है कि इस धरना प्रदर्शन के माध्यम से वह कुंभकरण की नींद सो रहे अधिकारियों को जगाने का प्रयास कर रहे हैं. इसमें हर जिले के स्कूल संचालक शामिल होंगे और उसके बाद एक प्रदेशव्यापी आंदोलन भी किया जाएगा.

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