ETV Bharat / city

वोटरों को लुभाने के लिए फंड किया डायवर्ट, अधिकारियों ने आय-व्यय के आंकड़ों में की 'हेराफेरी' - वोटरों को लुभाने फंड किया डायवर्ट

चार सीटों पर हुए उपचुनाव में वोटरों को लुभाने की सरकार की मंशा पूरी करने अधिकारियों ने आय-व्यय के आंकड़ों को ही बदल डाला. मामला प्रदेश के श्रमिकों के कल्याण के लिए फंड की राशि ऊर्जा विभाग को दिए जाने का है.

वोटरों को लुभाने फंड किया डायवर्ट
वोटरों को लुभाने फंड किया डायवर्ट
author img

By

Published : Oct 31, 2021, 5:58 PM IST

Updated : Oct 31, 2021, 6:51 PM IST

भोपाल। चार सीटों पर हुए उपचुनाव में वोटरों को लुभाने की सरकार की मंशा पूरी करने अधिकारियों ने आय-व्यय के आंकड़ों को ही बदल डाला. मामला प्रदेश के श्रमिकों के कल्याण के लिए फंड की राशि ऊर्जा विभाग को दिए जाने का है. गरीबों को सस्ती बिजली देने के लिए बिजली कंपनियों को दी जाने वाली राशि को राज्य सरकार ने श्रमिकों की योजनाओं के लिए बने फंड को ही डायवर्ट कर दिया. हालांकि जब इस प्रस्ताव पर संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल ने अपनी असहमति जता दी तो अधिकारियों ने अपनी मर्जी से आय-व्यय के आंकड़े बदल डाले. इसका खुलासा सूचना के अधिकार के तहत मिले दस्तावेजों से हुआ है.

ऐसे बदले अधिकारियों ने बदले आंकड़े
राज्य सरकार द्वारा संचालित मुख्यमंत्री बकाया बिजली माफी स्कीम 2018 शुरू की गई थी. इसके तहत संबल योजना में पंजीकृत मजदूरों को 100 रुपए में बिजली मिलती है. इस योजना के लिए बिजली कंपनियों को सरकार सब्सिडी देती है. बिजली कंपनियों को सब्सिडी के 416 करोड़ रुपए की राशि देने श्रम विभाग ने मप्र भवन और अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल को एकल नस्ती भेजकर अभिमत मांगा गया था. मंडल ने 17 सितंबर 2021 को भेजे अपने अभिमत में कहा कि मंडल की प्रतिवर्ष औसत आय से व्यय अधिक है.

- 2018-19 में मंडल को 351.90 उपकर प्राप्त हुआ, जबकि योजनाओं पर 316.73 करोड़ और 13.86 करोड़ अन्य व्यय हुआ.
- 2019-20 में मंडल को 311.16 करोड़ उपकर प्राप्त हुआ, जबकि 350.16 करोड़ योजनाओं पर व्यय और 13.66 करोड़ अन्य व्यय हुआ.
- 2020-21 में 437.52 उपकर प्राप्त हुआ, जबकि 457.52 करोड़ योजनाओं पर व्यय और 8.67 अन्य व्यय हुआ.

मंडल ने आय कम होने और व्यय अधिक होने के अलावा भारत सरकार के निर्देषों और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देकर राशि दिए जाने से असहमति जता दी थी.
लेकिन श्रम विभाग के अधिकारियों ने इसके बाद आय-व्यय में फेरबदल कर दिया. 30 सितंबर 2021 को श्रम विभाग के अधिकारियों ने अपनी नोटशीट में उल्लेख किया कि मंडल के आय-व्यय विवरण के आधार पर आय अधिक व्यय कम होने के कारण केवल एक बार के लिए सब्सिडी दिए जाने का निर्णय लिया जाए. इसके बाद यह नस्ती श्रम मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह और फिर समन्वय के लिए मुख्यमंत्री के पास भेज दिया गया. कैबिनेट से मंजूरी के बाद राज्य शासन ने चार सीटों पर हुए उपचुनाव के पहले इसे जारी कर दिया.

उड्डयन मंत्री सिंधिया ने दी सौगात, इंदौर से सूरत, जोधपुर और प्रयागराज के लिए चलेंगी सीधी फ्लाइट्स

श्रमिकों के लिए चलती हैं 19 योजनाएं
श्रमिकों की श्रम सुरक्षा और कल्याण के नाम पर मध्यप्रदेश भवन और संनिर्माण कर्मकार मंडल बना है. इसमें सरकारी या निजी भवन निर्माण की लागत का एक फीसदी संनिर्माण कर्मकार मंडल में उपकर के रूप में जमा होता है. नियमों के मुताबिक, उपकर से प्राप्त राशि का उपयोग सामाजिक सुरक्षा और अन्य हितलाभ पर आने वाले व्यय की पूर्ति पर ही खर्च हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस संबंध में आदेश दिए हैं.

देखा जाए तो प्रदेश में श्रमिकों के लिए करीबन 19 योजनाएं संचालित होती हैं. इसमें निर्माण कार्य के दौरान दुर्घटना मृत्यु पर 2 लाख रुपए, प्रसूताओं को 45 दिन का न्यूनतम वेतन, 45 साल से कम में सामान्य मृत्यु पर 75 हजार रुपए जैसी कई योजनाएं उपकर से प्राप्त होने वाले फंड से ही चलती हैं. मौजूदा स्थिति में उपकर से प्राप्त होने वाली राशि जितना ही व्यय इन योजनाओं में हो जाता है.

नरोत्तम मिश्रा की सब्यसाची को चेतावनी: '24 घंटे में मंगलसूत्र का विज्ञापन नहीं हटाया तो होगी FIR'

इसको लेकर कांग्रेस भी सवाल उठा रही है. कांग्रेस प्रवक्ता अजय यादव के मुताबिक, आखिर श्रमिकों के कल्याण के लिए संचालित योजनाओं के पैसे को दूसरे मद में उपयोग क्यों किया जा रहा है. अधिकारी इसके लिए नियमों की अनदेखी कर रहे हैं, जो बेहद ही निंदनीय है.

भोपाल। चार सीटों पर हुए उपचुनाव में वोटरों को लुभाने की सरकार की मंशा पूरी करने अधिकारियों ने आय-व्यय के आंकड़ों को ही बदल डाला. मामला प्रदेश के श्रमिकों के कल्याण के लिए फंड की राशि ऊर्जा विभाग को दिए जाने का है. गरीबों को सस्ती बिजली देने के लिए बिजली कंपनियों को दी जाने वाली राशि को राज्य सरकार ने श्रमिकों की योजनाओं के लिए बने फंड को ही डायवर्ट कर दिया. हालांकि जब इस प्रस्ताव पर संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल ने अपनी असहमति जता दी तो अधिकारियों ने अपनी मर्जी से आय-व्यय के आंकड़े बदल डाले. इसका खुलासा सूचना के अधिकार के तहत मिले दस्तावेजों से हुआ है.

ऐसे बदले अधिकारियों ने बदले आंकड़े
राज्य सरकार द्वारा संचालित मुख्यमंत्री बकाया बिजली माफी स्कीम 2018 शुरू की गई थी. इसके तहत संबल योजना में पंजीकृत मजदूरों को 100 रुपए में बिजली मिलती है. इस योजना के लिए बिजली कंपनियों को सरकार सब्सिडी देती है. बिजली कंपनियों को सब्सिडी के 416 करोड़ रुपए की राशि देने श्रम विभाग ने मप्र भवन और अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल को एकल नस्ती भेजकर अभिमत मांगा गया था. मंडल ने 17 सितंबर 2021 को भेजे अपने अभिमत में कहा कि मंडल की प्रतिवर्ष औसत आय से व्यय अधिक है.

- 2018-19 में मंडल को 351.90 उपकर प्राप्त हुआ, जबकि योजनाओं पर 316.73 करोड़ और 13.86 करोड़ अन्य व्यय हुआ.
- 2019-20 में मंडल को 311.16 करोड़ उपकर प्राप्त हुआ, जबकि 350.16 करोड़ योजनाओं पर व्यय और 13.66 करोड़ अन्य व्यय हुआ.
- 2020-21 में 437.52 उपकर प्राप्त हुआ, जबकि 457.52 करोड़ योजनाओं पर व्यय और 8.67 अन्य व्यय हुआ.

मंडल ने आय कम होने और व्यय अधिक होने के अलावा भारत सरकार के निर्देषों और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देकर राशि दिए जाने से असहमति जता दी थी.
लेकिन श्रम विभाग के अधिकारियों ने इसके बाद आय-व्यय में फेरबदल कर दिया. 30 सितंबर 2021 को श्रम विभाग के अधिकारियों ने अपनी नोटशीट में उल्लेख किया कि मंडल के आय-व्यय विवरण के आधार पर आय अधिक व्यय कम होने के कारण केवल एक बार के लिए सब्सिडी दिए जाने का निर्णय लिया जाए. इसके बाद यह नस्ती श्रम मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह और फिर समन्वय के लिए मुख्यमंत्री के पास भेज दिया गया. कैबिनेट से मंजूरी के बाद राज्य शासन ने चार सीटों पर हुए उपचुनाव के पहले इसे जारी कर दिया.

उड्डयन मंत्री सिंधिया ने दी सौगात, इंदौर से सूरत, जोधपुर और प्रयागराज के लिए चलेंगी सीधी फ्लाइट्स

श्रमिकों के लिए चलती हैं 19 योजनाएं
श्रमिकों की श्रम सुरक्षा और कल्याण के नाम पर मध्यप्रदेश भवन और संनिर्माण कर्मकार मंडल बना है. इसमें सरकारी या निजी भवन निर्माण की लागत का एक फीसदी संनिर्माण कर्मकार मंडल में उपकर के रूप में जमा होता है. नियमों के मुताबिक, उपकर से प्राप्त राशि का उपयोग सामाजिक सुरक्षा और अन्य हितलाभ पर आने वाले व्यय की पूर्ति पर ही खर्च हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस संबंध में आदेश दिए हैं.

देखा जाए तो प्रदेश में श्रमिकों के लिए करीबन 19 योजनाएं संचालित होती हैं. इसमें निर्माण कार्य के दौरान दुर्घटना मृत्यु पर 2 लाख रुपए, प्रसूताओं को 45 दिन का न्यूनतम वेतन, 45 साल से कम में सामान्य मृत्यु पर 75 हजार रुपए जैसी कई योजनाएं उपकर से प्राप्त होने वाले फंड से ही चलती हैं. मौजूदा स्थिति में उपकर से प्राप्त होने वाली राशि जितना ही व्यय इन योजनाओं में हो जाता है.

नरोत्तम मिश्रा की सब्यसाची को चेतावनी: '24 घंटे में मंगलसूत्र का विज्ञापन नहीं हटाया तो होगी FIR'

इसको लेकर कांग्रेस भी सवाल उठा रही है. कांग्रेस प्रवक्ता अजय यादव के मुताबिक, आखिर श्रमिकों के कल्याण के लिए संचालित योजनाओं के पैसे को दूसरे मद में उपयोग क्यों किया जा रहा है. अधिकारी इसके लिए नियमों की अनदेखी कर रहे हैं, जो बेहद ही निंदनीय है.

Last Updated : Oct 31, 2021, 6:51 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.