भोपाल। 2-3 दिसम्बर 1984 की दरम्यानी रात हुए भोपाल गैस हादसे का दंश आज भी कई परिवार झेल रहे हैं. भोपाल के आरिफ नगर में इस हादसे का सबसे ज्यादा असर हुआ था. इसी वजह से वहां पर आज भी सबसे ज्यादा जहरीली गैस का प्रभाव दिखता है.
सैकड़ों लोगों को आज भी वहां पर गंभीर बीमारियों ने जकड़ा हुआ है. वहीं शहर में गैस राहत के नाम पर बने अस्पतालों में भी सुविधाएं नाममात्र की ही दी जाती हैं. इस बात को लेकर गैस पीड़ितों में आज भी गुस्सा भरा हुआ है. वहीं मुआवजे के नाम पर भी इन्हें कुछ नहीं मिला.
गैस पीड़ित साबरा बी का कहना है कि उस रात किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है. चारों तरफ भागदौड़ मची हुई थी. साबरा ने कहा कि इस दौरान उन्हें भी आंख में चोट लग गई थी. वहीं साबरा बी ने बताया कि इस हादसे में मेरे पति की जान चली गई. उस भागदौड़ में मेरे 4 बच्चे भी खो गए थे, जो सुबह मिले. इस त्रासदी में करीब 25 हजार से ज्यादा मौतें हुई थीं, वहीं आधिकारिक तौर पर करीब 3 हजार लोगों की मौत हुई, लेकिन आज तक इन लोगों को न इलाज मिल पाया और न ही मुआवजा.
आज भी इस जहरीली गैस का असर दिखता है और सैकड़ों लोग जो इसकी चपेट में आए थे, वे आज भी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं. पीड़ित सरकारों से न्याय की आस लगाए बैठे हैं, लेकिन इन 35 सालों में किसी भी सरकार ने इन पीड़ितों के जख्मों पर मरहम नहीं लगाया. अब देखना होगा कि आखिर कब इन पीड़ितों को न्याय मिलेगा.