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गैस पीड़ितों में अब भी है गुस्सा, सालों बाद भी कई बीमारियों से पीड़ित हैं लोग - union carbide factory

भोपाल गैस त्रासदी को 35 साल पूरे हो गए हैं. लेकिन अब तक पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाया है. जिसके चलते पीड़ितों में अब भी सरकार और सिस्टम के प्रति गुस्सा है.

Bhopal gas tragedy
गैस पीड़ितों में अब भी है गुस्सा
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Published : Dec 3, 2019, 10:05 AM IST

Updated : Dec 3, 2019, 3:33 PM IST

भोपाल। 2-3 दिसम्बर 1984 की दरम्यानी रात हुए भोपाल गैस हादसे का दंश आज भी कई परिवार झेल रहे हैं. भोपाल के आरिफ नगर में इस हादसे का सबसे ज्यादा असर हुआ था. इसी वजह से वहां पर आज भी सबसे ज्यादा जहरीली गैस का प्रभाव दिखता है.

भोपाल गैस त्रासदी

सैकड़ों लोगों को आज भी वहां पर गंभीर बीमारियों ने जकड़ा हुआ है. वहीं शहर में गैस राहत के नाम पर बने अस्पतालों में भी सुविधाएं नाममात्र की ही दी जाती हैं. इस बात को लेकर गैस पीड़ितों में आज भी गुस्सा भरा हुआ है. वहीं मुआवजे के नाम पर भी इन्हें कुछ नहीं मिला.

गैस पीड़ित साबरा बी का कहना है कि उस रात किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है. चारों तरफ भागदौड़ मची हुई थी. साबरा ने कहा कि इस दौरान उन्हें भी आंख में चोट लग गई थी. वहीं साबरा बी ने बताया कि इस हादसे में मेरे पति की जान चली गई. उस भागदौड़ में मेरे 4 बच्चे भी खो गए थे, जो सुबह मिले. इस त्रासदी में करीब 25 हजार से ज्यादा मौतें हुई थीं, वहीं आधिकारिक तौर पर करीब 3 हजार लोगों की मौत हुई, लेकिन आज तक इन लोगों को न इलाज मिल पाया और न ही मुआवजा.

आज भी इस जहरीली गैस का असर दिखता है और सैकड़ों लोग जो इसकी चपेट में आए थे, वे आज भी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं. पीड़ित सरकारों से न्याय की आस लगाए बैठे हैं, लेकिन इन 35 सालों में किसी भी सरकार ने इन पीड़ितों के जख्मों पर मरहम नहीं लगाया. अब देखना होगा कि आखिर कब इन पीड़ितों को न्याय मिलेगा.

भोपाल। 2-3 दिसम्बर 1984 की दरम्यानी रात हुए भोपाल गैस हादसे का दंश आज भी कई परिवार झेल रहे हैं. भोपाल के आरिफ नगर में इस हादसे का सबसे ज्यादा असर हुआ था. इसी वजह से वहां पर आज भी सबसे ज्यादा जहरीली गैस का प्रभाव दिखता है.

भोपाल गैस त्रासदी

सैकड़ों लोगों को आज भी वहां पर गंभीर बीमारियों ने जकड़ा हुआ है. वहीं शहर में गैस राहत के नाम पर बने अस्पतालों में भी सुविधाएं नाममात्र की ही दी जाती हैं. इस बात को लेकर गैस पीड़ितों में आज भी गुस्सा भरा हुआ है. वहीं मुआवजे के नाम पर भी इन्हें कुछ नहीं मिला.

गैस पीड़ित साबरा बी का कहना है कि उस रात किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है. चारों तरफ भागदौड़ मची हुई थी. साबरा ने कहा कि इस दौरान उन्हें भी आंख में चोट लग गई थी. वहीं साबरा बी ने बताया कि इस हादसे में मेरे पति की जान चली गई. उस भागदौड़ में मेरे 4 बच्चे भी खो गए थे, जो सुबह मिले. इस त्रासदी में करीब 25 हजार से ज्यादा मौतें हुई थीं, वहीं आधिकारिक तौर पर करीब 3 हजार लोगों की मौत हुई, लेकिन आज तक इन लोगों को न इलाज मिल पाया और न ही मुआवजा.

आज भी इस जहरीली गैस का असर दिखता है और सैकड़ों लोग जो इसकी चपेट में आए थे, वे आज भी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं. पीड़ित सरकारों से न्याय की आस लगाए बैठे हैं, लेकिन इन 35 सालों में किसी भी सरकार ने इन पीड़ितों के जख्मों पर मरहम नहीं लगाया. अब देखना होगा कि आखिर कब इन पीड़ितों को न्याय मिलेगा.

Intro:भोपाल- 2-3 दिसम्बर 1984 की दरमियानी रात हुए भोपाल गैस हादसे का दंश आज भी कई परिवार झेल रहे हैं। भोपाल के जिस क्षेत्र आरिफ नगर में इस हादसे का सबसे ज्यादा असर हुआ था वहां पर आज भी बच्चों और बड़ों को कई बीमारियों ने जकड़ा हुआ है।
वहीं शहर में गैस राहत के नाम पर जो अस्पताल बनाये गए है उनमें भी सुविधाएं नाममात्र की ही दी जाती है। इस बात को लेकर गैस पीड़ितों में आज भी गुस्सा भरा हुआ है क्योंकि मुआवजे के नाम पर भी इन्हें कुछ नहीं मिला।


Body:गैस पीड़ित शाहीन बी उस रात को याद कर बताती है कि उस रात किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है, सब ओर भागादौड़ी मची हुई थी,इस दौरान मुझे भी आंख में चोट लग गयी थी।

वहीं साबरा बी ने बताया कि इस हादसे में मेरे पति की जान चली गयी। उस भागादौड़ी में मेरे 4 बच्चे भी खो गए थे जो सुबह मिले।



Conclusion:इस क्षेत्र में ऐसे कई परिवार है जिन्होंने हादसे के दौरान अपनों को खोया।
आंकड़ों की माने तो आधिकारिक तौर पर करीब 3 हज़ार लोगों की जाने गयी थी और कई लोग अपंगता के शिकार हुए।

गैस पीड़ितों की माने तो इस हादसे में हुई मौतों का मुआवजा तो मिल गयी पर जो लोग इस शिकार अब भी किसी न किसी बीमारी के रूप में हो रहे है उनकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।

नोट- विसुअल्स, बाइट,पीटीसी कैमरे से भेजी है।
Last Updated : Dec 3, 2019, 3:33 PM IST
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