भोपाल। राजधानी में एक किशोरी जिसकी आयु अभी 13 साल है, उसको उसके मामा-मामी ने चाइल्ड लाइन ऑफिस को सौंपा है. इस पूरे मामले में किशोरी की मामी ने कहा कि, 'बच्ची एग्रेसिव है और इसके इस तरह के बर्ताव का असर अब उनके खुद के बच्चों पर पड़ने लगा है. इसलिए मजबूरी में उन्हें बच्ची को सौंपना पड़ रहा है. मामा ने भी कहा कि, वह भांजी की हर जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार हैं. लेकिन भांजी किसी भी तरह उनके परिवार के साथ सामंजस्य बैठाने के लिए तैयार नहीं है'. मामले में किशोरी को समिति के आदेश पर आश्रय गृह में रखा गया है.
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बच्ची के व्यवहार में आया बदलाव: बच्ची के पिता की मृत्यु हो चुकी है और मां भी एक साल से है लापता. इस पूरे मामले में जानकारी के मुताबिक, बच्ची के पिता की तीन साल पहले मृत्यु हो चुकी है, इसके बाद से उसकी मां की मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं है. मां और किशोरी पिता की मृत्यु के बाद से ही मामा-मामी के साथ रह रहे हैं. लेकिन मां भी अपनी मर्जी से कभी भी अचानक कहीं चली जाती है और फिर लौट आती है. वर्तमान में करीब एक साल से मां वापस नहीं लौटी है, ऐसे में अब मामी का कहना है कि गुस्से में किशोरी कभी भी अपने मामा के बच्चों को मारने-पीटने लगती है. जिससे उन्हें हमेशा यही डर भी बना रहता है कि कहीं बच्ची खुद के साथ कुछ गलत न कर ले
किशोरी की काउंसलिंग में तथ्य आए सामने: बच्ची के मामा-मामी ने इसके चलते यही सही लगा कि, वह किशोरी को पुलिस या चाइल्ड लाइन को सौंप दें. काउंसलिंग के दौरान यह सामने आया कि, अचानक जीवन में घटी परिस्थितियों के चलते किशोरी के व्यवहार में गुस्सा और चिड़चिड़ापन आ गया है. आश्रय गृह में भी लगातार किशोरी की काउंसलिंग की जा रही है. काउंसलर का कहना है कि, पिता की मौत और मां की मानसिक स्थिति का बेटी के व्यवहार पर ज्यादा असर नजर आ रहा है.