हैदराबाद। हिंदू धर्म में भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हर साल भाद्र पूर्णिमा मनाई जाती है. यह दिन भाद्रपद मास का अंतिम दिन होता है, इसके बाद आश्विन मास शुरू हो जाता है. इस पूर्णिमा की तिथि को काफी विशेष माना गया है. क्योंकि पूर्णिमा तिथि का संबंध माता लक्ष्मी से माना जाता है और इस दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा भी की जाती है. कहा जाता है कि इस दिन पूजा करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है. मनुष्य के जीवन की सभी बाधा और परेशानियां दूर हो जाती हैं.
आज है भाद्रपद पूर्णिमा
सोमवार यानि 20 सितंबर 2021 को भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है. इस दिन पूर्णिमा का व्रत रखकर चंद्रमा की विशेष उपासना की जाती है. कहा जाता है कि इस तिथि को चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है. इस पूर्णिमा की तिथि को काफी विशेष माना गया है. क्योंकि पूर्णिमा तिथि का संबंध माता लक्ष्मी से माना जाता है और इस दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा भी की जाती है. भाद्र पूर्णिमा के दिन उमा महेश्वर व्रत भी किया जाता है. इस पूर्णिमा का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इस दिन के बाद से पितृ पक्ष यानी श्राद्ध शुरू हो जाते हैं. शास्त्रों में भाद्र पूर्णिमा का लाभ उठाने के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं.
इन शुभ मुहूर्त में करें पूजा
भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 20 सितंबर को सुबह 5.28 बजे से आरंभ होगी. जिसका समापन 21 सितंबर को सुबह 5.24 बजे होगा. इस बीच विधि-विधान से पूजा करने पर विशेष पुण्य की प्राप्ति होगी.
ऐसे मिलेगी आर्थिक उन्नति
भाद्र पूर्णिमा के दिन महालक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं, पांच कुंवारी कन्याओं को भोजन कराएं. इसके बाद कन्याओं को आदर सत्कार के साथ दान-दक्षिणा दें और आशीर्वाद लें. फिर घर की सबसे बड़ी महिला को भोजन कराएं और माता लक्ष्मी का प्रसाद दें. ऐसा करने से माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और आर्थिक उन्नति होती है.
ऐसे मिलेगा आर्थिक समस्याओं से निजात
आर्थिक समस्याओं से निजात पाने के लिए पूर्णिमा तिथि के दिन चंद्रोदय होने पर जल में कच्चा दूध, चावल और शक्कर मिला लें. इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें. ऐसा करने से धन संबंधित समस्याओं से मुक्ति मिलती है. साथ ही नौकरी और व्यवसाय में प्रगति होती है. इसके अलावा ऐसा करने से कई शारीरिक रोग भी दूर होते हैं.
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पितृ पक्ष की होगी शुरुआत
भद्रपद पूर्णिमा की तिथि से ही पितृ पक्ष का आरंभ होगा. पितृ पक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म किया जाता है. जिन लोंगों के पितरों का श्राद्ध पूर्णिमा तिथि को होता है, वे लोग पूर्णिमा श्राद्ध के दिन पिंडदान, तर्पण आदि कर सकते हैं. पितृ पक्ष का समापन 6 अक्टूबर को अमावस्या श्राद्ध या सर्वपितृ अमावस्या के दिन होगा.