भोपाल। लोकसभा चुनाव के बाद झाबुआ विधानसभा सीट खाली हो गई है. वोटों के गणित को देखा जाए तो झाबुआ सीट के तमाम समीकरण कांग्रेस के पक्ष में नजर आते हैं. अगर कमलनाथ विवाद को सुलझा कर पूरी कांग्रेस को एकजुट होकर लड़ने के लिए तैयार कर लेते हैं तो मध्यप्रदेश विधानसभा में कांग्रेस की सीटों का आंकड़ा 114 से बढ़कर 115 हो जाएगा.
दरअसल, 2018 विधानसभा चुनाव में झाबुआ से बीजेपी के टिकट पर विधायक बने जी एस डामोर को लोकसभा चुनाव में फिर टिकट दिया गया था और वह पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को हराकर जीत हासिल करने में कामयाब रहे. विधायक के बाद सांसद चुने जाने पर पार्टी आलाकमान के आदेश पर जी एस डामोर ने मध्यप्रदेश विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. अब 6 महीने के अंदर झाबुआ में विधानसभा उपचुनाव होगा.
मध्यप्रदेश में 2018 विधानसभा चुनाव में झाबुआ के चुनाव परिणाम पर एक नजर
⦁ बीजेपी के जी एस डामोर 66,598 वोट हासिल कर चुनाव जीते थे.
⦁ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को 56161 वोट हासिल हुई थी.
⦁ इस तरह वह 10437 मतों से चुनाव हार गए थे.
⦁ उनकी हार का कारण कोई और नहीं,बल्कि कांग्रेस के बागी उम्मीदवार जेवियर मेडा थे.
⦁ जो टिकट न मिलने के कारण पार्टी से नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़े थे और 35943 वोट हासिल करने में कामयाब रहे थे.
⦁ इन आंकड़ों से साफ है कि अगर जेवियर मेडा निर्दलीय खड़े नहीं होते, तो यह चुनाव परिणाम कांग्रेस के पक्ष में होता.
⦁ हालांकि विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने जेवियर मेडा को निष्कासित कर दिया था.
⦁ लोकसभा चुनाव के पहले उन्हें पार्टी में वापस ले लिया गया था.
मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि दिग्विजय सिंह ने कहा था कि झाबुआ कांग्रेस पार्टी का मजबूत गढ़ है. आज भी हम मानते हैं कि झाबुआ कांग्रेस का मजबूत गढ़ है अभी लोकसभा चुनाव में हमारे प्रत्याशी लोकसभा सीट की 8 सीटों में से 7 सीटों पर चुनाव हारे हैं, लेकिन झाबुआ विधानसभा सीट पर उन्होंने जीत हासिल की है.