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लोकसभा चुनाव के बाद खाली हुई झाबुआ विधानसभा सीट, कांग्रेस देख रही है संभावनाएं - Bhopal

वोटों के गणित को देखा जाए तो झाबुआ सीट के तमाम समीकरण कांग्रेस के पक्ष में नजर आते हैं. जरूरत सिर्फ इतनी है कि झाबुआ में कांतिलाल भूरिया और जेवियर मेडा के बीच चल रहा झगड़ा सुलझा लिया जाए.

खाली हुई झाबुआ विधानसभा सीट
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Published : Jun 13, 2019, 2:32 PM IST

भोपाल। लोकसभा चुनाव के बाद झाबुआ विधानसभा सीट खाली हो गई है. वोटों के गणित को देखा जाए तो झाबुआ सीट के तमाम समीकरण कांग्रेस के पक्ष में नजर आते हैं. अगर कमलनाथ विवाद को सुलझा कर पूरी कांग्रेस को एकजुट होकर लड़ने के लिए तैयार कर लेते हैं तो मध्यप्रदेश विधानसभा में कांग्रेस की सीटों का आंकड़ा 114 से बढ़कर 115 हो जाएगा.
दरअसल, 2018 विधानसभा चुनाव में झाबुआ से बीजेपी के टिकट पर विधायक बने जी एस डामोर को लोकसभा चुनाव में फिर टिकट दिया गया था और वह पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को हराकर जीत हासिल करने में कामयाब रहे. विधायक के बाद सांसद चुने जाने पर पार्टी आलाकमान के आदेश पर जी एस डामोर ने मध्यप्रदेश विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. अब 6 महीने के अंदर झाबुआ में विधानसभा उपचुनाव होगा.

खाली हुई झाबुआ विधानसभा सीट


मध्यप्रदेश में 2018 विधानसभा चुनाव में झाबुआ के चुनाव परिणाम पर एक नजर
⦁ बीजेपी के जी एस डामोर 66,598 वोट हासिल कर चुनाव जीते थे.
⦁ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को 56161 वोट हासिल हुई थी.
⦁ इस तरह वह 10437 मतों से चुनाव हार गए थे.
⦁ उनकी हार का कारण कोई और नहीं,बल्कि कांग्रेस के बागी उम्मीदवार जेवियर मेडा थे.
⦁ जो टिकट न मिलने के कारण पार्टी से नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़े थे और 35943 वोट हासिल करने में कामयाब रहे थे.
⦁ इन आंकड़ों से साफ है कि अगर जेवियर मेडा निर्दलीय खड़े नहीं होते, तो यह चुनाव परिणाम कांग्रेस के पक्ष में होता.
⦁ हालांकि विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने जेवियर मेडा को निष्कासित कर दिया था.
⦁ लोकसभा चुनाव के पहले उन्हें पार्टी में वापस ले लिया गया था.


मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि दिग्विजय सिंह ने कहा था कि झाबुआ कांग्रेस पार्टी का मजबूत गढ़ है. आज भी हम मानते हैं कि झाबुआ कांग्रेस का मजबूत गढ़ है अभी लोकसभा चुनाव में हमारे प्रत्याशी लोकसभा सीट की 8 सीटों में से 7 सीटों पर चुनाव हारे हैं, लेकिन झाबुआ विधानसभा सीट पर उन्होंने जीत हासिल की है.

भोपाल। लोकसभा चुनाव के बाद झाबुआ विधानसभा सीट खाली हो गई है. वोटों के गणित को देखा जाए तो झाबुआ सीट के तमाम समीकरण कांग्रेस के पक्ष में नजर आते हैं. अगर कमलनाथ विवाद को सुलझा कर पूरी कांग्रेस को एकजुट होकर लड़ने के लिए तैयार कर लेते हैं तो मध्यप्रदेश विधानसभा में कांग्रेस की सीटों का आंकड़ा 114 से बढ़कर 115 हो जाएगा.
दरअसल, 2018 विधानसभा चुनाव में झाबुआ से बीजेपी के टिकट पर विधायक बने जी एस डामोर को लोकसभा चुनाव में फिर टिकट दिया गया था और वह पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को हराकर जीत हासिल करने में कामयाब रहे. विधायक के बाद सांसद चुने जाने पर पार्टी आलाकमान के आदेश पर जी एस डामोर ने मध्यप्रदेश विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. अब 6 महीने के अंदर झाबुआ में विधानसभा उपचुनाव होगा.

खाली हुई झाबुआ विधानसभा सीट


मध्यप्रदेश में 2018 विधानसभा चुनाव में झाबुआ के चुनाव परिणाम पर एक नजर
⦁ बीजेपी के जी एस डामोर 66,598 वोट हासिल कर चुनाव जीते थे.
⦁ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को 56161 वोट हासिल हुई थी.
⦁ इस तरह वह 10437 मतों से चुनाव हार गए थे.
⦁ उनकी हार का कारण कोई और नहीं,बल्कि कांग्रेस के बागी उम्मीदवार जेवियर मेडा थे.
⦁ जो टिकट न मिलने के कारण पार्टी से नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़े थे और 35943 वोट हासिल करने में कामयाब रहे थे.
⦁ इन आंकड़ों से साफ है कि अगर जेवियर मेडा निर्दलीय खड़े नहीं होते, तो यह चुनाव परिणाम कांग्रेस के पक्ष में होता.
⦁ हालांकि विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने जेवियर मेडा को निष्कासित कर दिया था.
⦁ लोकसभा चुनाव के पहले उन्हें पार्टी में वापस ले लिया गया था.


मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि दिग्विजय सिंह ने कहा था कि झाबुआ कांग्रेस पार्टी का मजबूत गढ़ है. आज भी हम मानते हैं कि झाबुआ कांग्रेस का मजबूत गढ़ है अभी लोकसभा चुनाव में हमारे प्रत्याशी लोकसभा सीट की 8 सीटों में से 7 सीटों पर चुनाव हारे हैं, लेकिन झाबुआ विधानसभा सीट पर उन्होंने जीत हासिल की है.

Intro:भोपाल। लोकसभा चुनाव के बाद झाबुआ विधानसभा सीट रिक्त हो गई है। दरअसल 2018 विधानसभा चुनाव में झाबुआ से बीजेपी के टिकट पर विधायक बने जी एस डामोर को लोकसभा चुनाव में फिर टिकट दिया गया था और वह पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को हराकर जीत हासिल करने में कामयाब रहे। विधायक के बाद सांसद चुने जाने पर पार्टी आलाकमान के आदेश पर जी एस डामोर ने मध्यप्रदेश विधानसभा से इस्तीफा दे दिया। अब 6 माह के अंदर झाबुआ में विधानसभा उपचुनाव होगा। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस भले ही चुनाव हारी थी, लेकिन उसकी वजह कांग्रेस नेता का अपनी पार्टी के प्रत्याशी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ना था। वोटों के गणित को देखा जाए तो झाबुआ सीट के तमाम समीकरण कांग्रेस के पक्ष में नजर आते हैं। जरूरत सिर्फ इतनी है कि झाबुआ में कांतिलाल भूरिया और जेवियर मेडा के बीच चल रहा झगड़ा सुलझा लिया जाए। अगर कमलनाथ विवाद को सुलझा कर पूरी कांग्रेस को एकजुट होकर लड़ने के लिए तैयार कर लेते हैं।तो मध्यप्रदेश विधानसभा में कांग्रेस की सीटों का आंकड़ा 114 से बढ़कर 115 हो जाएगा।


Body:मध्यप्रदेश में 2018 विधानसभा चुनाव में झाबुआ के चुनाव परिणाम पर गौर करें। तो बीजेपी के जी एस डामोर 66,598 वोट हासिल कर चुनाव जीते थे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को 56161 वोट हासिल हुई थी। इस तरह वह 10437 मतों से चुनाव हार गए थे। उनकी हार का कारण कोई और नहीं,बल्कि कांग्रेस के बागी उम्मीदवार जेवियर मेडा थे, जो टिकट न मिलने के कारण पार्टी से नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़े थे और 35943 वोट हासिल करने में कामयाब रहे थे। इन आंकड़ों से साफ है कि अगर जेवियर मेडा निर्दलीय खड़े नहीं होते, तो यह चुनाव परिणाम कांग्रेस के पक्ष में होता। हालांकि विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने जेवियर मेडा को निष्कासित कर दिया था, लेकिन लोकसभा चुनाव के पहले उन्हें पार्टी में वापस ले लिया गया था। उपचुनाव जीतने के लिए कमलनाथ के सामने चुनौती है कि वह झाबुआ उपचुनाव में भूरिया और मेडा को एक कर कांग्रेस की जीत सुनिश्चित करें। अगर कमलनाथ यह झगड़ा सुलझाने में कामयाब होते हैं, तो यह सीट आसानी से कांग्रेस की झोली में आ सकती है और विधानसभा में कांग्रेस 115 सीटों के आंकड़े पर पहुंच जाएगी।


Conclusion:मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि दिग्विजय सिंह ने कहा था कि झाबुआ कांग्रेस पार्टी का मजबूत गढ़ है। आज भी हम मानते हैं कि झाबुआ कांग्रेस का मजबूत गढ़ है। अभी लोकसभा चुनाव में हमारे प्रत्याशी लोकसभा सीट की 8 सीटों में से 7 सीटों पर चुनाव हारे हैं, लेकिन झाबुआ विधानसभा सीट पर उन्होंने जीत हासिल की है। मुझे लगता है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं की सक्रियता झाबुआ में सतत रूप से है और आगे भी रहेगी। जाहिर सी बात है कि 6 महीने में वहां उपचुनाव होना है। तो झाबुआ की जनता का आशीर्वाद और कृपा कांग्रेश पार्टी को जरूर मिलेगी।
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