नई दिल्ली: राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी), जो केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्यों को महत्वपूर्ण ई-गवर्नेस सहायता और अत्याधुनिक समाधान प्रदान करता है, 2014 से मानव संसाधन की भारी कमी से जूझ रहा है. वहां करीब 1400 पद खाली पड़े हैं. उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (जिसके अंतर्गत एनआईसी आता है) और वित्त मंत्रालय के बीच कई दौर की बातचीत के बावजूद निकाय को जनशक्ति की कमी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि पिछले नौ वर्षो से 1,392 पद खाली पड़े हैं.
जनशक्ति की कमी इस तथ्य के आलोक में और अधिक तीव्र है कि एनआईसी केंद्र के महत्वाकांक्षी डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के साथ-साथ नागरिकों को सरकारी सेवाओं की अंतिम-मील वितरण को एक वास्तविकता बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसके अलावा, पिछले कुछ वर्षो में National Informatics Center (NIC) के तहत परियोजनाओं की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है और उनके राष्ट्रीय रोल-आउट ने इन और मुख्य सेवाओं जैसे डेटा सेंटर, नेटवर्क संचालन, साइबर सुरक्षा और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग जैसी प्रमुख सेवाओं के लिए मानव संसाधन संसाधनों में वृद्धि की आवश्यकता को बढ़ा दिया है.
सूत्रों ने कहा कि 2014 में ही इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय द्वारा 1,392 पदों को भरने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई थी. लेकिन वित्त मंत्रालय द्वारा मांगे गए कुछ स्पष्टीकरणों के कारण यह मामला लटका हुआ है, जिससे एनआईसी में भारी जनशक्ति की कमी हो गई है. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के तहत राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) भारत सरकार का प्रौद्योगिकी भागीदार है. इसकी स्थापना 1976 में विकास के विभिन्न पहलुओं में केंद्र और राज्य सरकारों को प्रौद्योगिकी-संचालित समाधान प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी.
(आईएएनएस)
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