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गुना में गहराया जलसंकट, बैठक कर केवल कार्ययोजना तैयार करते हैं अधिकारी

गुना में भारी पेयजल संकट है. इनमें से भी 4 विधानसभा क्षेत्रों बमोरी, आरोन, चाचौड़ा और राघौगढ़ में पानी की समस्या ज्यादा है. खासतौर पर बमोरी के ग्रामीण अंचलों में जलसंकट का खतरा सबसे ज्यादा गहराया हुआ है.

गुना में गहराया जलसंकट
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Published : May 18, 2019, 8:57 AM IST

गुना। गर्मियों में बढ़ते तापमान के साथ भीषण जल संकट दिखाई देने लगा है. प्रशासन योजनाओं के लिए करोड़ों रुपए का बजट रखती है, लेकिन यह कार्य योजना केवल कागजों पर ही सिमट कर रह जाती है. चार विधानसभा क्षेत्रों और पांच विकासखंडों के ग्रामीणों के लिए जल संकट एक बड़ी समस्या बनी हुई है. जिले में लगभग 7,375 हैंडपंप हैं, जिनमें से करीब 1000 हैंडपंप सूख चुके हैं.

गुना में गहराया जलसंकट

गुना की बमोरी, आरोन, चाचौड़ा और राघौगढ़ विधानसभा क्षेत्रों में सबसे ज्यादा जलसंकट शामिल हैं. बमोरी में पानी की सबसे ज्यादा कमी है. वहीं जल संसाधन विभाग के प्रभारी कार्यपालन मंत्री मुकुल भटनागर को जिले में कोई बड़ी जल समस्या नहीं दिखाई देती. इनके अनुसार जल संसाधन विभाग ने जिले के प्रत्येक विकासखंड में मोबाइल टीम टेक्नीशियन के साथ गठित की है, जो जिले के विभिन्न गांव में बंद पड़े हैंडपंपों को ठीक कर रही हैं. उन्होंने कहा कि जिले में 7,375 हैंडपंप हैं, जिसमें से 6,499 हैंडपंप चल रही हैं और करीब 876 हैंडपंप जलस्तर गिर जाने के कारण सूख गए हैं. वहीं जल संकट से निपटने के लिए प्रशासन हैंडपंप में मोटर डालकर काम चला रही है. हालांकि जल संसाधन विभाग के यह प्रयास नाकाम साबित हो रहे हैं.

गुना। गर्मियों में बढ़ते तापमान के साथ भीषण जल संकट दिखाई देने लगा है. प्रशासन योजनाओं के लिए करोड़ों रुपए का बजट रखती है, लेकिन यह कार्य योजना केवल कागजों पर ही सिमट कर रह जाती है. चार विधानसभा क्षेत्रों और पांच विकासखंडों के ग्रामीणों के लिए जल संकट एक बड़ी समस्या बनी हुई है. जिले में लगभग 7,375 हैंडपंप हैं, जिनमें से करीब 1000 हैंडपंप सूख चुके हैं.

गुना में गहराया जलसंकट

गुना की बमोरी, आरोन, चाचौड़ा और राघौगढ़ विधानसभा क्षेत्रों में सबसे ज्यादा जलसंकट शामिल हैं. बमोरी में पानी की सबसे ज्यादा कमी है. वहीं जल संसाधन विभाग के प्रभारी कार्यपालन मंत्री मुकुल भटनागर को जिले में कोई बड़ी जल समस्या नहीं दिखाई देती. इनके अनुसार जल संसाधन विभाग ने जिले के प्रत्येक विकासखंड में मोबाइल टीम टेक्नीशियन के साथ गठित की है, जो जिले के विभिन्न गांव में बंद पड़े हैंडपंपों को ठीक कर रही हैं. उन्होंने कहा कि जिले में 7,375 हैंडपंप हैं, जिसमें से 6,499 हैंडपंप चल रही हैं और करीब 876 हैंडपंप जलस्तर गिर जाने के कारण सूख गए हैं. वहीं जल संकट से निपटने के लिए प्रशासन हैंडपंप में मोटर डालकर काम चला रही है. हालांकि जल संसाधन विभाग के यह प्रयास नाकाम साबित हो रहे हैं.

Intro:वैशाखी गर्मियों के बढ़ते तापमान के साथ जिले भर में भीषण जल संकट दिखाई देने लगा है जिले की चार विधानसभा और पांच विकास खंड कि दूरस्थ ग्रामों में जल संकट एक बड़ी समस्या ग्रामीणों के सामने हैं तेजी से घटते जलस्तर और जल संवर्धन की समुचित कार्य योजना नहीं होने के कारण जिले के दर्जनों गांव में पेयजल व्यवस्था पूरी तरह ठप है जिले की बात की जाए तो यहां 7375 हेडपंप हैं जिनमें से करीब 1000 के करीब हेडपंप जिले भर में सूख चुके हैं गांव में संचालन नल जल योजना ओं के भी हाल बेहाल हैं जिले में सबसे अधिक जल संकट का सामना बमोरी क्षेत्र के ग्रामीण कर रहे हैं राजनीतिक रूप से हाई प्रोफाइल क्षेत्र लंबे अरसे से जल संकट से जूझ रहा है बमोरी विधानसभा क्षेत्र के दर्जनों गांव में महिलाएं एवं बच्चे अंचल के दूरदराज इलाको से पीने का पानी ढो रहे हैं कुछ ऐसा ही हाल जिले के चाचौड़ा बीनागंज आरोन फतेहगढ़ म्याना पेंची लखनवास सहित दर्जनों क्षेत्र हैं कहने को तो प्रशासन हर साल सर्दियां खत्म होते से ही पेयजल संकट से निपटने लंबी चौड़ी कार्ययोजना बनाकर करोड़ों रुपए का बजट रखता है लेकिन यह बजट एसी की एसी रूम में संपन्न होने वाली बैठकों के निर्देशों और कागजी खानापूर्ति मैंने पड़ जाता है मैदानी स्तर पर जल स्तर के हालात देखना है तो जिले के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में बेखुदी देखा जा सकता है वैसे जिले के जल संसाधन विभाग ने पेयजल के लिए जिले को चारण भागों में बांटा है जिसमें गुना बमोरी आरोन चाचौड़ा राधौगढ़ शामिल हैं जिसमें बमोरी क्षेत्र पेयजल संकट से सबसे ज्यादा परेशान है जबकि यहाँ से विधायक महेद्र सिंह सिसोदिया प्रदेश में बतौर कैबिनेट मंत्री हैं लेकिन इसके बावजूद ग्रामीणों की जल संकट की समस्या दूर नहीं हो पा रही है इस वर्ष लोकसभा की आचार संहिता ग्रामीणों के लिए कोई सजा से कम ना थी हालांकि प्रशासन ने जल संकट कई बार एसी रूम में बैठ कर प्लानिंग करते रहते है।


Body:इस बारे में जल संसाधन विभाग के प्रभारी कार्यपालन यंत्री मुकुल भटनागर जिले में कोई बड़ी जल समस्या नहीं होने की बात कहते हैं भटनागर के अनुसार जल संसाधन विभाग ने जिले के प्रत्येक विकासखंड में मोबाइल टीम टेक्नीशियन के साथ गठित की है जो कि जिले के विभिन्न गांव में बंद पड़े हेड पंपों को ठीक कर रही हैं भटनागर के अनुसार जिले में 7375 हेडपंप हैं जिसमें जिसमें 6499 हेडपंप चालू है जबकि करीब 876 हेड पंप जलस्तर गिर जाने के कारण बंद हो गए हैं जहां प्रशासन ने जल संकट से निपटने के लिए हेडपंप में मोटर डालकर काम चलाया जा रहा है हालांकि जल संसाधन विभाग के यह प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं जिले में संचालक 196 नल जल योजना में से कई नल जल योजनाएं बंद पड़ी है


Conclusion:वैसे जिले भर में जल संकट से निपटने के लिए प्रशासन द्वारा हर वर्ष कार्य योजना बनाकर इसके लिए बजट स्वीकृत किया जाता है लेकिन करोड़ों रुपए का यह बजट जिले में जल समस्या से निपटने के लिए कारगर सिद्ध नहीं हो पाता गर्मियां शुरू होने के साथ जिलेभर में जल संकट शुरू हो जाता है फरवरी-मार्च अप्रैल के साथ मई-जून भी जल संकट के साथ निकल जाता है इसी के साथ विभाग का करोड़ों रुपए का बजट कागजों में खर्च हो जाता है दिनचर्या बदल जाती है तो बस उन महिलाओं की जिन्हें पो फटते ही पानी की चिंता होती है और रात के अंधेरे में पानी भरने की जुगत।
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