छतरपुर। केन्द्र सरकार स्वच्छ भारत अभियान के तहत घर-घर शौचालय बनवाने पर जोर दे रही है. कागजों में भले ही शौचालयों का निर्माण पूरा हो गया हो, लेकिन हकीकत कुछ और बयां कर रहा है. ऐसा ही एक मामला छतरपुर जिले के सूरजपुरा गांव है. जहां तीन साल पहले खुद शिवराज सिंह ने फावड़े से गड्ढा खोदा था और जल्द ही शौचालय चालू करवाने की बात कही थी. लेकिन आज तक वे शौचालय चालू नहीं हुए.
दरअसल, 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान छतरपुर जिले के सूरजपुरा गांव में पहुंचे थे, जहां उन्होंने शौचालय निर्माण के लिए खुद से गड्ढा खोदा था और जल्द ही शौचायल चालू कराने का आश्वासन दिया था. शिवराज सिंह ने आदिवासी महिलाओं से कहा था कि आप हमारी बहन हैं, हर संभव आपकी मदद करेंगे. महिलाओं ने बताया कि उन्हें आवास मिल गए हैं, गैस सिलेंडर भी मिल गया, लेकिन गांव में शौचालय चालू नहीं हुए हैं.
शिवराज सिंह जिस महिला के घर में रुके थे उस महिला का नाम चंद्ररानी है. चंद्ररानी ने बताया शिवराज सिंह उन्हें बहन मानते हैं और जल्द ही शौचालय चालू कराने का आश्वासन दिया था. साथ ही कहा था कि हम आपकी हर संभव मदद करने की कोशिश करेंगे. लेकिन आज तीन वर्ष बीत गए, लेकिन उनके घर का शौचालय चालू नहीं हुआ. महिला ने बताया कि उसके बाद न तो सरपंच आए, न ही सचिव. अगर उनसे शौचालय के संबंध में बात करते हैं तो यह कहकर टाल दिया जाता है कि अब शौचालय उनके कार्यक्षेत्र में नहीं आता है.
चंद्ररानी के अलावा अन्य आदिवासी महिलाओं ने भी बताया कि शिवराज सिंह हमें पक्के मकान और शौचालय देकर चले गए, जिसमें मकान तो मिल गए, लेकिन तीन साल बीत गए आज तक किसी भी घर में शौचालय चालू नहीं हो सका. महिलाओं ने यह भी बताया कि उन्हें उज्जवला योजना का भी लाभ मिल रहा है. लेकिन मजबूरन शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है. इस संबंध में जब हमारे सहयोगी ने संबंधित अधिकारियों से बात करनी चाही तो कोई भी अधिकारी सामने आकर कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं हुआ.
बता दें, कि 2017 में इस गांव में हुए एक कार्यक्रम के दौरान प्रदेश से बड़े-बड़े नेता एवं आला अधिकारी पहुंचे थे. तात्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के अलावा डॉ रामकृष्ण कुसमरिया ने भी शौचालय निर्माण के लिए गड्ढा खोदा था, लेकिन 3 साल बीत जाने के बाद भी शौचालय उपयोग के लायक नहीं बन पाए हैं. जिससे कर्मचारियों की लापरवाही साफ नजर आती है.