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3 साल पहले शौचालय के लिए सीएम ने खोदा था गड्ढा, अब तक नहीं हुआ चालू - Toilets in chhatarpur

छतरपुर जिले के सूरजपुरा गांव में जहां तीन साल पहले खुद शिवराज सिंह ने फावड़े से गड्ढा खोदा था और जल्द ही शौचालय चालू करवाने की बात कही थी. लेकिन आज तक वह शौचालय चालू नहीं हुआ. ग्रामीणों ने बताया कि उसके बाद न तो सरपंच आए, न ही सचिव. अगर सरपंच-सचिव से शौचालय के संबंध में बात करने पर उनको साफ मना कर दिया जाता है कि अब शौचालय का कार्य उनके कार्यक्षेत्र में नहीं आता है.

ग्रामीण
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Published : May 28, 2019, 11:44 PM IST

Updated : May 29, 2019, 4:05 PM IST

छतरपुर। केन्द्र सरकार स्वच्छ भारत अभियान के तहत घर-घर शौचालय बनवाने पर जोर दे रही है. कागजों में भले ही शौचालयों का निर्माण पूरा हो गया हो, लेकिन हकीकत कुछ और बयां कर रहा है. ऐसा ही एक मामला छतरपुर जिले के सूरजपुरा गांव है. जहां तीन साल पहले खुद शिवराज सिंह ने फावड़े से गड्ढा खोदा था और जल्द ही शौचालय चालू करवाने की बात कही थी. लेकिन आज तक वे शौचालय चालू नहीं हुए.

गांव में शौचालय का स्थिति

दरअसल, 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान छतरपुर जिले के सूरजपुरा गांव में पहुंचे थे, जहां उन्होंने शौचालय निर्माण के लिए खुद से गड्ढा खोदा था और जल्द ही शौचायल चालू कराने का आश्वासन दिया था. शिवराज सिंह ने आदिवासी महिलाओं से कहा था कि आप हमारी बहन हैं, हर संभव आपकी मदद करेंगे. महिलाओं ने बताया कि उन्हें आवास मिल गए हैं, गैस सिलेंडर भी मिल गया, लेकिन गांव में शौचालय चालू नहीं हुए हैं.


शिवराज सिंह जिस महिला के घर में रुके थे उस महिला का नाम चंद्ररानी है. चंद्ररानी ने बताया शिवराज सिंह उन्हें बहन मानते हैं और जल्द ही शौचालय चालू कराने का आश्वासन दिया था. साथ ही कहा था कि हम आपकी हर संभव मदद करने की कोशिश करेंगे. लेकिन आज तीन वर्ष बीत गए, लेकिन उनके घर का शौचालय चालू नहीं हुआ. महिला ने बताया कि उसके बाद न तो सरपंच आए, न ही सचिव. अगर उनसे शौचालय के संबंध में बात करते हैं तो यह कहकर टाल दिया जाता है कि अब शौचालय उनके कार्यक्षेत्र में नहीं आता है.

चंद्ररानी के अलावा अन्य आदिवासी महिलाओं ने भी बताया कि शिवराज सिंह हमें पक्के मकान और शौचालय देकर चले गए, जिसमें मकान तो मिल गए, लेकिन तीन साल बीत गए आज तक किसी भी घर में शौचालय चालू नहीं हो सका. महिलाओं ने यह भी बताया कि उन्हें उज्जवला योजना का भी लाभ मिल रहा है. लेकिन मजबूरन शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है. इस संबंध में जब हमारे सहयोगी ने संबंधित अधिकारियों से बात करनी चाही तो कोई भी अधिकारी सामने आकर कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं हुआ.

बता दें, कि 2017 में इस गांव में हुए एक कार्यक्रम के दौरान प्रदेश से बड़े-बड़े नेता एवं आला अधिकारी पहुंचे थे. तात्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के अलावा डॉ रामकृष्ण कुसमरिया ने भी शौचालय निर्माण के लिए गड्ढा खोदा था, लेकिन 3 साल बीत जाने के बाद भी शौचालय उपयोग के लायक नहीं बन पाए हैं. जिससे कर्मचारियों की लापरवाही साफ नजर आती है.

छतरपुर। केन्द्र सरकार स्वच्छ भारत अभियान के तहत घर-घर शौचालय बनवाने पर जोर दे रही है. कागजों में भले ही शौचालयों का निर्माण पूरा हो गया हो, लेकिन हकीकत कुछ और बयां कर रहा है. ऐसा ही एक मामला छतरपुर जिले के सूरजपुरा गांव है. जहां तीन साल पहले खुद शिवराज सिंह ने फावड़े से गड्ढा खोदा था और जल्द ही शौचालय चालू करवाने की बात कही थी. लेकिन आज तक वे शौचालय चालू नहीं हुए.

गांव में शौचालय का स्थिति

दरअसल, 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान छतरपुर जिले के सूरजपुरा गांव में पहुंचे थे, जहां उन्होंने शौचालय निर्माण के लिए खुद से गड्ढा खोदा था और जल्द ही शौचायल चालू कराने का आश्वासन दिया था. शिवराज सिंह ने आदिवासी महिलाओं से कहा था कि आप हमारी बहन हैं, हर संभव आपकी मदद करेंगे. महिलाओं ने बताया कि उन्हें आवास मिल गए हैं, गैस सिलेंडर भी मिल गया, लेकिन गांव में शौचालय चालू नहीं हुए हैं.


शिवराज सिंह जिस महिला के घर में रुके थे उस महिला का नाम चंद्ररानी है. चंद्ररानी ने बताया शिवराज सिंह उन्हें बहन मानते हैं और जल्द ही शौचालय चालू कराने का आश्वासन दिया था. साथ ही कहा था कि हम आपकी हर संभव मदद करने की कोशिश करेंगे. लेकिन आज तीन वर्ष बीत गए, लेकिन उनके घर का शौचालय चालू नहीं हुआ. महिला ने बताया कि उसके बाद न तो सरपंच आए, न ही सचिव. अगर उनसे शौचालय के संबंध में बात करते हैं तो यह कहकर टाल दिया जाता है कि अब शौचालय उनके कार्यक्षेत्र में नहीं आता है.

चंद्ररानी के अलावा अन्य आदिवासी महिलाओं ने भी बताया कि शिवराज सिंह हमें पक्के मकान और शौचालय देकर चले गए, जिसमें मकान तो मिल गए, लेकिन तीन साल बीत गए आज तक किसी भी घर में शौचालय चालू नहीं हो सका. महिलाओं ने यह भी बताया कि उन्हें उज्जवला योजना का भी लाभ मिल रहा है. लेकिन मजबूरन शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है. इस संबंध में जब हमारे सहयोगी ने संबंधित अधिकारियों से बात करनी चाही तो कोई भी अधिकारी सामने आकर कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं हुआ.

बता दें, कि 2017 में इस गांव में हुए एक कार्यक्रम के दौरान प्रदेश से बड़े-बड़े नेता एवं आला अधिकारी पहुंचे थे. तात्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के अलावा डॉ रामकृष्ण कुसमरिया ने भी शौचालय निर्माण के लिए गड्ढा खोदा था, लेकिन 3 साल बीत जाने के बाद भी शौचालय उपयोग के लायक नहीं बन पाए हैं. जिससे कर्मचारियों की लापरवाही साफ नजर आती है.

Intro: जिले में स्वच्छ भारत अभियान भले ही कागजों में पूरा हो गया हो लेकिन हकीकत इसके ठीक विपरीत है शिवराज सिंह चौहान की राजनीतिक बहने 3 साल बीत जाने के बाद भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं हालांकि जिस गांव में शिवराज सिंह चौहान की यह राजनीतिक बहने रहती है उस गांव में शिवराज सिंह चौहान ने खुद पहुंचकर गड्ढा खोदते हुए खेती और फावड़े चलाए थे और इन आदिवासी महिलाओं को अपनी बहन कहते हुए हर संभव मदद देने की बात कही थी लेकिन 3 साल बीत गए हैं और अभी भी स्थानीय प्रशासन इन शौचालयों को चालू नहीं करवा पाया है जिस वजह से इन महिलाओं को शौच करने के लिए बाहर जाना पड़ रहा है!


Body:आपको बता दें कि 2017 में शिवराज सिंह चौहान छतरपुर जिले के राजनगर जनपद पंचायत अंतर्गत सूरजपुरा गांव में आए थे इस गांव के एक छोटे से पुरवा में जहां लगभग 30 से 40 घर आदिवासी महिलाओं के हैं वहां पर एक कार्यक्रम किया था जहां पर शिवराज सिंह चौहान नई खोज गड्ढा खोदते हुए घेती फावड़े चलाए थे और शौचालय को उन महिलाओं को सौंपा था साथ ही शिवराज सिंह चौहान ने यह आश्वासन दिया था कि जल्द ही यह शौचालय चालू हो जाएंगे उसके अलावा भी अगर आप लोगों को किसी प्रकार की कोई मदद की आवश्यकता हो तो हम आपकी हर संभव मदद करेंगे!

आपको बता दें चुकी है कार्यक्रम 2017 का था इस कार्यक्रम में पूरे प्रदेश से बड़े-बड़े नेता एवं आला अधिकारी मौजूद थे पूर्व सीएम शिवराज सिंह के अलावा डॉ रामकृष्ण कुसमरिया ने भी इस जगह पर गड्ढे खोदे थे लेकिन 3 साल बीत जाने के बाद भी शौचालयों को आज भी सुचारू रूप से चालू नहीं करा पाए हैं और आज भी 3 साल पहले खोदे गए गड्ढे लापरवाही का सबूत दे रहे हैं!


शिवराज सिंह जिस महिला के घर रुके थे उस महिला का नाम चंद्र रानी है चंद्र रानी का कहना है कि शिवराज सिंह चौहान उसके घर पर आए थे और उसे अपनी बहन कहते हुए कहा था कि जल्दी ही यह शौचालय चालू हो जाएंगे इसके अलावा हम आपकी हर संभव मदद करने की कोशिश करेंगे! लेकिन 3 वर्ष बीत जाने के बाद भी ना तो यहां पर सरपंच आया और ना ही सचिव जब भी उनसे शौचालयों की बात करते हैं तो उनका कहना होता है कि अब शौचालय उनके कार्यक्षेत्र में नहीं आते हैं!


बाइट-चंद्ररानी


चंद्रानी के अलावा अन्य आदिवासी महिलाओं का भी इसी प्रकार का आरोप है कि शिवराज सिंह चौहान तो यहां पर आए थे और उन्हें पक्के मकान के साथ शौचालय भी सुपुर्द करके चले गए थे हालांकि मकान तो पक्के हमें मिल गए हैं और उज्जवला योजना का भी लाभ मिल रहा है लेकिन 3 साल बीत जाने के बाद भी शौचालय जस के तस बने हुए हैं यही वजह है कि हम सब को शौच करने के लिए बाहर जाना पड़ रहा है!

बाइट_आदिवासी महिला!


Conclusion:हालांकि यह मामला राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से जुड़ा हुआ है 3 साल बीत जाने के बाद भी स्थानीय अधिकारी इन शौचालयों को चालू नहीं करा पाए हैं! आदिवासी महिलाओं की मानें तो शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें अपनी बहन माना था लेकिन 3 साल बीत जाने के बाद भी कोई अधिकारी उनके यहां उनका हालचाल पूछने नहीं आया है और जब भी वह शौचालयों के बारे में सरपंच एवं सचिव से बात करती हैं तो उन्हें गुमराह कर दिया जाता है हालांकि इस संबंध में जब हमने अधिकारियों से बात करने की कोशिश की तो किसी भी अधिकारी ने सामने बात आकर करने से साफ इंकार कर दिया!
Last Updated : May 29, 2019, 4:05 PM IST
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