होशंगाबाद। दुनिया में एक तरफ विज्ञान ने जीवन को आसान बना दिया है, लेकिन दूसरी तरफ इसी ने कई लोगों की रोजी-रोटी भी छीन ली है. होशंगाबाद में भी मशीनीकरण के कारण हजारों मजदूर बेरोजगार हो गए हैं.
नर्मदापुरम संभाग में हजारों मजदूर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से रेत के खनन से जुड़े हुए हैं. इनके घर का चूल्हा रेत की मजदूरी से ही चलता है. आधुनिक मशीनरी के कारण ये मजदूर बेरोजगार हो चले हैं. मजदूरों की जगह बड़ी-बड़ी पोकलेन और जेसीबी मशीनों ने ले ली है, जो तेजी से खनन कर डंपरों ओर ट्रकों मे रेत भर देते हैं और रेत ठेकेदार भी इन मजदूरों से काम कराने की जगह मशीनों से ही रेत की खुदाई करवाते हैं.
वहीं एनटीपीसी की गाइडलाइन के अनुसार रेत खदानों पर किसी भी तरह की मशीन से खनन प्रतिबंधित है, लेकिन रेत खनन व्यापारी नियमों को दरकिनार कर देते हैं. ऐसे ही रामनगर, ईश्वरपुर, महुआखेड़ा, गोराघाट मोती गांव के सैकड़ों मजदूर कलेक्ट्रेट पहुंचे. इनमें वे मजदूर शामिल हैं, जो नर्मदा नदी से रेत निकालने का काम करते हैं और जिन्हें ठेकेदारों ने निकाल दिया है. एनटीपीसी के सख्त निर्देश को भी हवा मे उड़ाया जा रहा है. एनटीपीसी ने सख्त निर्देश दिए हैं कि नदी में किसी भी भारी वाहन से खनन नहीं किया जायेगा. पूरी तरह मजदूरों से ही खनन कराया जायेगा, लेकिन रेत माफिया बड़ी पोकलेन मशीनों से दिन-रात नदी में रेत खनन करा रहे हैं. इससे पर्यावरण और नदी पर भी सीधा असर पड़ रहा है.