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मशीनों ने छीनी मजदूरों की रोटी, आधुनिकता बनी अभिशाप

होशंगाबाद में मशीनीकरण के कारण हजारों मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. एनटीपीसी की गाइडलाइन के अनुसार रेत खदानों पर किसी भी तरह की मशीन से खनन प्रतिबंधित है, लेकिन रेत खनन व्यापारी नियमों को दरकिनार कर देते हैं, जिसके कारण आज ये मजदूर बेरोजगारी की मार झेलने को मजबूर हैं.

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Published : Apr 17, 2019, 12:58 PM IST

मशीनों ने छीनी मजदूरों की रोटी

होशंगाबाद। दुनिया में एक तरफ विज्ञान ने जीवन को आसान बना दिया है, लेकिन दूसरी तरफ इसी ने कई लोगों की रोजी-रोटी भी छीन ली है. होशंगाबाद में भी मशीनीकरण के कारण हजारों मजदूर बेरोजगार हो गए हैं.

मशीनों ने छीनी मजदूरों की रोटी


नर्मदापुरम संभाग में हजारों मजदूर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से रेत के खनन से जुड़े हुए हैं. इनके घर का चूल्हा रेत की मजदूरी से ही चलता है. आधुनिक मशीनरी के कारण ये मजदूर बेरोजगार हो चले हैं. मजदूरों की जगह बड़ी-बड़ी पोकलेन और जेसीबी मशीनों ने ले ली है, जो तेजी से खनन कर डंपरों ओर ट्रकों मे रेत भर देते हैं और रेत ठेकेदार भी इन मजदूरों से काम कराने की जगह मशीनों से ही रेत की खुदाई करवाते हैं.


वहीं एनटीपीसी की गाइडलाइन के अनुसार रेत खदानों पर किसी भी तरह की मशीन से खनन प्रतिबंधित है, लेकिन रेत खनन व्यापारी नियमों को दरकिनार कर देते हैं. ऐसे ही रामनगर, ईश्वरपुर, महुआखेड़ा, गोराघाट मोती गांव के सैकड़ों मजदूर कलेक्ट्रेट पहुंचे. इनमें वे मजदूर शामिल हैं, जो नर्मदा नदी से रेत निकालने का काम करते हैं और जिन्हें ठेकेदारों ने निकाल दिया है. एनटीपीसी के सख्त निर्देश को भी हवा मे उड़ाया जा रहा है. एनटीपीसी ने सख्त निर्देश दिए हैं कि नदी में किसी भी भारी वाहन से खनन नहीं किया जायेगा. पूरी तरह मजदूरों से ही खनन कराया जायेगा, लेकिन रेत माफिया बड़ी पोकलेन मशीनों से दिन-रात नदी में रेत खनन करा रहे हैं. इससे पर्यावरण और नदी पर भी सीधा असर पड़ रहा है.

होशंगाबाद। दुनिया में एक तरफ विज्ञान ने जीवन को आसान बना दिया है, लेकिन दूसरी तरफ इसी ने कई लोगों की रोजी-रोटी भी छीन ली है. होशंगाबाद में भी मशीनीकरण के कारण हजारों मजदूर बेरोजगार हो गए हैं.

मशीनों ने छीनी मजदूरों की रोटी


नर्मदापुरम संभाग में हजारों मजदूर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से रेत के खनन से जुड़े हुए हैं. इनके घर का चूल्हा रेत की मजदूरी से ही चलता है. आधुनिक मशीनरी के कारण ये मजदूर बेरोजगार हो चले हैं. मजदूरों की जगह बड़ी-बड़ी पोकलेन और जेसीबी मशीनों ने ले ली है, जो तेजी से खनन कर डंपरों ओर ट्रकों मे रेत भर देते हैं और रेत ठेकेदार भी इन मजदूरों से काम कराने की जगह मशीनों से ही रेत की खुदाई करवाते हैं.


वहीं एनटीपीसी की गाइडलाइन के अनुसार रेत खदानों पर किसी भी तरह की मशीन से खनन प्रतिबंधित है, लेकिन रेत खनन व्यापारी नियमों को दरकिनार कर देते हैं. ऐसे ही रामनगर, ईश्वरपुर, महुआखेड़ा, गोराघाट मोती गांव के सैकड़ों मजदूर कलेक्ट्रेट पहुंचे. इनमें वे मजदूर शामिल हैं, जो नर्मदा नदी से रेत निकालने का काम करते हैं और जिन्हें ठेकेदारों ने निकाल दिया है. एनटीपीसी के सख्त निर्देश को भी हवा मे उड़ाया जा रहा है. एनटीपीसी ने सख्त निर्देश दिए हैं कि नदी में किसी भी भारी वाहन से खनन नहीं किया जायेगा. पूरी तरह मजदूरों से ही खनन कराया जायेगा, लेकिन रेत माफिया बड़ी पोकलेन मशीनों से दिन-रात नदी में रेत खनन करा रहे हैं. इससे पर्यावरण और नदी पर भी सीधा असर पड़ रहा है.

Intro:होशंगाबाद। दुनिया मे एक तरफ रोबोट ओर आधुनिक विज्ञान की बात की जा रही है। जिसने जीवन और दिनचर्या को आसान बना दिया है लेकिन इसी आधुनिक विज्ञान एवं मशीनरी ने लोगों को बेरोजगार भी बना दिया है होशंगाबाद के इस मशीनरी के कारण हजारो मजदूर बेरोजगार हो चले हैं


Body:नर्मदापुरम संभाग मे हजारों मजदूर प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से रेत के खनन से जुड़े हुए हैं जिनके घर का चूल्हा रेत की मजदूरी से ही चलता है लेकिन आधुनिक मशीनरी के कारण यह आज मजदूर बेरोजगार हो चले हैं मजदूरों और इनके बलीचा ( रेत निकलने का औजार ) की जगह बड़ी बड़ी पोकलेन एवं जेसीबी मशीन ने ले ली है जो तेजी से खनन कर डंपरो ओर ट्रैकों मे रेत भर देती है... ओर रेत ठेकेदार भी इन मजदूरों से काम कारने की जगह मशीनो से ही रेत की खुदाई करता है ... वही एनटीपीसी की गाईडलाईन के अनुसार रेत खदानो पर किसी भी तरह की मशीन से खनन प्रतिबंधित किया हुआ है लेकिन रेत खनन व्यापारी नियमों को दरकिनार कर देते हैं ... ऐसे ही रामनगर ,ईश्वरपुर ,महुआखेड़ा गोराघाट मोती गांव के सैकड़ों मजदूर कलेक्ट्रेट पहुंचे जो नर्मदा नदी से से रेत निकालने का काम करते हैं जिन्हें ठेकेदारों द्वारा निकाल दिया गया है उनकी जगह पर बड़ी बड़ी पोकलेन मशीन से नदी से रेत खनन कर रहा है वही इन मजदूरों के आधार कार्ड ,सहित सभी दस्तावेजो को जमा कराकर कागजी रूप से मजदूर दिखाया जा रहा है ।...वही एनटीपीसी के सख्त निर्देश को भी हवा मे उड़ाये जा रहै एनटीपीसी दौरा सख्त निर्देश दिये गए है की नदी मे किसी भी भारी वाहन से खनन नही किया जायेगा पूरी तरह मजदूरों से ही खनन कराया जायेगा लेकिन ये रेत माफिया बड़ी पोकलेन मशीनों से दिन रात नदी मे उतारा कर रेत खनन करा रहे है इससे पर्यावरण और नदी को भी सीधा असर पड़ रहा है ।




Conclusion:वही जिले मे क़रीब खनिज विभाग मे 7 हजार से अधिक मजदूर रेजिस्ट्रेशन कर मजदूरी कार्ड बनावा चुके है और करीब इतने की बिना रेजिस्ट्रेशन के मजदूरी कर रहे है लकिन इन मजदूरो का खदान मलिकों द्वारा शौषण किया जा रहा है ।
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